शिशु में देरी से शारीरिक विकास होने के हो सकते हैं ये 5 कारण, जानें लक्षण और उपाय

बच्चों के शारीरिक विकास देरी से होने के कई कारण होते है, जिसकी वजह से बच्चे कई काम ठीक से नहीं कर पाते हैं।
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शिशु में देरी से शारीरिक विकास होने के हो सकते हैं ये 5 कारण, जानें लक्षण और उपाय


अपने बच्चे के ग्रोथ को लेकर माता-पिता काफी चिंतित रहते है। बच्चे के घुटनों के बल चलने से लेकर अच्छे से बोलने पढ़ने-लिखने सभी चीजों को लेकर पेरेंट्स काफी फ्रिकमंद रहते हैं। दरअसल अगर एक नियमित अंतराल के बाद आपके बच्चे का विकास नहीं हो रहा है, तो यह बच्चे के विकास में देरी के तौर पर समझा जा सकता है। इससे उनकी ग्रोथ में कमी आ सकती है। बच्चे के शुरुआती 3 साल उसके विकास के लिए काफी जरूरी होते हैं। ऐसे में अगर आपके बच्चे का विकास अच्छे से नहीं हो रहा है, तो वह सामाजिक और शैक्षिक रूप से कमजोर हो सकते हैं। बच्चे के विकास में देरी जेनेटिक या क्रोमोसोमल बीमारियों, पर्यावरण प्रदूषण, मालन्यूट्रिशन या पौष्टिक खानपान में कमी, इंफेक्शन या फिर साफ-सफाई में कमी के कारण बच्चों का विकास अच्छे से नहीं हो पाता है। बच्चों के विकास में देरी इमोशनल, कॉग्निटिव और फाइन मोटर स्किल्स के रूप में देखी जा सकती है। हालांकि ये भी हो सकता है कि आपके बच्चे के विकास में देरी का कारण डेवलेपमेंट डिसेबिलिटी भी हो सकती है, जिसका मतलब होता है कि विकास या वृद्धि में असमर्थता स्थायी रूप से होना। विकास में देरी होने का इलाज किया जा सकता है लेकिन विकास में असमर्थता का इलाज नहीं किया जा सकता है। यह जेनेटिक समस्याओं, दवाओं के ओवरडोज या दिमाग में चोट लगने के कारण बच्चों में हो सकती है।

बच्चों के विकास में देरी का कारण

1. देखने में परेशानी 

शिशुओं में विकास के देरी आंखों की रोशनी में कमी के तौर पर भी देखी जा सकती है। अगर आपका बच्चा 6 महीने के बाद स्पष्ट नहीं देख पाता या 2 महीने के बाद उसे हाथों का इशारा भी नहीं देख पाता, तो आपको सचेत हो जाना चाहिए। इन चीजों से समस्या बढ़ सकती है। इस दौरान बच्चों को आंखों से धुंधला दिखाई देता है, आंखों में आंसू आना और आंखों का अंदर या बाहर होने जैसी समस्याएं हो सकती है। बच्चों के आंखों के विकास में देरी का कारण निकट दृष्टि दोष या दूरी दृष्टि दोष की समस्या हो सकती है, आंखों की नजर कमजोर होना या आंख की बीमारी हो सकता है। इसके लिए आपको बच्चे को किसी अच्छे डॉक्टर से दिखाने की जरूरत होती है ताकि वह समय रहते बच्चे का इलाज कर सकें।

