
पीठ के दर्द से हैं परेशान? कारण है आपकी लाइफस्टाइल। आज ही करें ये उपचार वरना हो सकती है बड़ी परेशानी।
जैसा कि हम सब जानते हैं ये स्पाइन या रीढ़ की हड्डी हमारे पूरे शरीर का भार उठाता है यानी इसमें परेशानी पढ़ने का मतलब है पूरे शरीर को परेशानी होना यह शरीर को प्रभावित करता है बल्कि इसका सर हमारे दिमाग पर भी होता है अब सवाल ये उठता है कि हमारी रीढ़ की हड्डी पर दबाव कब पड़ता है? बता दें कि स्पाइन जब सही अवस्था में नहीं होती है तो इससे पीठ की मांसपेशियां और डिस्क पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है। जो मांसपेशियां मजबूत होती है वे रीढ़ की हड्डी को उचित सीध में रखती हैं और पीठ के दर्द से बचाती हैं। साथ ही साथ यह मांसपेशियां रीढ़ की हड्डी को सामान्य लचक से अधिक मूल्य से भी रोकती हैं। लेकिन मांसपेशियों के कमजोर होने पर रीढ़ के किसी भी हिस्से पर दबाव पड़ता है तो पेट में दर्द हो सकता है। यह दर्द गर्दन से लेकर कमर के निचले हिस्से तक होता है। आमतौर पर यह समस्या लोअर बैक में ज्यादा देखी गई है। पढ़ते हैं इसके बारे में सब कुछ।
लाइफस्टाइल के चलते उठ सकता है दर्द
आपने देखा होगा कि पीठ या कमर दर्द के अलावा स्लिप डिस्क जैसी समस्याएं भी सामने आ रही है। बुजुर्गों या 30 से 40 वर्ष के लोगों में ही नहीं बल्कि टीनएजर्स में भी समस्या आम होती नजर आ रही है। कार्यस्थल में एक ही अवस्था में गलत पोस्चर में ज्यादा समय तक बैठने से यह समस्या हो जाती है। इसके अलावा केवल पीठ में ही नहीं बल्कि गर्दन, जोड़ों, कंधों, उंगलियों में भी होता। यानी यह ऑर्थोपेडिक समस्याओं को पैदा कर सकती है। आज की जीवन शैली में फिजिकल एक्टिविटीज कम हो गई हैं। ऑफिस में कंप्यूटर और कुर्सी और घर में मशीनें जगह ले चुके हैं। इंसान को बैठे-बैठे अपना हर काम करने की आदत हो गई है। जिसके कारण मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं। कई बार भारी वजन उठाने या किसी भारी सामान को खींचने से भी रीढ़ के हिस्से में दबाव पड़ता है और स्लिप डिस्क जैसी समस्या हो सकती है।
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इसके उपचार
- हमेशा बैठते वक्त अपने पोस्चर पर ध्यान दें और गर्दन को सीधा रखें।
- झुककर बैठने से कमर दर्द हो सकता है।
- जब भी कीबोर्ड पर या टाइपराइटर पर काम करें तो अपनी कलाई को सीधा रखें। अगर आपकी कलाइयां मुड़ी रहेंगी तो रक्त संचार धीमा हो सकता है और दबाव पड़ने से दर्द हो सकता है।
- कुर्सी पर बैठते समय उसकी ऊंचाई पर ध्यान दें। कुर्सी की ऊंचाई इतनी रखें जिससे घुटनों को 90 डिग्री तक मोड़ लें।
- हर दो या 3 घंटे में पांच 10 मिनट का ब्रेक जरूर लें। दर्द से बचने के लिए वॉशरूम, कॉरिडोर या छत पर वॉक करें।
- काम के दौरान उंगलियों में कलाइयों की एक्सरसाइज करें।
- आपने देखा होगा कि कुछ लोग काम के दौरान अपने फोन को गर्दन और कान के बीच में दबा कर बात करते हैं। ऐसा ना करें। इससे गर्दन में कमर में दर्द हो सकता है। बेहतर होगा टाइपिंग छोड़ कर सबसे पहले फोन को सुन लें।
- अपनी दिनचर्या में व्यायाम जोड़ें। साथ ही फिजियोथैरेपिस्ट की भी मदद ले सकते हैं।
- अगर आपका वजन ज्यादा है तो सबसे पहले अपने वजन को कम करें।
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