
Causes And Symptoms Of Iatrophobia In Hindi: कई बार सेहत पर पूरा ध्यान देने के बाद भी आप कभी-न-कभी बीमार पड़ ही जाते हैं। ऐसे में बीमारी की पहचान और उसे दूर करने के लिए आपको डॉक्टर के पास जाना ही पड़ता है। लेकिन, क्या आपने इस बात को नोटिस किया है कि कुछ लोगों को डॉक्टर के पास जाने की बात से ही घबराहट होने लगती है? उन लोगों के मन में डॉक्टर के पास जाने का डर मौजूद होता है कि वह बीमार होने पर भी डॉक्टर के पास जानें या मेडिकल ट्रीटमेंट को शुरु कराने तक से कतराने लगते हैं। दरअसल, यह व्यक्ति की एक तरह की मानसिक स्थिति होती है, मेडिकल साइंस में इसको आइट्रोफोबिया (Iatrophobia) के नाम से जाना जाता है। इस स्थित में व्यक्ति को मेडिकल ट्रीटमेंट, डॉक्टर और अस्पताल जाने से डर लगता है। इस लेख में डॉ. पार्थ नागडा कंसल्टेंट मनोचिकित्सक कोकिलाबेन धीरुभाई अंबानी अस्पताल (Dr. Parth Nagda, Consultant, Psychiatry, Kokilaben Dhirubhai Ambani Hospital Navi Mumbai) और रीमा भांडेकर, सीनियर साइकोलॉजिस्ट , एमपावर दिल्ली, आदित्य बिड़ला एजुकेशन ट्रस्ट, ( Rima Bhandekar, Senior Psychologist Helpline Mpower, Aditya Birla Education Trust) से जानेंगे कि क्या होता है आइट्रोफोबिया और इसके पीछे क्या कारण जिम्मेदार हो सकते हैं।
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आइट्रोफोबिया के संभावित कारण - Causes Of Iatrophobia In Hindi
आइट्रोफोबिया एक ग्रीक भाषा का शब्द है, जो आईट्रोस और फोबोस से मिलकर बना है। इसमें आईट्रोस का मतलब डॉक्टर होता है और फोबोस का मतलब डर से है। लेकिन, यह स्थित केवल डॉक्ट के डर से ही सीमित नहीं है। इसमें व्यक्ति या बच्चे को अस्पताल, इंजेक्शन, मेडिकल उपकरण व सर्जरी आदि से भी घबराहट होती है। आगे जानते हैं इसके कुछ संभावित कारणों के बारे में।
बचपन का ट्रॉमा
कई बार बचपन में डॉक्टर के पास ले जाते समय माता-पिता द्वारा बच्चे को डांटना, जबरदस्ती इंजेक्शन लगवाना या दर्द भरे टेस्ट कराने का अनुभव बच्चे को कुछ सालों के बाद आइट्रोफोबिया का कारण बन सकता है।
पहले मेडिकल ट्रीटमेंट में कुछ गलत अनुभव
अगर व्यक्ति को पहले किसी गलत या दर्दनाक इलाज का अनुभव हुआ हो जैसे सर्जरी में गलती, दर्दनाक इलाज, डॉक्टर की असंवेदनशीलता, तो उसका डर मन में घर कर सकता है।
दूसरों के अनुभवों से डर
अगर व्यक्ति ने किसी परिचित को इलाज के दौरान गंभीर समस्या या करीबी की मृत्यु देखा हो, तो वो अनुभव उसके मन में डर उत्पन्न कर सकता है। यह अनुभव बचपन में और बुरा हो सकता है।
सेहत को लेकर चिंता करना (Health Anxiety)
कुछ लोगों में छोटी सी बीमारी को लेकर भी बड़ी चिंता होने लगती हैं। कई बार लोगों को लगता है कि डॉक्टर उन्हें टेस्ट के बाद किसी तरह की गंभीर बीमारी बता देंगे। यह सोच भी आइट्रोफोबिया को जन्म दे सकती है।
फिल्मों का प्रभाव
डॉक्टरों या अस्पतालों को नकारात्मक रूप में दिखाने वाले टीवी सीरियल, फिल्में या सोशल मीडिया वीडियो व्यक्ति की मानसिकता को प्रभावित कर सकते हैं।
आइट्रोफोबिया के क्या लक्षण होते हैं? - Symptoms Of Iatrophobia In Hindi
