फीटल किक के बारे में सबकुछ

फीटल किक से बच्चे की मौजुदगी का पता चलता है। फीटल किक का अहसास गर्भावस्था के चौबीसवें हफ्ते में होता है। सोलहवें हफ्ते में फीटल किक के बारे में केवल सुन सकते हैं जो गैस बबल की तरह पेट में चलते हैं।
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फीटल किक के बारे में सबकुछ


प्रेगनेंसी महिलाओं के जीवन के सबसे खूबसूरत पलों मे से एक होता है क्योंकि वो एक ज़िंदगी को दुनिया मे लाने वाली होती है, इसके बाद वो अपनी ज़िंदगी के एक बिल्कुल नये दौर मे कदम रखती है जो उसके लाइफस्टाइल, एमोशन्स, रिलेशनशिप को बदल कर रख देती है

जिस समय प्रेगनेंसी कन्फर्म होती है उसी वक़्त से बच्चे के आने की तैयारियाँ शुरू हो जाती है हालाँकि देखा जाए तो पहले हफ्ते मे प्रेगनेंसी का कोई संकेत महिलाओं को नही नज़र आता, ना महिलाओं का पेट फूलता ना बच्चे के हिलने का पता लगता आदि, कुछ महिलाओं को मूड बदलाव होने की शिकायत हो सकती है लेकिन प्रेगनेंसी की पुष्टि केवल अल्ट्रासाउंड से की जा सकती है

Fetal kick

जैसे जैसे बच्चा बड़ा होता जाता है वैसे वैसे ही वो अपनी मौजूदगी का एहसास कराने लगता है लेकिन महिलाओं के साथ ही उनके पति भी बच्चे की किक सोलहवे हफ्ते से सुन सकते हैं बच्चे की यह किक किसी गैस बबल की तरह पेट मे पता चलती हैं कभी कभी इन्हे पेट मे स्माल बटरफ्लाई भी कहते हैं ज़्यादातर केस मे माताओं को बच्चों का यह हलचल पता नही चलता और वो इसे गैस समझ बैठती हैं

बीसवे हफ्ते तक ज़्यादातर महिलाओं को फीटल किक्स के बारे मे पता चल जाता है बल्कि इस समय तक एक माँ को अपने बच्चे के सोने और जागने की साइकल का भी पता लग जाता है ऐसा कई महिलाओं मे देखा गया है की उन्हे पहले फीटल किक का एहसास करीब चौबीस हफ्ते बाद होता है लेकिन यह बिल्कुल सामान्य है क्योंकि हर महिला की बनावट अलग अलग होती है और कई हद तक यह अमीनो फ्लूईड की मात्रा पर भी निर्भर करता है

याद रखें की कभी भी बेबी की फीटल किक्स कि तुलना दूसरे बच्चे से ना करें, क्योंकि हर बच्चा अलग होता है कुछ बच्चे काफ़ी चुस्त होते हैं तो किक्स ज़्यादा होती हैं जिससे कभी कभी माँ को लगता है की शायद अंदर कोई फुटबाल मैच चल रहा है, लेकिन कुछ बच्चे सुस्त होते हैं जो ज़्यादा हरकतें नही करते इस कारण माँ को उनकी चिंता होने लगती है !

बत्तीसवे हफ्ते तक फीटल किक काफ़ी ज़्यादा होने लगते हैं लेकिन उसके बाद धीरे धीरे इसमे कमी आने लगती है क्योंकि बच्चा फुल ग्रोन हो जाता है और ज़्यादा हिलने के लिए उसके जगह नही रहती, इन कारणों से बच्चे को हिलने डुलने मे भी मुश्किल होती है !

चौबीस घंटे के अंतराल मे बच्चे की एक्टिविटीज-  यूटरस के अंदर ज़्यादातर बच्चे तभी एक्टिव रहते हैं जब माँ विश्राम कर रही होती हैं और जब माँ उठी होती है तो वह आराम कर रहे होते हैं जब माँ जागी हुई होती है तो उसकी बॉडी नेचुरल स्विंग मे होती है और बच्चा इनएक्टिव हो जाता है लेकिन जब माँ आराम करती है तो यह स्विंग रुक जाता है इसी कारण बच्चा उठ जाता है इसलिए उसकी हलचल बढ़ जाती हैं ख़ासतौर से खाना खाने के बाद बच्चे की हरकतें बढ़ जाती है क्योंकि खाने के बाद ब्लड शुगर लेवल बढ़ जाता है जो बच्चे को ताक़त प्रदान करता है और बच्चे की हरकतों मे बढ़ोतरी देखी जाती है

आख़िर मे यही कहेंगे कि एक फेटस खाने के बाद सबसे ज़्यादा एक्टिव होता है जब माँ आराम कर रही होती है। 

 

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