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रोने का दिल करे तो रो लेना चाहिए, आंसू रोकने से भी हो सकते हैं सेहत को ये कुछ नुकसान

यदि आंसूओं को एक दो बार रोका जाए तो सेहत को ज्यादा नुकसान नहीं होता है लेकिन यदि व्यक्ति बार-बार आंसू रोकता है इससे सेहत को कुछ नुकसान हो सकते हैं।
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रोने का दिल करे तो रो लेना चाहिए, आंसू रोकने से भी हो सकते हैं सेहत को ये कुछ नुकसान


जीवन में उतार चढ़ाव आना स्वभाविक है। ऐसे में व्यक्ति कभी दुखी तो कभी खुश हो जाता है। उसकी आंखों में कभी दुखी के आंसू नजर आते हैं तो कभी खुशी के आंसू झलक आते हैं। लेकिन कुछ लोग ऐसे होते हैं जो अपने एक्सप्रेशंस को लोगों के सामने व्यक्त नहीं करना चाहते और वह अपने आंसुओं को रोकने की कोशिश करते हैं। एक दो बार अपने आसूओं को रोकना सही है। लेकिन बार बार ऐसा करना सेहत के लिए कितना नुकसानदायक हो सकता है। इन नुकसानों के बारे में पता होना जरूरी है। आज का हमारा लेख इसी विषय पर है। आज हम आपको अपने इस लेख के माध्यम से बताएंगे कि आंसू को रोकने से व्यक्ति को सेहत से जुड़ी किन समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। इसके लिए हमने गेटवे ऑफ हीलिंग साइकोथेरेपिस्ट डॉ. चांदनी (Dr. Chandni Tugnait, M.D (A.M.) Psychotherapist, Lifestyle Coach & Healer) से भी बात की है। पढ़ते हैं आगे...

 

1 - भावनाओं का असंतुलन

रोने से न केवल मन को शांति मिलती है बल्कि इससे व्यक्ति की भावनाओं पर भी प्रभाव पड़ सकता है। भावनाओं पर काबू रखने के लिए व्यक्ति का रोना जरूरी है। लेकिन जो लोग अपने आंसू रोकते हैं उनमें भावनाओं के असंतुलन की समस्या हो सकती है। 

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2 - तनाव से ग्रस्त हो जाना

आंसू रोकने व्यक्ति को मानसिक तनाव का सामना करना पड़ सकता है। बता दें कि रोने की भावना प्रकट होने पर Amygdala hijack (इमोशन रिस्पॉन्स) सक्रिय हो जाता है। यही कारण होता है इससे सिग्नल मिलता है कि व्यक्ति को रोने का मन है। वहीं शरीर भी खुद को इसी अवस्था के आधीन मान लेता है। इस प्रकिया से Adrenocorticotropic hormone (ACTH) हार्मोन्स रिलीज होने लगते हैं। ये किडनी तक जाकर कोर्टिसॉल स्ट्रेस हार्मोन रिलीज करते हैं। 

3 - आंखों की समस्या हो जाना

आंसू के आने से व्यक्ति को पलकें झपकाने में मदद मिलती हैं। वहीं अगर व्यक्ति अपने आंसू को रोकें तो आंखों में नमी की कमी हो सकती है। साथ ही ये श्‍लेष्‍म झिल्‍ली को सूखने की समस्या हो सकती है। इसके अलावा आंखों की समस्या में द्रष्टि का धुंधलापन भी शामिल हैं। ऐसे में आंसू रोकने से आंखों की समस्या हो सकती है।

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4 - मनोदशा पर नकारात्मक प्रभाव

क्या आप जानते हैं कि रोने से दर्द को कम करने में मदद मिल सकती है। जी हां, रोने से व्यक्ति का मन हल्का हो जाता है। साथ ही ये आपको भावनात्‍मक संतुष्ट भी कर सकता है। वहीं अगर व्यक्ति रोने को कंट्रोल करता है या रोने को रोकता है तो इससे शरीर की गर्म हवा बाहर नहीं निकल पाती है और शरीर में ताजी और ठंडी हवा प्रवेश नहीं कर पाती है। ताजी और ठंडी हवा हमारे दिमाग के तापमान को नियंत्रित रखने में उपयोगी है। ऐसे में इनकी कमी शरीर के उच्‍च तापमान को बढ़ा सकती है। इस कारण भी व्यक्ति तनाव का सामना कर सकता है। और उसकी मनोदशा भी बिगड़ सकती है।

नोट - ऊपर बताए गए बिंदुओं से पता चलता है कि यदि व्यक्ति आंसू रोकने की कोशिश करता है तो इससे उसकी सेहत पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। हालांकि एक दो बार ऐसा करने से सेहत को कोई नुकसान नहीं होता है लेकिन बार-बार ऐसा करने से सेहत को कई समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। ऐसे में व्यक्ति को पता होना चाहिए कि रोने से न केवल आंखों को साफ किया जा सकता है बल्कि व्यक्ति का मन भी हल्का हो जाता है।

इस लेख में फोटोज़ Freepik से ली गई हैं।

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