रीमा भांडेकर, सीनियर साइकोलॉजिस्ट बताती हैं कि कई बार डॉक्टरों से डरने वाले व्यक्ति को आमतौर पर पता होता है कि यह भय बेवजह है। यह पता होने के बावजूद, वे डॉक्टर के पास जाने पर अपनी शारीरिक प्रतिक्रियाओं को नियंत्रित करने में असमर्थ होते हैं। अक्सर उन्हें तब भी लक्षण होते हैं जब वे अपने डॉक्टर के पास जाने या मेडिकल टेस्ट करवाने के बारे में सोचते हैं। इसमें व्यक्ति को शारीरिक और मानसिक लक्षण महसूस हो सकते हैं। आगे जानते हैं इनके बारे में।
शारीरिक लक्षण
- डॉक्टर के पास जाने की बात सोचकर ही दिल की धड़कने तेज होना
- डॉक्टर के पास जाने से पहले ही पसीना आना
- कुछ लोगों को सांस फूलने की समस्या हो सकती है।
- जबकि, कुछ को चक्कर आने लगते हैं
- मतली या उल्टी जैसा महसूस होना
- हाथ-पैरों में कंपन होना और घबराहट महसूस होना।
मानसिक लक्षण
बार-बार डॉक्टर या अस्पताल की सोच से डरना, इलाज या टेस्ट को टालते रहना, गंभीर बीमारी के बावजूद चुप रहना या छिपाना, डॉक्टर की बातों को गलत या खतरे से भरा मानना और डॉक्टर से जुड़ी किसी भी चीज से दूर भागना आदि।
आइट्रोफोबिया का इलाज कैसे किया जाता है? - Treatment Of Iatrophobia In Hindi
कॉग्निटिव बिहेवियरल थेरेपी (CBT)
यह थेरेपी सोचने के तरीकों को बदलने में मदद करती है। व्यक्ति को उसके डर का सामना सकारात्मक तरीके से करना सिखाया जाता है।
एक्सपोजर थेरेपी
इसमें व्यक्ति को धीरे-धीरे उस डर का सामना करवाया जाता है, जैसे पहले अस्पताल की फोटो दिखाना, फिर क्लिनिक जाना, फिर डॉक्टर से मिलना। इससे दिमाग उस डर को स्वीकार करना सीखता है।
हिप्नोथेरेपी
इस थेरेपी से व्यक्ति की डॉक्टर के प्रति सोच और टेस्ट आदि के डर को कम किया जाता है।
सपोर्ट ग्रुप या काउंसलिंग
मन की बात किसी ऐसे से साझा करना जो समझ सके, डर को कम कर सकता है। कभी-कभी परिवार या दोस्तों की सकारात्मक भूमिका भी बेहद अहम होती है।
दवाओं से इलाज
इसमें व्यक्ति के डर को दूर करने के लिए एंटी डिप्रेशन और एंटी एंग्जाइटी वाली दवाएं दी जाती है।
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आइट्रोफोबिया एक वास्तविक मानसिक स्थिति है जिसे नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए। यह डर अस्वस्थ आदतों को जन्म दे सकता है और समय पर इलाज न मिलने के कारण व्यक्ति की सेहत गंभीर रूप से प्रभावित हो सकती है। अगर आप या आपका कोई करीबी डॉक्टर से डरता है तो उसे समझने की कोशिश करें, उसका मजाक न बनाएं और उसे सही मदद लेने के लिए प्रेरित करें।
FAQ
सोते वक्त घबराहट क्यों होती है?
सोते समय घबराहट होने के पीछे कई कारक जिम्मेदार हो सकते हैं, जिसमें नींद की बीमारी, अस्थमा या थायरॉयड की स्थिति, पैनिक के लक्षण शामिल होते हैं।पैनिक अटैक के क्या लक्षण हैं?
अचानक और तीव्र भय, दिल की धड़कन तेज होना, सांस लेने में तकलीफ, चक्कर आना, कंपकंपी, और पसीना आना शामिल आदि पैनिक अटैक के लक्षण हो सकते हैं।स्ट्रेस की वजह से दिल पर क्या असर पड़ता है?
लगातार स्ट्रेस से व्यक्ति के हार्ट को पंप करने में ज्यादा मेहनत करनी पड़ सकती है। ऐसे में हार्ट से जुड़ी समस्याएं जैसे हार्ट अटैक, दिल की धड़कने अनियमित होने जैसे लक्षण हो सकते हैं।
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