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Image Credit-  Freepik

2. बोलने में देरी

कई बच्चे छोटी उम्र से ही बोलना शुरु कर देते है जबकि कई बच्चों को बोलने में काफी समय लग जाता है। वह ढंग से किसी शब्द का उच्चारण भी नहीं कर पाते हैं। ऐसे बड़े होने पर भी हो सकता है। बोलने में समस्या केवल उच्चारण ही नहीं बल्कि आवाज से संबंधित समस्या भी हो सकती है। इससे आपके बच्चे के विकास में रूकावट आ सकती है। बच्चे के बोलने में देरी के कई कारण हो सकते है। हो सकते है कि उन्हें ढंग से सुनने में समस्या हो क्योंकि जिन बच्चों को अच्छे से सुनाई नहीं देता है। वह ढंग से बोल भी नहीं पाते हैं। इसके लिए कई कारण जिम्मेदार हो सकते है। बच्चा ऐसे माहौल में हो जहां भाषा या शब्द पकड़ने में उसे दिक्कत हो रही हो, ऑटिज्म की समस्या, अभिव्यक्ति में परेशानी या मस्तिष्क में चोट के कारण बच्चा गुमसुम रहता है। उसे मां-पापा बोलने में परेशानी या  कुछ भी पूछने पर कोई प्रतिक्रिया नहीं देता है। इस समस्या से उबरने के लिए आप बच्चे से खूब बाते करें। उन्हें किताबें पढ़कर सुनाएं, थेरेपिस्ट के पास ले जाएं या हाव-भाव का इस्तेमाल करते हुए बाते करें।  

3. मोटर साइकिल डलवेपमेंट में देरी

कई बार बच्चों को पैरों से चलने, चम्मच उठाने, किसी तरह के मूवमेंट के साथ तालमेल बैठाने और ड्राइंग करने में भी परेशानी आ सकती है। कई बार तो वह हाथ और दिमाग का तालमेल नहीं बैठा पाते है और ऐसे बड़ी उम्र में भी हो सकता है। छोटे बच्चों में ऐसा प्रीमैच्योरिटी, दिमाग में चोट, मायोपैथी या मांसपेशियों की समस्या के कारण हो सकता है। इस दौरान बच्चे वस्तुओं को पकड़ पाने, चीजों को मुंह तक न ला पाना और पैरों पर दबाव न बनाने की समस्या हो सकती है। इसके इलाज के लिए आपको तुरंत डॉक्टर से मिलना चाहिए और रेगुलर थेरेपी की मदद लेनी चाहिए।

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4. सोशल डेवलेपमेंट में देरी

कई बार बच्चों में सामाजिक और भावनात्मक विकास में देरी हो सकती है, जिसकी वजह से वह अपने उम्र के बच्चों जैसे बातचीत करने और सीखने की क्षमता का विकास नहीं हो पाता है। इसका कारण किसी तरह का ट्रॉमा, इंफेक्शन के कारण, सुनने की क्षमता प्रभावित होना, कम्युनिकेशन और इंटरेक्शन स्किल खराब हो सकता है। ऐसे में आपको अपने बच्चों से बात करनी चाहिए। साथ ही डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए।

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5. कॉग्निटिव डेवलेपमेंट में देरी

इससे बच्चों की सीखने की क्षमता प्रभावित होती है। दूसरों से बातचीत में परेशानी, दूसरों के साथ बात करने में असमर्थता और खेलने में दिक्कत के कारण ऐसा हो सकता है। इससे बच्चों में पढ़ने-लिखने और दूसरी लर्निंग स्किल्स सीखने में दिक्कत आती है, जन्म से पहले एल्कोहल की समस्या और बचपन में इन समस्याओं को नजरअंदाज करना। इस दौरान बच्चे किसी चीज की नकल उतारने में असमर्थता, साधारण निर्देशों को समझने में परेशानी और खिलौनों से खेलने में कम दिलचस्पी होती है। इसके लिए डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए और खुद भी बच्चों की मदद करनी चाहिए। ऐसी स्थिति में बच्चों पर गुस्सा नहीं करना चाहिए और न ही उन्हें मारना चाहिए। उन्हें इस समय आपके प्यार और भरोसे की जरूरत होती है।

विकास धीमा होने से बच्चे शिक्षा और अन्य गतिविधियों में अपनी उम्र के बच्चे से पीछे रह जाते हैं। उन्हें खुलकर अपनी बात कहनें या क्लास में भाषण देने में डर लगता है। हालांकि विकास में देरी स्थाई नहीं होती लेकिन अगर समय रहते इसकी पहचान करके इलाज नहीं किया जाता है, तो यह समस्या और बढ़ सकती है। इसके अलावा अपने बच्चे के खानपान और खेलकूद पर विशेष ध्यान देने की जरूरत होती है।

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