रात में की गई सर्जरी से मौत का खतरा दोगुना हो जाता है। हाल ही में आए अध्ययन के परिणाम के अनुसार दावा किया गया है कि रेग्युलर वर्किंग समय के दौरान किए गए ऑपरेशन या सर्जरी की तुलना में रात में की गई सर्जरी या ऑपरेशन में मौत का खतरा दोगुना हो जाता है। मतलब जिन मरीजों का ऑपरेशन या सर्जरी रात में दिन में या वर्किंग समय में ना होकर रात में किया जाता है उनके मरने की संभावना दोगुनी होती है। यहां तक की देर शाम में भी होने वाली सर्जरी में मॉर्टिलीटी रिस्क का खतरा ज्यादा होता है।
यह स्टडी कनाडा के मेकगिल यूनिवर्सिटी (McGill University) के अध्ययनकर्ताओं ने जारी की है।
इस अध्ययन में पिछले 5 सालों में हुए सारे सर्जरी के आंकड़ों को शामिल किया गया है। अध्ययन में 1 अप्रैल 2010 से 31 मार्च 2015 के सर्जिकल आंकड़ों को लिया गया है। सबसे पहले इसमें सभी तरह के सर्जीकल इंटरवेंशन को शामिल किया गया है। इस अध्ययन में ऑप्थाल्मिक और लोकल एंथेसेसिया के केस को छोड़कर अन्य सभी तरह के वैक्लिपक और आपातकालीन सर्जिकल केसेस को शामिल किया गया है। जिसमें काम करने के घंटों को तीन ब्लॉक में बांट गया। पहले ब्लॉक में सुबह के 7 बजे से लेकर दिन के 3:29 बजे तक के समय को रखा गया। दूसरे ब्लॉक में शाम के 3:30 से रात के 11:29 बजे तक के समय को रखा गया और अंतिम ब्लॉक में रात 11:30 बजे से लेकर सुबह 7:29 बजे तक के समय को रखा गया।
इन ब्लॉक में शुरू हुए ऑपरेशन के समय पर नर्सों ने नजर रखी कि कब ऑपरेशन शुरू हुआ और कब खत्म हुआ। इस अध्ययन में 41,716 वैक्लिपक और आपातकालीन सर्जरीज़ को शामिल की गई। इन मामलों में से 10,480 केस इमरजेंसी के स थे जिसमें से 3,445 मामलों की सर्जरी पहले ब्लॉक के समय में, 4,951 मामलों की सर्जरी दूसरे ब्लॉक के समय में और 2,084 मामलों की सर्जरी तीसरे ब्लॉक के समय में की गई।
अध्ययनकर्ताओं ने पाया की दिन की तुलना में रात के समय किए गए ऑपरेशन में मरने की संभावना 2.17 टाइम्स अधिक थी। वहीं लेट इवनिंग में किए गए ऑपरेशन में मौत की संभावना दिन के समय हुए ऑपरेशन की तुलना में 1.43 टाइम्स अधिक थी।
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