
कान में दर्द होने के पीछे अनेक कारण छिपे हो सकते हैं। ऐसे में यहां दिए लक्षणों को पहचानकर आप समय पर अपना इलाज करवा सकते हैं।
अंदरूनी हिस्से में उठने वाले कान के दर्द में सूजन या संक्रमण आदि कारण छिपे होते हैं। इस दर्द से अच्छे बच्चे ज्यादा परेशान रहते हैं लेकिन व्यस्को में भी इस तरह की समस्या सामने आती है। कान का दर्द किसी गंभीर समस्या का लक्षण नहीं है लेकिन पीड़ा ज्यादा होती है। ऐसे में हमें पता होना चाहिए कि कान के दर्द के लक्षण क्या होते हैं। हमें डॉक्टर से कब सलाह लेनी चाहिए और इसके पीछे कारण क्या है? इसके बारे में पहले से ही पता हो तो समस्या से लड़ा जा सकता है। आज हम से आपको उन समस्याओं के बारे में बताएंगे जिनके कारण इस तरह का दर्द उठता है। साथ ही लक्षण और कारण भी जानेंगे। पढ़ते हैं आगे...
इन 10 कारणों से उठता है कान में दर्द
- 1- ग्लू ईयर की समस्या- बता दें कि कान के परदे के पीछे मोटा या चिपचिपा तरल पदार्थ निकलने लगता है, जिसके कारण सुनने की शक्ति को नुकसान पहुंचता है।
- 2- स्विमर्स ईयर की समस्या- अधिक गर्मी होने पर या नमी के कारण कान के अंदर की त्वचा की परत पर सूजन आ जाती है, जिसके कारण यह समस्या होती है।
- 3- फोड़े की समस्या- किसी भी जीवाणु संक्रमण के कारण कान की सतह पर फोड़ा हो सकता है। ऐसे में इस संक्रमण के कारण प्रचार की समस्याएं भी नजर आने लगती हैं।
- 4- कान का कैंसर- कान का कैंसर आमतौर पर कान की बाहरी त्वचा पर होता है। ऐसा नहीं है कि कान के अंदर कैंसर नहीं होता है लेकिन इस तरह के मामले बहुत कम देखे गए हैं। ऐसे में कार्सिनोमा और मेलानोमा कान के पर्दों को प्रभावित कर सकते हैं। यह दोनों कैंसर कान के भीतर भी पाए जाते हैं।
- 5- कोलस्टेटोमा की समस्या- अगर आपको अपने कान के मध्य में असामान्य वृद्धि होती नजर आए तो समझ जाइए यह कोलस्टेटोमा के लक्षण है। ऐसे में तुरंत डॉक्टर की सलाह लेना चाहिए।
- 6- ओटाइटिस रोग- यह समस्या कान के अंदर सूजन या तरल पदार्थ को पैदा करती है। यह समस्या तब होती है जब काम संक्रमित हो जाता है।
- 7- बारोट्रोमा- यह समस्या हवा या पानी के कारण पैदा हो सकती है। इसके अलावा जो लोग ऊंचाई जैसे स्कूबा ड्राइविंग, पहाड़ पर चढ़ना आदि का अनुभव लेते हैं उन्हें भी यह समस्या हो सकती है।
- 8- मेनियर रोग- जब भी कान में कोई द्रव बनने लगे तो मेनियर की समस्या सामने आ सकती है। ऐसे में इस समस्या के लक्षणों में चक्कर आना, टिनिटस आदि आते हैं।
- 9- इसके अलावा कान के परदे में छेद होना होने से भी कान में दर्द पैदा हो सकता है।
- 10- कान बंद होने से भी दर्द का अनुभव होता है।
कान के रोग के लक्षण क्या है?
चक्कर आने की समस्या, बुखार चढ़ जाना, कान का लाल पड़ जाना, उल्टी आना, जी मिचलाना, कान का अपने आप बजना शुरू हो जाना, कुछ भी सुनाई ना देना, कान में दर्द होना, कान में सूजन आना, कान की परत उतरना, कान की त्वचा पर निशाना आना, कान से खून आना, सुनने में परेशानी होना आदि लक्षण होते हैं।
कान की समस्या से शरीर को क्या-क्या नुकसान हो सकते हैं?
