

हाल ही में हुए शोध में सामने आया है कि पेपर यूरीन टेस्ट की मदद से अब जल्दी ही कैंसर का पता लगाया जा सकता है। इसके साथ ही टेस्ट का परिणाम आने तक इलाज में होने वाली देरी से बचा जा सकता है।
प्रतिष्ठित संस्थान एमआईटी की एक भारतीय-अमेरिकी वैज्ञानिक ने कैंसर के लिए ‘पेपर टेस्ट’ विकसित किया है जिसके माध्यम से बीमारी की जांच आसानी से, सस्ती और जल्दी की जा सकेगी ताकि मरीज का इलाज भी जल्दी शुरू हो सके।
मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआईटी) ने घोषणा की कि इस प्रक्रिया में कैंसर की जांच गर्भावस्था परीक्षण की तरह होगा । इसमें जांच के लिए पेशाब का नमूना लिया जाएगा और परिणाम कुछ मिनट के भीतर ही आ जाएगा।
घोषणा के अनुसार, इस परीक्षण की मदद से पहले संक्रामक बीमारियों का पता लगाया जा चुका है और नयी तकनीक अब गैर-संक्रामक बीमारियों का पता लगाने के लिए भी इस प्रक्रिया के उपयोग को संभव बना रही है।
एमआईटी प्रोफेसर और हार्वर्ड ह्यूज मेडिकल इंस्टीट्यूट की इंवेस्टिगेटर 46 वर्षीय संगीता भाटिया ने इस तकनीक का विकास किया है । यह तकनीक नैनोकणों पर आधारित है जो ट्यूमर प्रोटीन प्रोटेसेज के साथ संचार करते हैं। प्रत्येक कण सैकड़ों की संख्या में बायोमार्कर छोड़ते हैं और मरीज के पेशाब में आसानी से इनका पता लगाया जा सकता है।
जॉन और डोरोथी विलसन प्रोफेसर ऑफ हेल्थ साइंसेज एण्ड टेक्नोलॉजी एण्ड इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग एण्ड कम्प्यूटर साइंस भाटिया ने कहा, हमने इस नए सिंथेटिक बायोमार्कर का इजाद करने के बाद इसका विश्लेषण करने के लिए अत्याधुनिक उपकरणों का प्रयोग किया।
How we keep this article up to date:
We work with experts and keep a close eye on the latest in health and wellness. Whenever there is a new research or helpful information, we update our articles with accurate and useful advice.
Current Version