ताल सिंदूर है पुरानी बीमारियों की खास आयुर्वेदिक औषधि, जानें इसके फायदे

ताल सिंदूर एक आयुर्वेदिक औषधि है जो इम्यूनिटी बढ़ाने, पुरानी बीमारियों के इलाज करने और फेफड़ों की कमजोरी दूर करने में फायदेमंद हो सकती है।
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ताल सिंदूर है पुरानी बीमारियों की खास आयुर्वेदिक औषधि, जानें इसके फायदे


अक्सर लोग आयुर्वेद को सिर्फ पेड़-पौधों की पत्तियों, जड़ों या छाल तक सीमित मानते हैं। लेकिन सच्चाई ये है कि आयुर्वेद के ग्रंथों में कई ऐसी औषधियों का भी वर्णन मिलता है, जिन्हें विशेष खनिज और धातुओं के संयोजन से तैयार किया जाता है। ताल सिंदूर ऐसी ही एक महत्वपूर्ण औषधि है, जिसका उल्लेख प्राचीन आयुर्वेदिक ग्रंथों में विस्तार से मिलता है। ताल सिंदूर को मुख्य रूप से पारा (Mercury), गंधक (Sulphur) और हरताल (Arsenic compound) के द्वारा शुद्धिकरण और संस्कार की जटिल प्रक्रिया से तैयार किया जाता है। इस विधि के कारण यह औषधि शरीर पर गहरा असर करने के बावजूद सुरक्षित मानी जाती है।

आयुर्वेद में ताल सिंदूर को 'रसायन' औषधि कहा गया है। यानी यह सिर्फ रोगों का उपचार करने के लिए ही नहीं, बल्कि शरीर को ताकत देने, लंबी उम्र और बेहतर स्वास्थ्य बनाए रखने के लिए भी उपयोगी मानी जाती है। यही वजह है कि कई आयुर्वेदिक चिकित्सक आज भी गंभीर रोगों के उपचार में ताल सिंदूर का इस्तेमाल करते हैं। आइए जानते हैं इसके प्रमुख फायदे।

रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बनाए

कमजोर इम्यूनिटी आज की सबसे आम समस्या है। बार-बार खांसी-जुकाम होना, संक्रमण जल्दी लग जाना या थकान बने रहना इसके लक्षण हो सकते हैं। ताल सिंदूर शरीर की प्राकृतिक रक्षा शक्ति को बढ़ाने में मदद करती है। यह खून को शुद्ध करती है और कोशिकाओं को ताकत देती है, जिससे शरीर संक्रमण और बीमारियों से बेहतर तरीके से मुकाबला कर पाता है।

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पुराने रोगों के इलाज में सहायक

कुछ बीमारियां लंबे समय तक बनी रहती हैं और सामान्य इलाज से पूरी तरह ठीक नहीं होतीं। आयुर्वेदिक चिकित्सक ताल सिंदूर को ऐसे ही मामलों में उपयोगी मानते हैं। बार-बार आने वाला बुखार, पुरानी खांसी या सांस की तकलीफ जैसी स्थितियों में यह औषधि बीमारी की जड़ तक असर करती है और रोग को काबू करने में सहायक होती है।

उम्र बढ़ने की प्रक्रिया करती है धीमी

आयुर्वेद में ताल सिंदूर को 'वयोवर्धक' औषधि कहा गया है। इसका मतलब है कि यह बुढ़ापे की प्रक्रिया को धीमा करने में मदद करती है। इसके सेवन से कोशिकाओं को होने वाला नुकसान कम हो सकता है, जिससे त्वचा पर उम्र बढ़ने के असर देर से दिखते हैं और शरीर की ऊर्जा लंबे समय तक बनी रहती है।

पाचन तंत्र को दुरुस्त करे

पाचन की गड़बड़ी शरीर को कई बीमारियों की ओर धकेल सकती है। ताल सिंदूर को पाचन तंत्र को संतुलित रखने वाली औषधि माना गया है। यह भूख को नियंत्रित करती है, अग्नि को संतुलित रखती है और पोषक तत्वों के अवशोषण में मदद करती है, जिससे शरीर को भरपूर पोषण मिल पाता है।

हृदय और फेफड़ों की कार्यक्षमता बढ़ाए

हृदय और फेफड़े शरीर के सबसे अहम अंग हैं। ताल सिंदूर इन्हें स्वस्थ रखने में मदद कर सकता है। यह हृदय में रक्त संचार को संतुलित रखता है। वहीं फेफड़ों से जुड़ी समस्याओं जैसे अस्थमा, सांस फूलना और पुरानी खांसी में भी इसे लाभकारी माना गया है।

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क्यों खास है ताल सिंदूर?

ताल सिंदूर की खासियत सिर्फ इसके गुणों में ही नहीं, बल्कि इसे बनाने की प्रक्रिया में भी छिपी है। धातुओं और खनिजों के शुद्धिकरण के बाद पारंपरिक संस्कार विधि से तैयार होने के कारण यह औषधि गहरी बीमारियों तक असर करती है। यही वजह है कि इसे आयुर्वेद में एक विशेष स्थान प्राप्त है।

आयुर्वेद का असली लाभ तभी मिलता है जब औषधियां शुद्ध और प्रमाणित हों। Patanjali Ayurveda इसी परंपरा को आगे बढ़ाते हुए ताल सिंदूर जैसी दवाएं शास्त्रीय विधि से तैयार करता है। आधुनिक विज्ञान और प्राचीन ज्ञान के मेल से बनी ये औषधियां स्वास्थ्य को सुरक्षित और प्राकृतिक तरीके से बेहतर बनाने में सहायक हैं। ताल सिंदूर Patanjali Ayurveda के ऑनलाइन और ऑफलाइन स्टोर्स पर उपलब्ध है। ध्यान रखें इसका उपयोग करने से पहले आयुर्वेदिक डॉक्टर की सलाह जरूर लें।

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  • Sep 25, 2025 17:10 IST

    Published By : Anurag Gupta

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