व्यक्ति को सुनना कम हो जाता है। वह स्थाई रूप से बहरा हो जाता है, उसे थकान होने लगती है, वह तनाव में रहने लगता है, उसे डिप्रेशन होने लगता है, वे संक्रमण का शिकार हो जाता है, कान के परदे क्षतिग्रस्त हो जाते हैं आदि नुकसान पहुंच सकता है।
कान के दर्द होने पर डॉक्टर को कब दिखाएं
कान के संक्रमित होने पर, एलर्जी होने पर, फ्लू होने पर, जुखाम होने पर, चोट लगने पर, कान से बहुत तेज आवाज आने पर, टॉन्सिल्स होने पर, सिर में चोट लगने पर, माइग्रेन होने पर, साइनस से परेशान होने पर, डॉक्टर की सलाह तुरंत लें।
इसे भी पढ़ें- क्या यूरिन के साथ प्रोटीन आना किसी खतरे का संकेत है? जानें क्या कहते हैं एक्सपर्ट
कान के दर्द से कैसे बचाएं
- नियमित रूप से कानों की सफाई करने से इस तरह की समस्या दूर रहती हैं।
- इसके अलावा आप किसी ऐसी जगह पर मौजूद हैं जहां पर शोर है तो आप अपने कानों में कॉटन का उपयोग करके इस शोर से बच सकते हैं।
- यदि आपको स्विमर ईयर परेशानी है तो कानों में पानी जाने से रोकना भी आपकी जिम्मेदारी है। ऐसे में आप ईयर प्लस का इस्तेमाल कर सकते हैं।
- कुछ लोगों की आदत होती है कि वे कान की सफाई के लिए किसी भी उपकरण जैसे- पेंसिल, चाबी आदि का इस्तेमाल कर लेते हैं। ऐसे में लोगों को बता दें कि ऐसे करने से कानों के परदे में क्षति पहुंच सकती है। इसीलिए कान की सफाई के लिए रूई का इस्तेमाल करें।
क्यों होती है कानों की समस्या
सिगरेट के धुएं के संपर्क में आने से, जलवायु के परिवर्तन होने से, ऊंचाई में परिवर्तन आने से, किसी बीमारी का शिकार हो जाने से, उम्र बढ़ने से और बच्चों में ये बीमारियां पैसीफायर का उपयोग करने से होती हैं।
इसे भी पढ़ें- शरीर में एंटीऑक्सीडेंट्स की कमी से हो सकती हैं कई समस्याएं, जानें 5 कारण क्यों जरूरी हैं Antioxidants
एक्सपर्ट कानों का परीक्षण कैसे करते हैं?
कानों की जांच के लिए डॉक्टर ऑटोस्कोप नामक उपकरण का इस्तेमाल करते हैं। सिर का सीटी स्कैन भी इसके जांच का हिस्सा है। इसके अलावा सुनने की क्षमता की जांच की जाती है। ब्लड टेस्ट और एमआरआई टेस्ट करवाने की सलाह डॉक्टर द्वारा दी जाती है।
इसे भी पढ़ें- आपकी हथेली भी देती है कई बीमारियों के संकेत, जानें ऐसे 5 लक्षण जिन्हें नजरअंदाज नहीं करना चाहिए
डॉक्टर कान के रोगियों का इलाज किस प्रकार करते हैं?
उनकी डाइट में बदलाव लाकर, दर्द निवारक गोलियां देकर, कान की प्लास्टिक सर्जरी के माध्यम से, टिनिटस फ्री ट्रेनिंग थेरेपी के माध्यम से, ऑटो प्लास्टिक के माध्यम से, तनाव को दूर रखने के लिए, अन्य थेरेपी के माध्यम आदि से इलाज होता है। इसके अलावा कान की समस्या अगर गंभीर रूप ले ले तो डॉक्टर ऑडियोलॉजिस्ट की सलाह के लिए भी कहते हैं।
(ये लेख आकाश हैल्थकेयर के ईएनटी स्पेशलिस्ट अभिनित कुमार से बातचीत पर आधारित है।)
Read More Articles on other diseases in hindi
इस जानकारी की सटीकता, समयबद्धता और वास्तविकता सुनिश्चित करने का हर सम्भव प्रयास किया गया है हालांकि इसकी नैतिक जि़म्मेदारी ओन्लीमायहेल्थ डॉट कॉम की नहीं है। हमारा आपसे विनम्र निवेदन है कि किसी भी उपाय को आजमाने से पहले अपने चिकित्सक से अवश्य संपर्क करें। हमारा उद्देश्य आपको जानकारी मुहैया कराना मात्र है।