एसिडिटी पेट से जुड़ी एक आम समस्या है। गर्मी के मौसम में एसिडिटी और अपच की समस्या बढ़ जाती है। इसके कारण व्यक्ति के सीने और पेट में जलन महसूस होती है। एसिडिटी को मेडिकल भाषा में गैस्ट्रोएसोफेजियल रिफलक्स डिजीज कहते हैं। आजकल जंक फूड्स, एसिडिक फूड्स और मिर्च-मसाले वाले फूड्स खाने से एसिडिटी आम समस्या बन चुकी है।
आमतौर पर आप यही जानते हैं कि सीने में जलन होना या पेट में समस्या होना एसिडिटी का लक्षण है। मगर इसके अलावा भी एसिडिटी के तमाम लक्षण हैं, जिनसे लोग अंजान रहते हैं। आइए आपको बताते हैं एसिडिटी की कुछ असामान्य लक्षण और इसके इलाज के लिए कुछ आसान घरेलू उपायों के बारे में।
कहते हैं अधिकांश बीमारियों की जड़ पेट में होती है। यदि पाचन करने वाले किसी भी अंग में कोई खराबी हो जाए, तो पेट से संबंधित समस्याएं शुरू हो जाती हैं। यदि आपको पेट के भारीपन, बार-कई बार खट्टी डकारें, छाती में बेचैनी, जी मिचलाना, दिल की धड़कन तेज होना, पेट में तेज दर्द, पेशाब में जलन या रुकावट आदि का अनुभव हो सतर्क हो जाएं, यह एसिडिटी हो सकती है। वे लोग जिनकी पाचन शक्ति खराब होती है या जो कब्ज के शिकार रहते हैं, उन लोगों को गैस और एसिडिटी की समस्या अधिक होती है। आइये जानें एसिडिटी के कुछ अन्य मुख्य लक्षणो के बारे में।
एसिडिटी के लक्षण
सीने या छाती में जलन व मुंह में खट्टा पानी रह-रह कर मुंह में खट्टा पानी आना एसिडिटी का प्रमुख लक्षण है। एसिडिटी की वजह से सीने में दर्द भी हो सकता है। लगातार एसिडिटी होने पर यह गंभीर समस्या का रूप भी ले सकती है। एसिडिटी होने पर रोगी को लगता है कि जैसे भोजन करने पर वह उसके गले में ही अटक गया है, या कई बार डकार के साथ खाना मुंह में भी आ जाता है। अलावा रात को सोते समय इस तरह की दिक्कत अधिक होती है। कुछ गंभीर मामलों में मुंह में खट्टे पानी के साथ खून भी आ सकता है।
टॉप स्टोरीज़
एसिडिटी के कुछ अनसुने लक्षण
आमतौर पर लोगों को यही लगता है कि एसिडिटी खराब खान-पान की वजह से होती है और इसमें मुंह में खट्टा पानी और डकारें आना ही इसके लक्षण होते हैं। लेकिन एसिडिटी के कुछ अन्य लक्षण भी होते हैं, आमतौर पर जिन पर लोगों का ध्यान नहीं जाता है।
इसे भी पढ़ें:- एक्सपर्ट से जानें हाई ब्लड प्रेशर के लक्षण, खतरे और बचाव के तरीके
मुंह में छाले
मुंह में छाले की वजह कब्ज से होने वाली एसिडिटी की वजह से भी हो सकते हैं।
होंठ फटना
आपको यह जानकर आश्चर्य जरूर होगा, लेकिन एसिडिटी की वजह से भी आपके होंठ भी फट सकते हैं। त्वचा तैलीय होने और मौसम में भी नमी होने के बावजूद यदि आपके होंठ फटते हैं तो, यह एसिडिटी के कारण हो सकता है।
त्वचा रूखी होना
अधिक और लगातार एसिडिटी होने पर इसका प्रभाव आपकी त्वचा पर भी पड़ता है। एसिडिटी होने पर त्वचा की नमी खत्म होने लगती है जिससे त्वचा रूखी हो जाती है।
इसे भी पढ़ें:- स्ट्रोक से एक महीने पहले ही शरीर देने लगता है ये 6 संकेत, रहें सावधान
दांत खराब होना
एसिडिटी पैदा करने वाले खाने को चबाते समय कई बार लार के साथ एसिटिक रिएक्शन होते हैं, जो दांतों और मसूड़ों को कमजोर बनाते हैं और मुंह से संबंधित कई समस्याएं होने लगती हैं।
आंखों में समस्याएं
अधिक एसिडिटी होने पर कई बार आंखों से आंसू आने या कंजक्टिवाइटिस संक्रमण की समस्या भी हो सकती है।
एसिडिटी के कारण
जानकारों के मुताबिक आमाशय में पाचन क्रिया के लिए हाइड्रोक्लोरिक अम्ल तथा पेप्सिन का स्राव होता है। आमतौर पर यह अम्ल तथा पेप्सिन आमाशय में ही रहते हैं व भोजन नली के सम्पर्क में नहीं आते। आमाशय तथा भोजन नली के जुड़ने वाले स्थान पर कुछ विशेष प्रकार की मांसपेशियां होती है, जो अपनी सिकुड़ने की क्षमता से आमाशय व आहार नली का मार्ग बंद रखती है, हालांकि कुछ खाने-पीने पर खुल जाती हैं।
जब इन मांसपेशियों में कोई खाराबी आ जाती है तो कई बार ये अपने आप ही खुल जाती हैं, और एसिड तथा पेप्सिन भोजन नली में आ जाते हैं। जब ऐसा कई बार होता है तो आहार नली में सूजन व घाव हो जाते हैं। जिसे हम एसिडिटी कहते हैं।
एसिडिटी से बचाव व उपचार
एसिडिटी होने पर त्रिफला, खाने का सोडा, नींबू का रस व काला नमक कूट व छान कर शीशी में भर कर रख लें। रात में 10 ग्राम चूर्ण पानी में भिगो कर रख दें और सुबह उठकर उसे छान कर पी लें। इसके सेवन के एक घंटे के बाद ही कुछ खाएं या पिये। इसके अलावा दिन में ठंडा दूध, चावल, हरी पत्ते दार सब्जियां, मीठे फल खाएं आदि ही खाएं।
एसिडिटी की समस्या से बचने के लिए समय से भोजन करें और भोजन करने के बाद कुछ देर टहलें जरूर। खाने में ताजे फल, सलाद, सब्जियां व इनका सूप, शामिल करें। हरी पत्तेदार सब्जियां और अंकुरित अनाज अधिक से अधिक खाएं। खाना खूब चबाकर और जरूरत से कम ही खाएं। मिर्च-मसाले और ज्यादा तेल वाले भोजन से परहेज करें। रोज खाने में मट्ठा और दही लें। शराब और मांसाहार से दूर रहें व खूब पानी पिएं।
योग
योग की मदद से भी एसिडिटी से समस्या से बचा जा सकता है। इसके लिए आप वज्रासन, उत्तानपादासन, सर्वागासन, हलासन, मत्स्यासन, पवनमुक्तासन, भुजंगासन, शलभासन, मयूरासन, भस्त्रिका प्राणायाम, सूर्यभेदी प्राणायाम, अग्निसार क्रिया तथा उदर शक्ति विकासक सूक्ष्म व्यायाम आदि कर सकते हैं।
इन उपायों को आजमाकर आप एसिडिटी को दूर रख सकते हैं। इसके साथएसिडिटी से बचने के लिए जंक फूड जैसे आहार से दूर रहें। शारीरिक रूप से अधिक सक्रिय रहें।
Read More Articles On Other Diseases in Hindi