
वैज्ञानिकों ने कैंसर रोगियों के शरीर को बिना विकिरण के संपर्क में लाये, ट्यूमर को स्कैन करने के लिए एक नई तकनीक विकसित की है। शोध के अनुसार यह तकनीक मरीजों के जीवन में बाद में माध्यमिक कैंसर के विकसित होने के जोखिम को कम कर सकती है। 
स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी मेडिकल सेंटर और ल्यूसिल पेकार्ड चिल्ड्रन हास्पीटल, स्टैनफोर्ड के शोधकर्ताओं द्वारा विकसित इस नई तकनिक में मैग्नेटिक रेज़ोनेंस इमेजिंग तकनीक का प्रयोग किया गया है, जो एक नोवल कंट्रास्ट एजेंट की मदद से ट्यूमर खोजने का काम करता है।
शोधकर्ताओं ने पाया कि एमआरआई आधारित विधि भी कैंसर का पता लगाने में उतना ही प्रभावी तकनीक है, जितने विकिरण का उपयोग करने वाले स्कैन, जैसे - खासतौर पर पोज़िट्रोन इमिशन टोमोग्राफी- कम्प्यूटेड टोमोग्राफी। हालांकि पूरे शरीर की पीईटी सीटी टेक्नोलॉजी कैंसर का पता लगाने के लिए आवश्यक जानकारी प्रदान करता है, लेकिन इसकी एक बड़ी ख़ामी यह है कि इसके कारण रोगी के शरीर को 700 चेस्ट एक्स-रे के बराबर के रेडियेशन से शरीर के कोशिकाओं की क्षति होती है।
इतना रेडियेशन बच्चों और किशोरों के लिए जोखिम से भरा है, क्योंकि वयस्कों कि तुलना में वे अभी बढ़ ही रहे होते हैं। इसके कारण बच्चों को दूसरे अन्य कैंसर के विकसित होने की काफी संभावना भी होती है।
इस शोध के वरिष्ठ लेखक, स्टैनफोर्ड में रेडियोलोजी के एसोसिएट प्रोफेसर व अस्पताल में डायग्नॉस्टिक रेडियोलाजिस्ट हाइक डालड्रप-लिंक ने कहा कि, 'मैं कैंसर के रोगियों के लिए बिना विकिरण वाले इस इमेजिंग परीक्षण को लेकर काफी उत्साहित हूं।'
शोधकर्ताओं की टीम नें 8 से 33 के बीच की आयु वाले लिंफोमा या सार्कोमा पीड़ित 22 रोगियों में संशोधित एमआरआई तकनीक की तुलना मानक पीईटी-सीटी से की। ये कैंसर क्रमश: प्रतिरक्षा प्रणाली और हड्डियों में शुरू हुए। दोनों ही तरह के कैंसर ऊतकों में फैल सकता है, जैसे अस्थि मज्जा, लिम्फ नोड्स, जिगर और स्प्लीन आदि में। पूर्व में, पूरे शरीर के एमआरआई करके ट्यूमर को देखने के लिए चिकित्सकों को कई बाधाओं का सामना करना पड़ता था। इस स्कैन में दो घंटे तक लगा करते हैं। जबकि एक पूरे शरीर का स्कैन करने में इस नई तकनीक से कम समय भी लगता है।
इससे महत्वपूर्ण बात तो यह कि, कई अंगों में एमआरआई स्वस्थ और कैंसर ऊतकों में भेद नहीं कर पाता है। शोधकर्ताओं ने बताया कि शोध के दौरान पीईटी-सीटी द्वारा 22 रोगियों में 174 में से कुल 163 ट्यूमर का पता चला, जबकि एमआरआई 174 में से 158 ट्यूमर का पता लगाया। यह अध्ययन लान्सेंट ऑन्कोलॉजी में प्रकाशित हुआ था।
Source: Medicalnewstoday
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