गर्भावस्‍था में इसलिए होती हैं असामान्‍य धड़कनें

गर्भावस्‍था के दौरान दिल की असामान्‍य धड़कन आपके लाडले और आपके दोनों के लिए खतरनाक हो सकती है। इस लेख में हम आपको बता रहे हैं असामान्‍य धड़कन के कारण और उपचार के बारें में।
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गर्भावस्‍था में इसलिए होती हैं असामान्‍य धड़कनें


तेज चलने पर, भागने पर, उठने-बैठने पर या फिर थोड़ा सा ज्‍यादा परिश्रम करने पर अक्‍सर दिल की धड़कन तेज हो जाती है। इससे रक्‍त संचार बढ़ जाता है और कई बार घबराहट भी होने लगती है। गर्भावस्‍था के दौरान भी कई महिलाओं को दिल की धड़कन असामान्‍य होने की शिकायत होती है, ऐसे में उन्‍हें घबराहट होने लगती है।प्रेग्‍नेंसी के दौरान महिलाओं की हार्ट रेट 100 बीट प्रति मिनट तक पहुंच जाती है। इस प्रकार की धड़कनों को गर्भावस्‍था में असामान्‍य धड़कन कहते हैं। प्रेग्‍नेंसी पीरियड के 40 हफ्तों में महिला के शरीर में कई बदलाव होते हैं। इन बदलावों में गर्भस्‍थ महिला के शरीर में हारमोनल चेंज, गर्भनाल का बढ़ना, गर्भाश्‍य का बढ़ना और गर्भस्‍थ शिशु का बढ़ना आदि हैं। बदलावों से गुजरने के कारण गर्भस्‍थ महिला के हृदय पर तनाव बढ़ता है। बढ़ते तनाव को मैनेज करने में प्रेग्‍नेंट महिला की हार्ट रेट तेज हो जाती है।


यदि किसी प्रेग्‍नेंट महिला की हार्ट रेट और पल्‍स रेट नॉर्मल से ज्‍यादा है तो इसे असामान्‍य धड़कन कहा जाता है। दिल की असामान्‍य धड़कन दो प्रकार की होती है साइनस और नॉन साइनस। साइनस धड़कन भी दो तरह की होती है उचित और अनुचित धड़कनें। इसी तरह नॉन साइनस धड़कनों के भी दो प्रकार हैं सुपर-वेंट्रीकुलर और वेंट्रीकुलर। हार्ट के अपर चैंबर से आने वाली धड़कनों को सुपर-वेंट्रीकुलर कहा जाता है और हार्ट के लोअर चैंबर से आने वाली धड़कनें वेंट्रीकुलर कहलाती हैं।

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असामान्‍य धड़कन होने के कारण

  • एनीमिया से ग्रसित होना
  • महिला को मोटा होना
  • अस्‍थमा की बीमारी होना
  • फेफड़ों में रक्‍त के थक्‍के जमे होना
  • थाइराइड की समस्‍या
  • फेफड़ों में इनफेक्‍शन
  • ज्‍यादा परिश्रम करना
  • बुखार या डिहाइड्रेशन की समस्‍या
  • शरीर में खून की कमी होना
  • दवाईयों का साइड इफेक्‍ट होना
  • गर्भावस्‍था के दौरान ज्‍यादा मोटापा


असामान्‍य धड़कनों के लक्षण
प्रेग्‍नेंट महिला में दिल की असामान्‍य धड़कनों के निम्‍नलिखित लक्षण हो सकते हैं।

  • दिल का तेजी के साथ धड़कना
  • अचानक सीने में दर्द होना
  • सांस लेने में तकलीफ होना
  • चक्‍कर आना या बेहोश होना
  • थकान का अनुभव करना
  • शरीर के कुछ अंगों का सुन्‍न हो जाना


यदि प्रेग्‍नेंट महिला एनिमिक है, यानी उसे रक्‍त की कमी है, तो प्रेग्‍नेंसी के दौरान साइनस धड़कनें सामान्‍य हैं। वहीं सुपर-वेंट्रीकुलर धड़कनें मां और बच्‍चे दोनों के स्‍वास्‍थ्‍य के लिए नुकसानदेह‍ साबित हो सकती हैं। गर्भस्‍थ महिला को दिल की असामान्‍य धड़कनों की शिकायत होने पर जल्‍द चिकित्‍सक से परामर्श करना चाहिए।

 

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असामान्‍य धड़कनों का उपचार
गर्भावस्‍था के दौरान दिल की असामान्‍य धड़कन में सबसे पहले आपको यह जानकारी होनी चाहिए कि क्‍या वास्‍तव में ऐसा है या आपको केवल महसूस हो रहा है। यदि आपको यह शिकायत हैं तो यह भी जानकारी होनी चाहिए कि आपकी असामान्‍य धड़कनों का कारण क्‍या है?

  • प्रेग्‍नेंसी के दौरान गर्भस्‍थ महिला का वजन नियंत्रण में रहना चाहिए।
  • महिला को अपने वजन की समय- समय पर जांच करानी चाहिए।
  • गर्भस्‍थ महिला को कैफीन, तम्‍बाकू, एल्‍कोहल और ड्रग्‍स के सेवन से परहेज करना चाहिए।
  • यदि दिल की असामान्‍य धड़कन फेफड़ों की बीमारी के कारण हो रही है तो इसका तुरंत उपचार कराना चाहिए।
  • गर्भस्‍थ महिला को दिल की असामान्‍य धड़कन होने पर बिना डॉक्‍टर के परामर्श के दवाई नहीं लेनी चाहिए। कुछ लोग लापरवाही में मेडिकल स्‍टोर से दवाई लेकर खा लेते हैं, इससे आपकी परेशानी और बढ़ सकती है।


घरेलू उपचार

  • आलू बुखारा व अनार खाने से दिल की बढ़ी हुई धड़कन को कंट्रोल में किया जा सकता है।
  • अनार के पत्‍तों को पानी में डालकर हल्‍की आंच पर उबालें। यह काढ़ा सुबह-शाम पीने से दिल मजबूत होता है और दिल की धड़कन सामान्‍य रहती है।
  • गाजर और पालक के रस को पीने से भी दिल की असामान्‍य धड़कन में राहत मिलती है।


यदि इसके बाद भी आपको दिल की असामान्‍य धड़कनों से आराम नहीं मिलता तो डॉक्‍टरी परामर्श अवश्‍य लें।

Image Source-Getty

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