
World Arthritis Day 2020: 1996 में 12 अक्टूबर को अर्थराइटिस एंड रह्यूमेटिज़्म इंटरनेशनल (एआरआई) द्वारा ‘वर्ल्ड अर्थराइटिस डे’ घोषित किया गया।
World Arthritis Day 2020: अर्थराइटिस को अक्सर नजरंदाज कर दिया जाता है और इससे मरीज के चलने-फिरने की क्षमता प्रभावित होती है तथा उसे अत्यधिक पीड़ा का अनुभव होता है। इस तरह की समस्या के सबसे बेहतर समाधानों में से एक आर्थोप्लास्टी है। इसे आम भाषा में ज्वाईंट रिप्लेसमेंट सर्जरी कहते हैं। हालांकि सर्जिकल उपचार के बारे में सर्वश्रेष्ठ सुझाव केवल एक विशेषज्ञ दे सकता है।
अर्थराइटिस में आपके जोड़ों में सूजन आ जाती है और आपको अत्यधिक दर्द व ऐंठन होते हैं, जो उम्र के साथ बढ़ते चले जाते हैं। अर्थराइटिस में आपके जोड़ों में सूजन आ जाती है के सबसे आम प्रकार ऑस्टियोआर्थराइटिस एवं रूमेटाइड अर्थराइटिस हैं। ऑस्टियोआर्थराइटिस तब होता है, जब हड्डियों के किनारों पर चारों नरम परत बनाने वाली सुरक्षात्मक उपास्थि समय के साथ घिस जाती है। ऑस्टियोआर्थराइटिस किसी भी जोड़ को क्षति पहुंचा सकता है, लेकिन इस बीमारी से आपके घुटनों, नितंबों, रीढ़ की हड्डी एवं हाथों के जोड़ ज्यादा प्रभावित होते हैं।
भारत में बढ़ रही है ऑस्टियोआर्थराइटिस के मरीजों की संख्या
भारत में ऑस्टियोआर्थराइटिस की बात करें, तो उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, साल 2025 तक भारत दुनिया में इस क्रोनिक बीमारी की राजधानी बन जाएगा और यहां पर 60 मिलियन लोग ऑस्टियोआर्थराइटिस से पीड़ित होंगे। भारत में 70 वर्ष के अधिक आयु के लोगों में 28.1 प्रतिशत पुरुष व 31.6 प्रतिशत महिलाएं ऑस्टियोआर्थराइटिस से पीड़ित हैं।
ऑस्टियोआर्थराइटिस के लक्षण
ऑस्टियोआर्थराइटिस के लक्षणों में दर्द, ऐंठन, अकड़न, सूजन, जोड़ों में चटकने की आवाज शामिल हैं। इसमें प्रभावित जोड़ के चारों ओर सख्त गांठ बन जाती है। इनमें से कोई भी लक्षण दिखने पर बिना विलंब के तत्काल डॉक्टर से संपर्क करें। इसके अलावा, मोटापे से पीड़ित किसी भी व्यक्ति को ऑस्टियोआर्थराइटिस का जोखिम बढ़ जाता है क्योंकि भारी वजन से जोड़ों पर और ज्यादा तनाव व दबाव पड़ता है। वृद्ध लोगों एवं उन लोगों को ऑस्टियोआर्थराइटिस की संभावना ज्यादा होती है, जिनके व्यवसाय में उन्हें घुटने पर झुकने, पालथी मारकर या उकड़ू बैठने या फिर भारी वजन उठाने की जरूरत होती है।
इसे भी पढ़ें: जोड़ों में दर्द का आयुर्वेदिक उपचार और बचाव: जानिए खानपान, एक्सरसाइज और औषधि के प्रयोग के बारे में
ऑस्टियोआर्थराइटिस के उपचार की सर्जरी
ऑस्टियोआर्थराइटिस की बीमारी दैनिक काम मुश्किल कर देती है। जीवन की गुणवत्ता दोबारा प्राप्त करने के लिए मरीजों को आर्थोप्लास्टी सर्जरी यानि ज्वाईंट रिप्लेसमेंट सर्जरी करवानी पड़ती है। आर्थोप्लास्टी एक सर्जिकल विधि है, जो जोड़ों के काम को पुनः सुचारू रूप से स्थापित कर देती है। आर्थोप्लास्टी कराने वाले मरीज के जोड़ों के दर्द में सुधार होता है, वह दैनिक गतिविधियां कर पाता है और उसके जीवन में सुधार आता है।
इसे भी पढ़ें: आर्थराइटिस के मरीज भूल से भी न खाएं ये 3 चीजें, बढ़ा सकता है आपके जोड़ों का दर्द
ऑस्टियोआर्थराइटिस के लिए डॉक्टर की सलाह
डॉक्टरों के अनुसार, मरीज चिंता व डर के चलते सर्जरी से बचते हैं। आर्थोप्लास्टी में देर करने से न केवल उनके जोड़ों को ऐसी क्षति हो सकती है, जो सुधारी न जा सके, अपितु उनके दैनिक जीवन में अन्य समस्याएं भी उत्पन्न हो सकती हैं। शुरुआती चरण में ही आर्थोप्लास्टी करा लेने से मरीज जल्दी ठीक हो जाता है और उसकी जीवन की गुणवत्ता वापस आ जाती है। आज आर्थोप्लास्टी एंड-स्टेज अर्थराइटिक कंडीशन के लिए सबसे सफल व किफायती प्रक्रियाओं में से एक है। दर्द, दैनिक गतिविधि, जीवन की बेहतर गुणवत्ता के मामले में मरीजों के परिणामों में भारी सुधार देखने को मिला है। दुनिया में लाखों मरीज आर्थोप्लास्टी का लाभ उठा चुके हैं।
यदि आप या आपके परिवार को कोई सदस्य ऊपर बताए गए किसी भी लक्षण से पीड़ित है, तो आप अपने डॉक्टर से परामर्श लें।
Read More Articles On Arthritis In Hindi
इस जानकारी की सटीकता, समयबद्धता और वास्तविकता सुनिश्चित करने का हर सम्भव प्रयास किया गया है हालांकि इसकी नैतिक जि़म्मेदारी ओन्लीमायहेल्थ डॉट कॉम की नहीं है। हमारा आपसे विनम्र निवेदन है कि किसी भी उपाय को आजमाने से पहले अपने चिकित्सक से अवश्य संपर्क करें। हमारा उद्देश्य आपको जानकारी मुहैया कराना मात्र है।