पीढ़ी-दर-पीढ़ी से चेचक जैसी संक्रामक बीमारियों की वजह से महामारी फैली थी, चारों तरफ आतंक छाया था और बड़ी तादाद में लोगों की जानें भी गई थीं। इसी तरह टीबी, पोलियो तथा इसके अलावा महिलाओं से जुड़ी कुछ अन्य बीमारियां भी गंभीर संकट बनी हुई थीं। लेकिन समय के साथ शोधकर्ताओं और डॉक्टरो ने मिलकर इनका समाधान निकाला और इन समस्याओं को खतम किया। आज हम महिला स्वास्थ्य के क्षेत्र में अब तक हुई ऐसी ही कुछ कमाल की उपलब्धियों की बात करेंगे।
बोन मेरो ट्रांसप्लांट
बोन मेरो ट्रांसप्लांट अर्थात अस्थि मज्जा प्रत्यारोपण से कैंसर का इलाज करना बहुत ही जटिल काम है। बोन मेरो ट्रांसप्लांट के दौरान पीड़ित व्यक्ति की प्रभावित बोन मेरो को स्वस्थ बोन मेरो से बदल दिया जाता है। इस ट्रांसप्लांट के बाद स्वस्थ और नई कोशिकाएं शरीर में मौजूद संक्रमण से लड़ने में मदद करती हैं और बीमार व्यक्ति अपने को पहले से अधिक स्वस्थ महसूस करने लगता है। इलाज के बाद मरीज का इम्यून सिस्टम पहले से कहीं अधिक बेहतर हो जाता है और वह कैंसर कोशिकाओं से लड़ने में भी मदद करता है। आमतौर पर बोन मेरो ट्रांसप्लांट मरीज का बोन कैंसर के लिंफोमा, मल्टीपल माइलोमा और ल्यूकेमिया इत्यादि से ग्रसित होने पर किया जाता है।
स्तनों का ऑपरेशन
स्तनों का ऑपरेशन में स्पंज से सिलिकॉन तक का सफर पूरा किया। जैसा हमेशा से माना जाता रहा है कि महिलाओं की सुंदरता में स्तन का बड़ा योगदान होता है। यही कारण है कि दुनिया भर में स्तनों के आकार बढ़ाने का कॉस्मेटिक सर्जरी ऑपरेशन दूसरे नंबर पर है। साल 2010 में ही करीब पंद्रह लाख महिलाओं ने स्तनों को बढ़ाने का आपरेशन करवाया। सिलिकॉन के जरिए स्तनों के आकार बढ़ाने का पहला आपरेशन पचास साल 1962 में पहली बार हुआ था। यह इतिहास बनाने वाली महिला का नाम टिम्मी जीन लिंडसे था।
मसूढ़ों की कोशिकाओं से असली दांत
कुछ समय किंग्स कॉलेज लंदन के शोधकर्ताओं ने एक बड़ी उपलब्धि अर्जित की थी। उन्होंने मनुष्य के मसूढ़ों की कोशिकाओं से असली दांत विकसित करने का सफल प्रयोग किया। डेंटल रिसर्च जर्नल में प्रकाशित शोध के मुताबिक शोधकर्ताओं ने एक व्यक्ति के मसूढ़े के ऊतक से कुछ कोशिकाओं को अलग किया और उन्हें प्रयोगशाला में विकसित किया फिर उन्हें चूहों की मेसेंच्मे (mesenchyme) कोशिकाओं के साथ मिला दिया। इस मिश्रित सेल को चूहे के मसूढ़े पर प्रतिरोपित किया गया और परिणाम यह निकला कि इस मिश्रित सेल की जड़े निकलने लगीं अर्थात दांत तैयार होने लगा। इस खोज को दंत चिकित्सा के क्षेत्र में बड़ी उपलब्धि माना गया।
वहीं थर्ड जेंडर को जरूरत के अनुसार अब महिला व पुरुष बनाया जाएगा और इसके लिए ऑपरेशन किया जाएगा। पूरी काउंसिलिंग व माता-पिता की सहमति के बाद ही थर्ड जेंडर का ऑपरेशन किया जाएगा।
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