विशेषज्ञों ने पता लगाया है कि इनसान के दिमाग में एक ऐसा सर्किट होता है जो किसी परिस्थिति में दिमाग को सोचने से रोकता है।
ह्यूसटन स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सास, स्वास्थ्य विज्ञान केंद्र और सैन डियागो की यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया के वैज्ञानिको ने यह जानकारी दी।
विशेषज्ञों ने सोचा कि क्या लोगों के शरीर के अंदर स्वानुशासन का ऐसा कोई यंत्र या प्रक्रिया है, जिससे किसी सहयोगी से या सोशल मीडिया पर किसी मित्र से बात करते हुए कब और कहां रुका जाए, इसका निर्धारण किया जा सके।
जांच और शोध के बाद वैज्ञानिक ऐसे किसी तंत्र अथवा प्रणाली के बारे में पता लगाने में कामयाब हुए। वैज्ञानिकों ने सफलतापूर्वक एक ऐसी तकनीक पेश की है, जिससे दिमाग की अनूठी उत्तेजन प्रणाली के जरिए स्वानुशासन को बढ़ाया जा सकता है।
वैज्ञानिकों का कहना है कि अक्सर कई लोग इस बात का निर्धारण नहीं कर पाते कि किसी दोस्त या सोशल मीडिया पर किसी से बात करते समय कहां और कब रुकना चाहिए। ऐसी स्थिति से निपटने के लिए इनसान के दिमाग में एक यंत्र मौजूद होता है। विशषेज्ञों ने एक ऐसी तकनीक पेश की जिससे दिमाग की उत्तेजन प्रणाली के माध्यम से स्वानुशासन प्रणाली को तेज किया जा सकता है।
यूटीहेल्थ मेडिकल स्कूल के द विवियन एल. स्मिथ डिपार्टमेंट ऑफ न्यूरोसर्जरी में एसोसिएट प्रोफेसर और इस शोध के वरिष्ठ लेखक नितिन टंडन ने कहा, "हमारे दैनिक जीवन मे ऐसे तमाम अवसर आते हैं, जहां किसी को भी प्रतिक्रियाओं को रोकना चाहिए। उदाहरण के लिए उस समय हर हाल में, जब बात सामाजिक संदर्भ में अनुचित हो तो बोलना रोक दें।"
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