लीवर हमारे शरीर के सबसे बड़े अवयवों में से एक है और शायद संक्रमण का खतरा भी इसे ही सबसे अधिक होता है। क्योंकि लीवर कई काम करता है इसलिए उसके कई बीमारियों से प्रभावित होने का खतरा भी ज्यादा होता है।
लीवर खून साफ करने के साथ ही शरीर से विषैले पर्दाथों को बाहर निकालने के साथ-साथ जरूरी विटामिन और मिनरल के अवशोषण का भी काम करता है। कई बार अपने काम के दौरान लिवर कई बेहद जहरीले पर्दाथों के संपर्क में आ जाता है। और इससे उसकी सेहत और कार्यक्षमता पर असर पड़ना लाजमी है। इनके आलावा लीवर पाचन क्रिया के लिए जरूरी एंजाइम्स का निर्माण करने और विटामिन बी१२, ग्लूकोज और आयरन आदि को जमा करने का भी काम करता है। जानकार मानते हैं कि अपने काम के दौरान लीवर को कई प्रकार से संक्रमण का खतरा होता है, जिससे बीमारियां होने की आशंका बनी रहती है।
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हेपेटाइटिस ए, बी, सी, डी और ई के साथ ही फैटी लीवर डिजीज और लीवर सिरोसिस आदि सामान्य बीमारियां हैं जो लीवर को प्रभावित करती हैं। ऐसे में इन बीमारियों से बचने के तरीकों के बारे में जानना बेहद जरूरी है।
हेपेटाइटिस ए और ई
दूषित अथवा संक्रमित भोजन इस इन बीमारियों का कारण हो सकता है। दूषित भोजन से लीवर को बहुत ज्यादा विषैले पर्दाथों का सामना करना पड़ता है। इससे उसे बुरी तरह नुकसान पहुंच सकता है। इन बीमारियों के कीटाणु संक्रमित व्यक्तियों के संपर्क में आने से भी हो सकती हैं। इन बीमारियों से बचने का सबसे अच्छा तरीका यह कि आप अपने खानपान और साफ-सफाई का खास खयाल रखें। यह बात भी सही है कि आप खाने की हर चीज पर नजर नहीं रख सकते, लेकिन फिर भी जितना हो सके आपको इस बात का ध्यान तो रखना ही चाहिये।
हेपेटाइटिस बी, सी और डी
संक्रमित भोजन के सेवन, परिवार में मौजूद संक्रमित व्यक्ति, यौन संबंध और शिशु को जन्म देना आदि के कारण हेपेटाइटिस बी, सी और डी हो सकता है। दवा का सही प्रकार से सेवन, सुरक्षित यौन संबंध और इस्तेमाल की गई सुइयों, रेजर या टूथब्रश का दोबारा प्रयोग न करने से आप इस बीमारी के खतरे को कम कर सकते हैं।
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फैटी लीवर डिजीज
इस श्रेणी में आप कई बीमारियों को रख सकते हैं। यह बीमारी एल्कोहोलिक और नॉन-एल्कोहोलिक पर्दाथों से प्राप्त होने वाली वसा के संचय सो होती है। वसा का अधिक जमाव लीवर में सूजन का कारण बन सकता है। कई मामलों में इसके असर को कम किया जा सकता है। लेकिन, यहां यह बात भी ध्यान रखनी चाहिये कि एक बार यह रोग होने के बाद लीवर फिर दोबारा अपनी पूरी क्षमता से काम नहीं कर पाता। डायबिटीज के कारण भी लीवर को यह बीमारी हो सकती है। इस बीमारी से बचने के लिए आपको अपनी रक्त शर्करा को नियंत्रित करने का प्रयास करना चाहिये। इसके साथ ही सही ईलाज और अपने वजन को काबू में रखकर भी आप इस बीमारी के खतरे को कम कर सकते हैं।
लिवर सिरोसिस
यह गंभीर बीमारी है जिसके असर को पलटा नहीं जा सकता। इस बीमारी का सबसे बड़ा कारण शराब का अधिक सेवन होता है। शराब और अल्कोहल युक्त पेय का अधिक सेवन करने से लीवर की कोशिकायें क्षतिग्रस्त हो जाती हैं जिससे आगे चलकर हेपेटाइटिस हो सकता है। अल्कोहल के सेवन को कम कर या बिलकुल ही बंद कर आप इस बीमारी के गंभीर परिणामों को काफी हद तक कम किया जा सकता है।
ज्यादातर मामलों में देखा गया है कि लीवर से जुड़ी बीमारियों का कोई ईलाज नहीं होता क्योंकि आमतौर पर इसके लक्षण काफी देर बाद नजर आते हैं। बहुत ही कम मामलों में इस बीमारी के लक्षण शुरुआती समय में ही नजर आते हैं और तब इनका ईलाज किया जा सकता है। लीवर से जुड़ी बीमारियों से दूर रहने का सबसे अच्छा तरीका यही है कि आप इन बीमारियों से जहां तक हो सके दूर रहे।
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