हर साल विश्व कैंसर दिवस इस घातक बीमारी के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए मनाया जाता है। आजकल महिलाओं में कैंसर के मामलों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है, जो एक गंभीर चिंता का विषय बन चुका है। महिलाओं में स्तन कैंसर, गर्भाशय कैंसर, डिम्बग्रंथि (ओवेरियन) कैंसर और गर्भाशय ग्रीवा (सर्वाइकल) कैंसर जैसे मामले काफी देखने को मिलते हैं। महिलाओं में कैंसर के बढ़ते मामलों के पीछे कई कारण हो सकते हैं, जैसे कि अनियमित लाइफस्टाइल, खराब खान-पान, मोटापा, हार्मोनल असंतुलन, धूम्रपान, शराब का सेवन और तनाव। इसके अलावा, पारिवारिक इतिहास का भी इस बीमारी में योगदान होता है, यदि परिवार में पहले से किसी को कैंसर हुआ हो, तो अगली पीढ़ी में इसके विकसित होने की संभावना अधिक होती है। इस लेख में धर्मशिला नारायणा सुपरस्पेशियलिटी अस्पताल के गाइनेकोलॉजिक ऑन्कोलॉजी की सीनियर कंसल्टेंट डॉ. रश्मि रेखा बोरा (Dr. Rashmi Rekha Bora, Head and Senior Consultant - Gynecologic oncology) से जानिए, परिवार में कैंसर का इतिहास होने पर महिलाओं में कैंसर का खतरा कैसे बढ़ता है।
महिलाओं में बढ़ रहे कैंसर के जोखिम में पारिवारिक इतिहास की भूमिका - Who Is At Risk For Gynecological Cancer
डॉ. रश्मि रेखा बोरा बताती हैं कि महिलाओं में होने वाले कैंसर, जैसे कि ओवेरियन, गर्भाशय (यूटेराइन) और सर्वाइकल कैंसर, महिलाओं के स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा (Does cancer come from genetics) बन सकते हैं। इन कैंसरों के विकसित होने में कई कारक भूमिका निभाते हैं, जिनमें पारिवारिक इतिहास का विशेष योगदान होता है। यदि परिवार में पहले से किसी महिला को ये कैंसर हो चुके हैं, तो अगली पीढ़ी में इसका जोखिम बढ़ सकता है।
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आनुवंशिक उत्परिवर्तन (म्यूटेशन) और कैंसर का जोखिम - How Do Genetic Mutations Increase The Risk Of Cancer
कुछ आनुवंशिक (जेनेटिक) परिवर्तन महिलाओं में होने वाले कैंसर की संभावना को बढ़ा सकते हैं। विशेष रूप से BRCA1 और BRCA2 जीन में म्यूटेशन, डिम्बग्रंथि और स्तन कैंसर के जोखिम को बढ़ाने के लिए जाने जाते हैं। इसके अलावा, लिंच सिंड्रोम से जुड़े जीन गर्भाशय और अन्य कैंसरों की संभावना को बढ़ा सकते हैं। यदि परिवार में पहले किसी को यह कैंसर हुआ है, तो संबंधित महिलाओं को सावधानी बरतनी चाहिए और जरूरी जांच करवानी चाहिए।
अगर किसी महिला के परिवार में पहले से महिलाओं में होने वाले कैंसर के मामले रहे हैं, तो उन्हें जेनेटिक काउंसलिंग (आनुवंशिक परामर्श) कराने की सलाह दी जाती है। यह परामर्श महिलाओं को उनके व्यक्तिगत जोखिम को समझने और जरूरी परीक्षण कराने में मदद करता है। रूटीन स्क्रीनिंग, जैसे कि पैप स्मीयर, ट्रांसवेजिनल अल्ट्रासाउंड और ब्लड टेस्ट, कैंसर के शुरुआती लक्षणों का पता लगाने में सहायक होते हैं।
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केवल अनुवांशिकता ही नहीं, अन्य कारक भी जिम्मेदार - What Other Things Besides Genetics Cause Cancer
हालांकि, जेनेटिक म्यूटेशन कैंसर के खतरे को बढ़ाते हैं, लेकिन यह एकमात्र कारण नहीं है। लाइफस्टाइल और पर्यावरणीय कारक भी महिलाओं में होने वाले कैंसर के विकास में भूमिका निभाते हैं।
खराब डाइट और मोटापा: ज्यादा वजन होने से हार्मोनल असंतुलन हो सकता है, जिससे गर्भाशय और डिम्बग्रंथि कैंसर का खतरा बढ़ सकता है।
धूम्रपान और शराब: ये आदतें शरीर में कोशिकीय क्षति बढ़ाती हैं और कैंसर के खतरे को कई गुना बढ़ा सकती हैं।
हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी (HRT): कुछ महिलाएं रजोनिवृत्ति के दौरान हार्मोन थेरेपी लेती हैं, जिससे कैंसर का खतरा बढ़ सकता है।
कैंसर ना हो इसके लिए क्या करना चाहिए? - What To Do To Prevent Cancer
- हेल्दी लाइफस्टाइल को फॉलो करें और पोषक तत्वों से भरपूर डाइट लें। इसके अलावा अपने वजन को भी कंट्रोल में रखें।
- पीरियड्स की अनियमितता पर ध्यान दें और किसी भी असामान्य लक्षण पर डॉक्टर से संपर्क करें।
- यदि परिवार में किसी को महिलाओं में होने वाला कैंसर हो चुका है, तो समय पर जेनेटिक टेस्ट करवाएं।
- धूम्रपान और शराब जैसी बुरी आदतें कोशिकाओं को नुकसान पहुंचा सकती हैं और कैंसर का खतरा बढ़ा सकती हैं।
महिलाओं में होने वाले कैंसर का अगर शुरुआती चरण में ही पता चल जाए, तो इसे प्रभावी रूप से कंट्रोल और इलाज किया जा सकता है। महिलाओं में होने वाले कैंसर के बारे में जागरूकता फैलाना बहुत जरूरी है, ताकि महिलाएं अपने स्वास्थ्य को लेकर सही फैसले ले सकें। डॉ. रश्मि रेखा बोरा के अनुसार, पारिवारिक इतिहास को जानना, समय पर जांच करवाना और हेल्दी लाइफस्टाइल को अपनाना महिलाओं को इस बीमारी से बचाने में अहम भूमिका निभा सकता है। महिलाओं को अपने स्वास्थ्य को प्राथमिकता देनी चाहिए और किसी भी असामान्य लक्षण को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।
निष्कर्ष
पारिवारिक इतिहास महिलाओं में होने वाले कैंसर के जोखिम को प्रभावित करता है, लेकिन सही जानकारी और रोकथाम के उपाय अपनाकर इस खतरे को काफी हद तक कम किया जा सकता है। जेनेटिक टेस्टिंग, नियमित जांच और हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाने से महिलाएं खुद को और अपने परिवार को सुरक्षित रख सकती हैं।
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