अक्सर माता-पिता इस परेशानी से जूझ रहे होते हैं कि उनका बच्चा बहुत ज्यादा फरमाइश करता है और वो पूरा न होने पर बच्चा नाराज़ हो जाता है। अगर आपके बच्चे भी इस बुरी आदत के शिकार हैं तो उनकी ये आदत छुड़वाने के लिए आपको बच्चों को शौक और जरूरत के बीच का फर्क समझाना होगा। जिन चीजों की जरूरत बच्चों को होती है उसे माता-पिता खुद ही ले आते हैं इसके अलावा जिन बच्चों की मांग बच्चे करते हैं वो ज्यादातर उनके शौक होते हैं। कभी-कभी बच्चे का मन रखने के लिए शौक पूरा करना गलत नहीं है पर हर बार आप बच्चे को उसकी मांगी हुई चीज़ दिला देंगे तो बच्चे जिद्दी बन सकते हैं, चलिए जानते हैं उनकी इस बुरी आदत से छुटकारा कैसे पाया जा सकता है।
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शौक और जरूरत में क्या अंतर होता है? (Difference between need and want)
जिन चीजों के बिना गुजारा मुश्किल है उसे हम जरूरत कहते हैं जैसे रोटी, कपड़ा मकान वहीं जिन चीजों को हम अपने आराम या मन के मुताबिक खरीदते हैं उन्हें हम शौक कह सकते हैं, बेशक शौक के लिए खरीदी गई चीजें भी हमारी जरूरत होती हैं पर उनके बिना भी आप सरवाइव कर सकते हैं। इसी अंतर को आप बच्चे को कम उम्र में जरूर सिखाएं ताकि वो चीजों को लेकर जिद्द करने की आदत न बनाए और बच्चे का स्वभाव चिड़चिड़ा बन रहा है तो इस फर्क को समझने से उसको बेहतर महसूस होगा।
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कुकिंग के जरिए सिखाएं शौक और जरूरत में अंतर
आप बच्चे को शौक और जरूरत में अंतर समझाने के लिए कुकिंग की मदद ले सकते हैं। आप बच्चे के साथ कोई आसान रेसिपी जैसे केक बेक करें। केक बेक करने के दौरान आप बच्चे को बता सकते हैं कि कौनसी सामग्री जरूरी है जिसके बिना केक बन नहीं सकता और कौनसी सामग्री ऐसी है जो केवल सजावट के लिए है, उसके बिना भी केक को बेक किया जा सकता है, इस आसान उदाहरण से बच्चा समझ जाएगा कि शौक और जरूरत में क्या अंतर होता है।
बच्चे जिद्द करें तो आपको क्या करना चाहिए?
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अक्सर ये देखा गया है कि बच्चे कुछ खरीदने की जिद्द करते हैं और माता-पिता उनकी जिद्द पूरी कर देते हैं इससे बच्चे पैसे की अहमियत नहीं समझते और उन्हें ये भ्रम हो जाता है कि हर चीज आसानी से खरीदी जा सकती है पर आपको हर बार बच्चों की जिद्द नहीं माननी चाहिए। उन्हें समझाएं कि किन चीजों की बच्चे को वाकई जरूरत है और किन चीजों को बच्चे महज़ शौक के लिए खरीद रहे हैं। अगर बच्चा उसके बाद भी जिद्द करता है तो आप उसे उन चीजों की लिस्ट बनाने के लिए कहें जिन चीजों की बच्चे को जरूरत है और उसे हर एक चीज को पाने के बदले एक अच्छी आदत को अडॉप्ट करने की प्रेरेणा दें ताकि बच्चे को खुद ही अहसास हो जाएगा कि उनकी फरमाइश महज़ एक शौक है।
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जिद्द करने पर बच्चे को डांटने की गलती न करें
अगर बच्चा अपनी फरमाइश आपके सामने रख रहा है तो उसे सिरे से खारिज न करें, इससे बच्चा आपके साथ अपने मन की बात शेयर करने से कतराएगा। आप बच्चे को डांटने की गलती न करें, बच्चे की फरमाइश को सुनें और कुछ देर बाद उसे प्यार से समझाएं, आप भी नाराज़गी दिखाएंगे तो बच्चा जिद्द कर सकता है।
इस तरह आप बच्चे को फरमाइश करने वाली बुरी आदत से बचा सकते हैं, जो माता-पिता बच्चे को बचपन में ही पैसे की अहमियत सिखा देते हैं उन्हें बाद में परेशानी नहीं आती, अगर आपका बच्चा फरमाइशें नहीं भी करता है तो भी उसे उसकी जरूरत और शौक के बीच का फर्क जरूर समझाएं।
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