WHO ने एमपॉक्स के पहले डायग्नोस्टिक टेस्ट को दी मंजूरी, जानें कैसे होगी टेस्टिंग

WHO Approves First Mpox Diagnostic Test: विश्व स्वास्थ्य संगठन ने एमपॉक्स के पहले डायग्नोस्टिक टेस्ट को दी मंजूरी दे दी है। अब घावों के जरिए संक्रमण का पता लगाया जा सकेगा।  
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WHO ने एमपॉक्स के पहले डायग्नोस्टिक टेस्ट को दी मंजूरी, जानें कैसे होगी टेस्टिंग

WHO Approves First Mpox Diagnostic Test: दुनियाभर में एमपॉक्स के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। पड़ोसी देशों में फैलने के बाद अब एमपॉक्स भारत में भी लोगों को प्रभावित कर रहा है। भारत में अभी तक एमपॉक्स के 3 मामले सामने आ चुके हैं। जिसमें से दो मामले केरल से तो एक हरियाणा के हिसार से सामने आया है। बढ़ते मामलों के बीच अब विश्व स्वास्थ्य संगठन ने हाल ही में एमपॉक्स के पहले डायग्नोस्टिक टेस्ट को मंजूरी दे दी है। इस प्रक्रिया के तहत घाव से स्वैब लेकर एमपॉक्स की पहचान की जा सकती है। गुरुवार को डब्ल्यूएचओ ने एबोट लैबोरेटरीज को एमपॉक्स की टेस्टिंग करने की मंजूरी दे दी है। डब्ल्यूएचओ द्वारा इस टेस्टिंग को इमरजेंसी उपयोग की अनुमति दे दी है। 

घाव से चलेगा एमपॉक्स का पता 

एबोट कंपनी द्वारा किए जाने वाले इस एमपॉक्स को एलिनिटी एम एमपीएक्सवी एस (Alinity m MPXV assay) का नाम दिया गया है। टेस्टिंग की यह प्रक्रिया आम जांचों से थोड़ी अलग है। इस प्रक्रिया के तहत पीड़ित व्यक्ति की त्वचा पर होने वाले घावों के जरिए स्वैब लेकर डीएनए का पता लगाया जाएगा। जिससे एमपॉक्स का पता लगाया जा सकेगा। यह एक प्रकार का रीयल टाइम पीसीआर टेस्ट है। डब्ल्यूएचओ ने कहा कि घाव के सैंपल लेकर संदिग्ध मामलों का पता आसानी से लगाया जा सकेगा। 

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कांगो में हुई 600 से भी ज्यादा मौतें 

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक कांगों में एमपॉक्स के चलते अभी तक 650 से भी ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। कांगो में यह वायरस लोगों के लिए जान का खतरा बना हुआ है। एमपॉक्स अबतक 100 से भी ज्यादा देशों में फैल चुका है। हालांकि, अभी तक इसका कम्यूनिटी ट्रांसमिशन नहीं हुआ है। भारत में भी इस वायरस को लेकर सावधानियां बरती जा रही हैं। अब टेस्टिंग के बाद से एमपॉक्स के संदिग्ध मरीजों का पता आसानी से चल सकेगा। भारत में कई राज्यों में मरीजों के लिए आइसोलेशन वार्ड भी बनाए गए हैं। साथ ही एयपोर्ट्स पर भी यात्रियों की कड़ी निगरानी की जा रही है। 

 

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