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कई परेशानियों का एक समाधान है पंचकर्म, आयुर्वेदाचार्य बता रहे हैं ये कितने प्रकार का होता है

पंचकर्म एक आयुर्वेदिक चिकित्सा प्रणाली है। पंचकर्म का इस्तेमाल शरीर की अशुद्धियों को बाहर निकालने के लिए किया जाता है।
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कई परेशानियों का एक समाधान है पंचकर्म, आयुर्वेदाचार्य बता रहे हैं ये कितने प्रकार का होता है


आज की आधुनिक जीवनशैली, तनाव, जंक, प्रोसेस्ड फूड और अनियमित नींद के कारण लोगों को विभिन्न प्रकार की स्वास्थ्य समस्याएं हो रही हैं। मोटापा, अक्सर सिर में दर्द रहना, उल्टी, दस्त और कब्ज जैसी परेशानियां इन दिनों आम होती जा रही है। ऐसे में पंचकर्म स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मददगार होती है। पंचकर्म एक आयुर्वेदिक चिकित्सा प्रणाली है, जो शरीर की अशुद्धियों को दूर करती है। इससे विभिन्न प्रकार की बीमारियों का खतरा भी कम होता है। इस लेख के माध्यम से हम आपको बताने जा रहे हैं पंचकर्म क्या है और पंचकर्म कितने प्रकार का होता है।

पंचकर्म क्या है- What is Panchkaram

दिल्ली की आशा आयुर्वेदा की डायरेक्टर और पंचकर्म स्पेशलिस्ट डॉ. चंचल शर्मा का कहना है कि पंच का अर्थ होता है पांच और कर्म का मतलब है क्रिया। यानी पंचकर्म वह प्रक्रिया है जिसमें पांच विशिष्ट प्रकार की शुद्धिकरण क्रियाएं की जाती हैं। इससे शरीर और मन का संतुलन बनाने में मदद मिलती है। पंचकर्म से शरीर के तीन दोष वात, पित्त और कफ को भी संतुलित किया जाता है। जिसकी मदद से विभिन्न प्रकार की बीमारियां दूर होती हैं।

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पंचकर्म के पांच मुख्य प्रकार

डॉ. चंचल शर्मा बताती हैं कि जीवनशैली, खानपान के कारण होने वाली बीमारियों को दूर करने में पंचकर्म बहुत फायदेमंद होता है। पंचकर्म मुख्य रूप से 5 प्रकार का होता है। पंचकर्म का इस्तेमाल बीमारियों को दूर करने के लिए किया जाता है।

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1. वमन -Vamana

वमन पंचकर्म की वह प्रक्रिया है, जिसमें कफ दोष को संतुलित किया जाता है। वमन में विशेष औषधियों और घी से शरीर को तैयार किया जाता है और फिर वमन (उल्टी) की जाती है ताकि संचित कफ शरीर से बाहर निकले।

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वमन के फायदे

- वमन करवाने से शरीर को कई प्रकार के फायदे मिलते हैं। वमन करवाने से अस्थमा, ब्रोंकाइटिस, एलर्जी, पाचन संबंधी समस्याएं दूर होती हैं।

- वमन प्रक्रिया द्वारा की जाने वाली उल्टी से शरीर की चर्बी पिघलती है और मोटापा भी दूर होता है।

- त्वचा पर होने वाले दाग-धब्बे और अन्य परेशानियां भी वमन से कम होती हैं।

2. विरेचन- Virechana

विरेचन में दस्त द्वारा शरीर की अशुद्धियों को दूर किया जाता है। डॉ. चचंल शर्मा के अनुसार, विरेचन प्रक्रिया करने से पित्त दोष संतुलित होता है। इसमें शरीर को घी, तेल और हर्बल औषधियों से तैयार किया जाता है और फिर दस्त लाकर शरीर से विषाक्त पदार्थ बाहर निकाले जाते हैं।

विरेचन के फायदे

- विरेचन के जरिए पीलिया, अल्सर और जीवनशैली के कारण होने वाले सिरदर्द को ठीक किया जाता है।

- त्वचा से जुड़ी बीमारियां जैसे सोरायसिस, एक्जिमा से राहत दिलाने में भी विरेचन फायदेमंद होता है।

- पाचन से जुड़ी परेशानी जैसे कब्ज, पेट में दर्द और ऐंठन को दूर करने में विरेचन सहायक है।

3. बस्ती-Basti

बस्ती चिकित्सा वात दोष को संतुलित करने के लिए सबसे अच्छी मानी जाती है। बस्ती को हमेशा सर्टिफाइड आयुर्वेदिक एक्सपर्ट की सलाह पर ही करना चाहिए। बस्ती एक विशेष प्रकार का एनिमा होता है जिसमें औषधीय तेल, घृत या काढ़ा को मलाशय के जरिए बाहर निकाला जाता है।

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बस्ती चिकित्सा के फायदे

- पाचन से जुड़ी परेशानियों को दूर करने में बस्ती चिकित्सा फायदेमंद होती है।

- ये प्रक्रिया गठिया, जोड़ दर्द, लकवा, कमर दर्द को भी दूर करती है।

- फर्टिलिटी से संबंधी परेशानियों को दूर करने के लिए भी कुछ आयुर्वेदाचार्य बस्ती प्रक्रिया कराने की सलाह देते हैं।

