क्या आपको भी होती है ब्लैक डॉट्स की समस्या? राहत पाने के लिए अपनाएं ये आसान उपाय

कई बार कुछ लोगों की त्वचा पर ब्लैक डॉट्स दिखाई देते हैं। कई बार यह डर्मेटोसिस पापुलोसा नाइग्रा का संकेत हो सकता है। चलिए जानते हैं इसके बारे में।
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क्या आपको भी होती है ब्लैक डॉट्स की समस्या? राहत पाने के लिए अपनाएं ये आसान उपाय


कई बार कुछ लोगों की त्वचा पर ब्लैक डॉट्स दिखाई देते हैं। आमतौर पर मेलानिन का ज्यादा उत्पादन होने के साथ ही ब्यूटी प्रोडक्ट्स के साइड इफेक्ट के कारण यह समस्या होती है। हालांकि, यह कोई बीमारी का लक्षण नहीं हैं, लेकिन इन्हें नजरअंदाज करना कई बार स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का कारण बन सकता है। इसके पीछे अन्य भी कई कारण जिम्मेदार हो सकते हैं। इसे डीपीएन के नाम से भी जाना जाता है। आइये दिल्ली के अग्रवाल होम्योपैथी क्लीनिक के डॉ. पंकज अग्रवाल से समझते हैं इस समस्या के बारे में। 

नजरअंदाज करने से बचें 

एक्सपर्ट्स के मुताबिक अगर यह काले धब्बे जेनेटिक कारणों से हैं तो इन्हें बिलकुल नजरअंदाज नहीं करना चाहिए, बल्कि जितना जल्दी हो सके चिकित्सक से सलाह लेनी चाहिए। दरअसल, यह डर्मेटोसिस पापुलोसा नाइग्रा का संकेत हो सकते हैं। इस निशान को अगर आप ऑइंटमेंट या फिर किसी क्रीम के जरिए मिटाना चाहते हैं तो यह कई बार कामयाब नहीं होती है। अगर लंबे समय तक महसूस करने के बाद भी आपको यह समस्या रहती है तो ऐसे में चिकित्सक की सलाह जरूर लें। 

 

 

 

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क्या है डर्मेटोसिस पापुलोसा नाइग्रा? 

डर्मेटोसिस पापुलोसा नाइग्रा त्चचा से जुड़ी एक प्रकार की समस्या है। जिसमें त्वचा पर धब्बे निकलने के साथ-साथ गर्दन, चेहरे आदि पर छोटे-छोटे काले रंग के निशान बन जाते हैं। कुछ लोगों में छोटी तो कई लोगों में बड़ी गांठ और निशान भी देखे जाते हैं। ऐसे में इन गांठों पर सूजन और लालिमा भी आ सकते हैं। ऐसे में कई बार अल्ट्रा वॉयलेट रेडिएशन के संपर्क में आने से भी आपको यह समस्या हो सकती है। 

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उपचार के तरीके 

  • एक्सपर्ट्स के मुताबिक ब्लैक स्पॉट्स की समस्या को दूर करने के लिए आप नैचुरल चीजों का इस्तेमाल किया जा सकता है।
  • आमतौर पर डर्मेटोलॉजिस्ट C02 लेजर थेरेपी का भी इस्तेमाल करते हैं। 
  • इसके साथ ही RF कैउट्री नामक ट्रीटमेंट भी दिया जाता है। 
  • इस समस्या की जांच करने के लिए चिकित्सक द्वारा डर्मोस्कोपी का इस्तेमाल किया जाता है। 
  • कई बार इसके लिए बायोप्सी यानि त्वचा का टुकड़ा काटकर भी जांच की जाती है। 

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