कुछ लोगों को रात होते ही क्यों होने लगती है बेचैनी, डॉक्टर से जानें इसके कारण

कुछ लोगों को सूरज ढलते ही बैचेनी होने लगती है। जानते हैं ये लक्षण किस बीमारी की ओर संकेत करते हैं ?  
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कुछ लोगों को रात होते ही क्यों होने लगती है बेचैनी, डॉक्टर से जानें इसके कारण


कुछ लोगों को ढलता सूरज बेहद पसंद होता है। दरअसल, शहरी युवा सूरज के ढलने के बाद पार्टियों में शामिल होते हैं और रात को इंजॉय करते हैं। लेकिन, सूरज ढलने कुछ लोगों को पसंद नहीं होता। कुछ लोगों में इस तरह का न्यूरोलॉजिकल बदलाव आता है, जिससे उन्हें भावनात्मक रूप से कमजोरी महसूस होती है। डॉक्टरों के मुताबिक यह एक विशेष तरह का सिंड्रोम होता है। इसे सनडाउनिंग सिंड्रोम (Sundowning Syndrome) के नाम से जाना जाता है। इसमें व्यक्ति को सूरज ढलने पर चिंता, चिड़चिड़ापन, दुख व अवसाद होने लगता है। कई लोग इससे पीड़ित होते हैं, लेकिन जानकारी के अभाव में वह इस स्थिति को पहचान नहीं पाते हैं। इस विषय पर  हमने न्यूरोलॉजिस्ट डॉक्टर एस शशांक (Zynova Shalby Hospital) से बात कि तो उन्होंने सनडाउनिंग सिंड्रोम के कारण और बचाव को विस्तार से बताया। 

सनडाउनिंग सिंड्रोम को समझें? What is Sundowning Syndrome In Hindi

सनडाउनिंग सिंड्रोम व्यक्ति के ब्रेन से जुड़ी एक कंडीशन है। इस स्थिति में व्यक्ति को दिन ढलते ही भावनात्मक रूप से बदलाव महसूस होने लगता है। ऐसे में व्यक्ति को निराशा होने लगती है। इस तरह की ज्यादातर डिमेंशिया से ग्रसित मरीजों को हो सकती है। सूरज ढलते ही ऐसे लोगों इमोशनली वीक महसूस करते हैं। इस समस्या के कई कारण हो सकते हैं। यह समस्या मुख्य रूप से बुजुर्गों में देखने को मिलती हैं। 

सनडाउनिंग सिंड्रोम के कारण - Causes Of Sundowning Syndrome In Hindi

सनडाउनिंग सिंड्रोम के सही कारणों को फिलहाल पूरी तरह से समझा नहीं गया है, लेकिन माना जाता है कि कई कारक इसके लिए जिम्मेदार हो सकते हैं। इन्हें आगे बताया गया है।  

  • सर्कैडियन रिदम का बिगड़ना : शरीर की आंतरिक घड़ी (जिसे सर्कैडियन रिदम के रूप में जाना जाता है) में गड़बड़ी से शाम के समय भ्रम और व्यवहार में बदलाव हो सकता है।
  • पर्यावरणीय कारक: सूरज डूबने के साथ ही प्रकाश, छाया और वातावरण में परिवर्तन अल्जाइमर से पीड़ित व्यक्तियों के लिए परेशानी पैदा करने वाला हो सकता है।
  • थकान : दिन भर में, व्यक्ति को शारीरिक और मानसिक थकान का अनुभव हो सकता है, जिससे शाम को वह चिंता के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाता है।
  • दवाओं का असर : कुछ दवाएं से सनडाउनिंग सिंड्रोम जैसे लक्षण हो सकते हैं।

सनडाउनिंग सिंड्रोम के लक्षण - Symptoms Of Sundowning Syndrome In Hindi 

  • उत्तेजना और बेचैनी: व्यक्ति तेजी से उत्तेजित, बेचैन हो सकते हैं।
  • भ्रम होना : समय, स्थान और लोगों के बारे में भ्रम हो सकता है।
  • चिड़चिड़ापन और मूड में बदलाव: शाम के समय मूड में बदलाव, चिड़चिड़ापन हो सकते हैं।
  • नींद में खलल: सूर्यास्त नींद के पैटर्न को बाधित कर सकता है, जिससे अनिद्रा या रात में जागना हो सकता है।

सनडाउनिंग सिंड्रोम का बचाव कैसे करें - Prevention Of Sundowning Syndrome In Hindi

हालांकि, सनडाउनिंग सिंड्रोम को पूरी तरह से रोकना हमेशा संभव नहीं हो सकता है, लेकिन कुछ उपायों से इसकी गंभीरता को कम करने में मदद मिल सकती हैं।

  • दिनचर्या स्थापित करें: एक सटिक दिनचर्या को बनाए रखने से डिमेंशिया वाले व्यक्तियों को मिल सकती है।
  • दिन के समय की गतिविधि को बढ़ावा देना : दिन के दौरान शारीरिक और मानसिक गतिविधियों में शामिल होने से बेचैनी कम हो सकती है और रात को नींद की क्वालिटी में सुधार हो सकता है। 
  • प्राकृतिक प्रकाश में रहें : दिन के दौरान प्राकृतिक प्रकाश के संपर्क में आने से सर्कैडियन रिदम को ठीक करने और नींद के पैटर्न में सुधार करने में मदद मिल सकती है।

सनडाउनिंग सिंड्रोम का इलाज - Treatment Of Sundowning Syndrome In Hindi  

इस समस्या का इलाज कई तरह से किया जा सकता है। डॉक्टर मरीज की स्थिति के आधार पर इलाज का चयन कर सकते हैं। इसके इलाज में दवाएं, लाइट थेरेपी, बिहेवरियल थेरेपी आदि को शामिल किया जा सकता है। 

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घर के अन्य सदस्यो को इस तरह की समस्या से ग्रसित व्यक्ति की सपोर्ट करना चाहिए। शाम होते ही उन्हें अकेला नहीं छोड़ना चाहिए। साथ ही, उनसे बात करनी चाहिए और उनके साथ अपने दिनभर के एक्सपीरियंस शेयर करने चाहिए। 

 

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