टीएनएज बच्चे किसी फूल के पेड़ की तरह होते हैं। जिस तरह से फूल के पेड़ों का सही से ख्याल न रखा जाए, तो वह सूख जाते हैं। ठीक वैसे ही टीएनएज बच्चों की परवरिश सही से न हो तो, वो गलत संगत में पड़कर अपनी जिंदगी को बर्बाद कर सकता है। आजकल के जमाने में पेरेंट्स टीएनएज बच्चों के मां-बाप नहीं बल्कि दोस्त बनकर रहना चाहते हैं। ज्यादातर टीएनएज बच्चों के पेरेंट्स को लगता है कि वह कूल व्यवहार करेंगे, तो इससे उनके बच्चों पर पॉजिटिव असर पड़ेगा। मेरे आसपास कई ऐसे पेरेंट्स हैं, जो बच्चों के साथ बिल्कुल दोस्तों वाला व्यवहार करते हैं। अगर आप भी कूल पेरेंट्स बनते हैं, तो एक बार फिर से सोच लीजिए। थेरेपिस्ट ऋरि त्रिवेदी की मानें, तो हर बार पेरेंट्स का कूल व्यवहार बच्चों पर नेगेटिव असर डाल सकता है। थेरेपिस्ट ऋरि त्रिवेदी ने अपने इंस्टाग्राम पर एक वीडियो शेयर किया है और बताया है कि पेरेंट्स को अपने टीएनज बच्चों के साथ कैसे बर्ताव करना चाहिए। साथ ही, एक्सपर्ट ने इस बात की भी जानकारी दी है कि टीएनएज बच्चों के लिए रूल्स होना क्यों जरूरी है। अगर आपके बच्चे में भी टीएनएज की उम्र में हैं तो आपको थेरेपिस्ट ऋरि त्रिवेदी की बताई गई बातों को एक बार जरूर सुनना चाहिए।
एक्सपर्ट का कहना है, मां-बाप को जरूरत से ज्यादा कूल पेरेंट बनने की कोशिश नहीं करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि जैसे ही बच्चे टीएनएज में आते हैं, मां-बाप उन्हें बहुत ज्यादा छूट दे देते हैं और ये कहते हैं कि अब हम दोस्त हैं और बच्चों के लिए कोई नियम वगैरह नहीं बनाते हैं जो कि बिल्कुल गलत है। पेरेंट्स को ऐसी मानसिकता बिल्कुल भी नहीं करनी चाहिए। पेरेंट्स को हमेशा इस बात का ध्यान रखना चाहिए, कि दोस्त हम उम्र के लोग होते हैं और बच्चों को सही-गलत का एहसास बड़ी उम्र के लोगों को करवाना होता है।
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नियमों का याद रखना है जरूरी