Side Effects of Plant Based Protein: जिम में एक्सरसाइज करने वाले बॉडी-बिल्डर हों या सामान्य फिटनेस फ्रीक, आज के समय में सभी लोग प्रोटीन सप्लीमेंट का सेवन करते हैं। प्रोटीन सप्लीमेंट के नाम पर मार्केट में तमाम तरह के प्रोटीन पाउडर मिलते हैं। ज्यादातर लोग व्हे प्रोटीन या प्लांट बेस्ड प्रोटीन का सेवन करते हैं। ऐसा माना जाता है की प्लांट बेस्ड प्रोटीन का सेवन व्हे प्रोटीन से ज्यादा फायदेमंद होता है। प्रोटीन का सेवन करने से मांसपेशियों के विकास और रखरखाव में मदद मिलती है। सभी तरह के प्रोटीन सप्लीमेंट दिखने में एक जैसे ही होते हैं और इनका स्वाद भी लगभग एक जैसा ही होता है। लेकिन प्रोटीन सप्लीमेंट या प्रोटीन पाउडर को बनाने में इस्तेमाल की जाने वाली चीजें अलग-अलग होती हैं। प्लांट बेस्ड प्रोटीन का सेवन करने से भी शरीर को कई तरह के नुकसान पहुंचने का खतरा रहता है। आइए इस लेख में विस्तार से जानते हैं, प्लांट बेस्ड प्रोटीन का सेवन करने से शरीर को होने वाले नुकसान और इससे जुड़ी सावधानियों के बारे में।
प्लांट बेस्ड प्रोटीन का सेवन करने के नुकसान- Side Effects Of Plant Based Protein in Hindi
प्लांट बेस्ड प्रोटीन और एनिमल प्रोटीन का सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है। प्लांट बेस्ड प्रोटीन और एनिमल प्रोटीन में लयूसीन कंटेन्ट का अंतर रहता है। लयूसीन एक तरह का अमीनो एसिड है, जो मांसपेशियों के विकास में मदद करता है। आरोग्यं हेल्थ सेंटर के क्लीनिकल डाइटिशियन डॉ वीडी त्रिपाठी कहते हैं, "एनिमल बेस्ड प्रोटीन में लयूसीन की मात्रा ज्यादा होती है और प्लांट बेस्ड प्रोटीन में लयूसीन कंटेन्ट कम होता है। यही कारण है की प्लांट बेस्ड प्रोटीन का डेली इनटेक एनिमल या व्हे प्रोटीन से ज्यादा रखना होता है।" बहुत ज्यादा मात्रा में प्लांट बेस्ड प्रोटीन का सेवन करने से किडनी और लिवर को भी नुकसान पहुंचने का खतरा रहता है।
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किसी भी प्रोटीन सप्लीमेंट का सही तरीके और संतुलित मात्रा में सेवन करने से शरीर को फायदा मिलता है। कुछ लोग जल्दी बॉडी बनाने के चक्कर में बिना एक्सपर्ट या डॉक्टर की सलाह लिए अपने ढंग से इसका सेवन करने लगते हैं। ऐसा करने से शरीर को फायदे की जगह गंभीर नुकसान पहुंचने का खतरा रहता है। प्लांट बेस्ड प्रोटीन में जरूरी अमीनो एसिड की कमी होती है, इसके कारण यह प्रोटीन उतना प्रभावी नहीं माना जाता है।
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मांसपेशियों के विकास और रखरखाव के लिए सभी जरूरी अमीनो एसिड की पर्याप्त मात्रा जरूरी है। इसके अलावा प्लांट बेस्ड प्रोटीन में प्रोटीन डेंसिटी भी कम होती है, इसकी वजह से इसका सेवन करने से शरीर को कम्प्लीट प्रोटीन नहीं मिल पाता है। डॉ त्रिपाठी कहते हैं, कुछ तरह के प्लांट बेस्ड प्रोटीन में एंटी-न्यूट्रीएंट्स पाए जाते हैं। इनमें मौजूद फाइटेट्स और लेक्टिन जैसे यौगिक शरीर में पोशक तत्वों के अवशोषण को कम करने या प्रभावित करने का काम करते हैं। ऐसे लोग जिन्हें पाचन तंत्र से जुड़ी परेशानी है, उनके लिए प्लांट बेस्ड प्रोटीन का सेवन नुकसानदायक हो सकता है।
फल, सब्जी और अनाज आदि में मौजूद प्रोटीन की सहायता से प्लांट बेस्ड प्रोटीन को तैयार किया जाता है। मटर, सोया और ब्राउन राइस आदि प्रोटीन प्लांट बेस्ड प्रोटीन के उदहारण हैं। प्लांट बेस्ड प्रोटीन शरीर के लिए फायदेमंद और उपयोगी माने जाते हैं। इनका भी काम मांसपेशियों को मजबूत करना और उनके विकास में मदद करना होता है। इस प्रोटीन का पाचन भी डेरी आधारित प्रोटीन के मुकाबले ज्यादा ठीक होता है। इस प्रोटीन को बनाने में अतिरिक्त शुगर आदि का इस्तेमाल नहीं किया जाता है। हालांकि इसका सेवन एक्सपर्ट या डॉक्टर की सलाह के आधार पर ही करना चाहिए।
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