- बस्ती शरीर के दोषों को दूर करके मानसिक शांति दिलाता है, जिससे तनाव कम होता है।

4. नस्य - Nasya

नस्य प्रक्रिया के दौरान नाक के जरिए शरीर के अंदर औषधीय तेल, अर्क या चूर्ण को डालने की कोशिश की जाती है। जिन लोगों को सिर और सिर के आसपास के क्षेत्र से जुड़ी बीमारियां होती हैं, उनका इलाज नस्य के जरिए किया जाता है।

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नस्य प्रक्रिया के फायदे

- डिलीवरी के बाद होने वाले हार्मोनल बदलावों के कारण बालों के झड़ने और गिरने की परेशानी को नस्य से दूर किया जा सकता है।

- जैसा कि हम पहले भी बात कर चुके हैं कि नस्या सिर के आसपास की परेशानियों को दूर करता है। नस्य साइनस, सिरदर्द, माईग्रेन में फायदेमंद होता है।

- स्क्रीनिंग के कारण होने वाले आंख, कान, गले की बीमारियों को दूर करने में भी नस्य फायदेमंद होता है।

5. रक्तमोक्षण- Raktamokshana

रक्तमोक्षण प्रक्रिया के जरिए शरीर के गंदे खून को बाहर निकाला जाता है। रक्तमोक्षण में जोंक (Leech therapy) के माध्यम से या शिराओं से खून निकालकर खून को साफ किया जाता है।

रक्तमोक्षण के फायदे

- ये पंचकर्म प्रक्रिया त्वचा रोग, फोड़े-फुंसी को दूर करती है।

- लॉन्ग स्क्रीनिंग के कारण होने वाले सिरदर्द और आंखों की जलन को भी ठीक करने में रक्तमोक्षण फायदेमंद होता है।

- हाई ब्लड प्रेशर से जुड़ी परेशानी से भी ये पंचकर्म प्रक्रिया सहायक होती है।

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पंचकर्म से होने वाले फायदे

  • पंचकर्म प्रक्रिया से शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मद मिलती है। पंचकर्म शरीर के विभिन्न अंगों को गहराई से साफ करके बीमारियों का खतरा कम करते है।
  • नियमित पंचकर्म से शरीर का इम्यून सिस्टम मजबूत होता है। इससे संक्रामक और मौसमी बीमारियां दूर होती हैं।
  • आधुनिक युग में होने वाले चिंता, तनाव, डिप्रेशन जैसी समस्याओं को भी पंचकर्म दूर करता है।
  • आयुर्वेदाचार्य के अनुसार पंचकर्म करवाने से शरीर का मेटाबॉलिज्म तेज होता है, जिससे वजन और मोटापा दोनों ही कम होते हैं।
  • खराब जीवनशैली के कारण होने वाली त्वचा और बालों की परेशानी को भी पंचकर्म ठीक करता है। इस प्रक्रिया से चेहरे के दाग-धब्बे और बालों का गिरना कम होता है।
  • अनिद्रा, बेचैनी और मानसिक अशांति को भी ये दूर करता है।

निष्कर्ष

डॉक्टर के साथ बातचीत के आधार पर हम ये कह सकते हैं कि पंचकर्म एक संपूर्ण आयुर्वेदिक चिकित्सा प्रणाली है जो न सिर्फ बीमारियों को दूर करती है, बल्कि शरीर को भी तेजी से रिकवर करने में सहायक होती है। हालांकि इसे कराने से पहले योग्य वैद्य की सलाह लेना जरूरी है ताकि आपकी प्रकृति, आयु और बीमारी के अनुसार सही पंचकर्म विधि का चयन किया जा सके।

FAQ

  • पंचकर्म से कितनी बीमारियां ठीक होती हैं?

    पंचकर्म से कई प्रकार की बीमारियां ठीक होती हैं। आयुर्वेदिक एक्सपर्ट के अनुसार, पंचकर्म से गठिया, एलर्जी, मोटापा, तनाव, त्वचा रोग, पाचन से जुड़ी बीमारियां, माइग्रेन, अनिद्रा, और मानसिक रोग जैसी बीमारियां ठीक होती हैं। हर प्रकार की बीमारी में एक अलग पंचकर्म थेरेपी को अपनाया जाता है। इसलिए पंचकर्म करवाने से पहले आयुर्वेदिक एक्सपर्ट के साथ अपनी परेशानी जरूर शेयर करें।
  • पंचकर्म कितने दिनों का होता है?

    पंचकर्म आमतौर पर 7 से 21 दिन तक चलता है। किसी व्यक्ति की पंचकर्म की प्रक्रिया कितने दिनों तक चलेगी ये व्यक्ति की बीमारी, आयु और प्रकृति पर निर्भर करती है। कुछ बीमारियों में पंचकर्म 7 से 10 दिनों तक किया जाता है। वहीं, कुछ बीमारियों में पंचकर्म की अवधि लंबी चलती है।
  • पंचकर्म करवाने में कितना खर्चा आता है?

    आमतौर पर पंचकर्म की लागत 5,000 से 50,000 तक हो सकती है। पंचकर्म करवाने का खर्च मुख्य रूप से पंचकर्म केंद्र, पंचकर्म के दौरान आपको क्या सुविधाएं दी जा रही हैं, इस पर निर्भर होता है।
  • क्या पंचकर्म के साइड इफेक्ट होते हैं?

    आमतौर पर पंचकर्म जैसी आयुर्वेदिक पद्धति का किसी प्रकार का साइड इफेक्ट नहीं होता है। अगर अनुभवी आयुर्वेदाचार्य की देखरेख में पंचकर्म करवाया जाए, तो किसी प्रकार का कोई साइड इफेक्ट नहीं होता है।

 

 

 

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