
ब्रिटेन के आंकड़ों के अनुसार वहां गंभीर प्रकार के त्वचा कैंसर के मामले 1970 के दशक के बनिस्पद पांच गुना अधिक हो गए हैं। कैंसर रिसर्च ब्रिटेन के आंकड़े बताते हैं कि वहां हर साल 13,000 से अधिक लोगों में ख़तरनाक त्वचा कैंसर रोग विकसित होता है।
1970 के दशक बीच के समय में हर साल 1800 त्वचा कैंसर के मामले सामने आते थे। 1960 के दशक के आख़िर में यूरोप में छुट्टियों के पैकेजों की शुरुआत को यह संस्था आंकड़ों में बढ़ोत्तरी की वजह मान रही है।
क्योंकि धूप में झुलसने के कारण इस बीमारी के होने की संभावना बढ़ जाती है, कैंसर रिसर्च यूके के मुताबिक इसका दूसरा कारण सनबेड यानी धूप कुर्सी का अदिक इस्तेमाल भी है। गौरतलब है कि त्वचा कैंसर से हर वर्ष 2,000 से अधिक लोगों की मौत हो जाती है। अब यह पांचवां सबसे आमतौर पर होने वाला कैंसर बन गया है।
हालांकि समय पर और सही इलाज मिलने पर 10 में से 8 लोग का त्वचा कैंसर ठीक हो जाता है, जो कि कैंसर ठीक होने के मामले में अधिकतम है। ब्रिटेन में हर साल प्रत्येक एक लाख लोगों में से तकरीबन 17 लोगों में कैंसर पाया जाता है। जबकि 1970 के दशक के मध्य में यह आंकड़ा प्रत्येक एक लाख लोगों पर केवल तीन ही था।
त्वचा कैंसर होने की संभावना गेहुंए रंग वाली त्वचा वाले लोगों में अधिक होती है। या फिर अगर त्वचा तिल या चकत्तों से भरी हो या धूप में झुलसने या बीमारी की कोई पारिवारिक पृष्ठभूमि हो तो भी इसका जोख़िम अधिक होते है।
विशेषज्ञों के अनुसार इस बीमारी से बचने के लिए ज़्यादातर वक़्त छायादार जगह में बिताएं और कम से कम एसपीएफ-15 सनस्क्रीन का उपयोग करें।
कैंसर रिसर्च ब्रिटेन के प्रमुख निक ऑर्मिस्टन-स्मिथ कहते हैं, "हम जानते हैं कि पराबैंगनी किरणें और सनबेड का इस्तेमाल त्वचा कैंसर होने की मुख्य वजह है। इसका अर्थ है कि कई मामलों में इस बीमारी को रोका जाना संभव है और इसके लिए ज़रूरी है कि चाहे आप देश में हो या विदेश में, धूप लेने से संबंधित सही आदतों का ध्यान ज़रूर रखें।"
Source: BBC News
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