सर्दी के मौसम में हार्ट अटैक के मामले हमेशा बढ़ जाते हैं लेकिन आजकल जिस तेजी से 'साइलेंट हार्ट अटैक' के मामले बढ़ रहे हैं, वो चिंता का विषय है। आमतौर पर माना जाता है कि हार्ट अटैक होने पर सीने में तेज दर्द, सांस लेने में कठिनाई, सीने में जकड़न, छाती में भिंचाव, सांस फूलने और अचानक पसीना आने जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। मगर 'साइलेंट हार्ट अटैक' के मामले में बिना कोई गंभीर लक्षण दिखे ही अचानक मरीज की मौत हो जाती है। पिछले कुछ समय में हार्ट अटैक के ज्यादातर मामलों में लक्षणों को 'साइलेंट' पाया गया है। नई दिल्ली के द्वारका स्थित मनीपाल हॉस्पिटल्स के कार्डिएक साइंसेज एवं प्रमुख कार्डियो वैस्क्यूलर सर्जन डॉ. युगल मिश्रा का कहना है, "सामान्य लक्षणों के बगैर होने वाले हार्ट अटैक को 'साइलेंट' कहा जाता है। इसमें हृदय की मांसपेशी की तरफ बहने वाला रक्त प्रवाह काफी हद तक कम हो जाता है या फिर पूरी तरह से कट जाता है।"
क्यों बढ़ जाते हैं सर्दियों में हार्ट अटैक
सर्दियों में तापमान कम होने के कारण धमनियां सिकड़ जाती हैं। धमनियों के सिकुड़ने के कारण रक्त को प्रवाह के लिए पर्याप्त जगह नहीं मिलती है, जिससे व्यक्ति का ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है और किडनियों पर दबाव पड़ता है। ऐसे में कई बार जब व्यक्ति की धमनियों में पहले से प्लाक जमा हो गया हो, तो हार्ट अटैक का खतरा बहुत ज्यादा बढ़ जाता है। डॉ. युगल मिश्रा ने कहा, "हार्ट अटैक के जोखिम से घिरे अधिक उम्र के लोग साइलेंट हार्ट अटैक के झटके को अमूमन नहीं झेल पाते। यह हृदय पर इतना जबर्दस्त दबाव बनाता है कि कई बार मरीज मदद के लिए पुकार भी नहीं पाता। साइलेंट हार्ट अटैक अक्सर न पहचाने जा सकने वाले लक्षणों, समुचित इलाज के अभाव या समय पर इलाज न मिलने की वजह से घातक हो सकता है।"
इसे भी पढ़ें:- वायु प्रदूषण के कारण अचानक बढ़े फेफड़ों के कैंसर के मामले, बिहार समेत कई राज्यों में खतरा
हृदय को करनी पड़ती है ज्यादा मेहनत
डॉ. युगल मिश्रा ने कहा, "सर्दियों में शरीर के तापमान को बरकरार रखने के लिए हृदय को दोगुनी मेहनत करनी पड़ती है। इस वजह से रक्तचाप बढ़ता है और यह रक्त में कई किस्म के बदलाव भी लाता है जिनमें रक्त का थक्का जमने का अधिक जोखिम भी शामिल है।" उन्होंने कहा, "इसके अलावा, सर्दियों के मौसम में रक्तवाहिकाएं सिकुड़ जाती हैं जिससे रक्त प्रवाह संकुचित होने लगता है और यह भी हार्ट अटैक का कारण बनता है। हार्ट में ऑक्सीजन की अधिक मांग होने, शरीर का तापमान असामान्य ढंग से कम होने, छाती में संक्रमण पैदा करने वाले वायु प्रदूषकों आदि के चलते हार्ट अटैक के मामले बढ़ सकते हैं।"
क्या है हृदय रोगों का इलाज
डॉ. युगल मिश्रा ने बताया कि हृदय रोगों के सर्वाधिक सामान्य उपचार विकल्पों में एंजियोप्लास्टी और कोरोनरी बायपास ग्राफ्टिंग (सीएबीजी) शामिल है। एंजियोप्लास्टी हृदय की उपचार प्रक्रिया है जिसमें ब्लॉक्ड आर्टरी में एक स्टैंट रखा जाता है ताकि रक्त प्रवाह के लिए जगह बन सके।
डॉ. मिश्रा ने बताया, "सीएबीजी लगवाने वाले मरीजों की औसत उम्र अब काफी कम हो गई है। इस सिलसिले में शोध के नतीजे चौंकाने वाले हैं. जहां नब्बे के दशक के मध्य में, भारत में हर साल करीब 10,000 सीएबीजी सर्जरी होती थीं वहीं वर्तमान में यह संख्या काफी हद तक बढ़ चुकी है और रिपोर्टों से पता चला है कि हर साल अब ऐसी करीब 60,000 सर्जरी होने लगी हैं।"
इसे भी पढ़ें:- भारतीय पुरुषों में बढ़ रहा है ओरल कैंसर, सबसे ज्यादा मामले यूपी और बिहार में: चिकित्सक
कैसे बच सकते हैं हार्ट अटैक के खतरे से
डॉ. युगल मिश्रा ने कहा कि कुछ नियमों का पालन करने से हार्ट अटैक से बचा जा सकता है;
- सुबह ठंड में सैर करने से बचें क्योंकि ऐसा करने से ब्लड प्रेशर बढ़ सकता है जो हार्ट पर दबाव बढ़ाता है। सैर का समय बदलने से आपको न सिर्फ पर्याप्त धूप मिलेगी जो कि विटामिन डी का स्रोत होती है बल्कि शरीर को गरमी भी मिलेगी। लेकिन घर से बाहर जाते समय शरीर को गर्म कपड़ों से अच्छी तरह से ढककर रखें।
- अपने व्यायाम का अनुशासन बनाए रखें और सर्दियों में आलस्य न करें। हल्के शारीरिक व्यायाम को जारी रखें, लेकिन साथ ही अपना ब्लड प्रेशर भी जांचते रहें।
- भोजन और दवाएं समय से लेते रहें ताकि मौसम की मांग के मुताबिक शरीर ढलता रहे। इसी तरह, वायु प्रदूषण और अन्य कारणों की वजह से होने वाले संक्रमण से बचने का हर संभव प्रयास करें। अगर संक्रमण हो भी जाए तो तत्काल चिकित्सा सहायता लें जिससे मरीज को आराम मिल सकें।
- हृदय रोगियों को तला भोजन नहीं करना चाहिए क्योंकि इसे पचाने के लिए शरीर को अधिक काम करना पड़ता है। ऐसा भोजन करें जो हृदय के लिए सेहतमंद हो और आपकी सेहत बेहतर बनाने में मददगार हो।
इनपुट्स- आईएएनएस
ऐसे अन्य स्टोरीज के लिए डाउनलोड करें: ओनलीमायहेल्थ ऐप
Read More Articles On Health News in Hindi