Should children Till 7 Years Age Sleep With Parents: आमतौर पर हमारे देश में जन्म के बाद से ही बच्चे अपने पेरेंट्स के साथ सोते हैं। लेकिन, जैसे-जैसे न्यूक्लियर फैमिली का कल्चर विकसित हो रहा है, वैसे-वैसे बच्चों को जन्म के कुछ महीनों बाद से ही अकेले सुलाने का कल्चर तेजी से फैल रहा है। ऐसे में पेरेंट्स दो खेमों में बट गए हैं। एक खेमे का कहना है कि बच्चों को पेरेंट्स के साथ सोना चाहिए, जबकि दूसरे लोगों का मानना है कि बच्चों को स्वतंत्र यानी इंडिपेंडेंट बनाने के लिए जरूरी है कि वे अकेले सोएं। इस तरह की बहस के कारण अक्सर पेरेंट्स परेशान रहते हैं कि उन्हें अपने बच्चों को साथ में सुलाना चाहिए या नहीं? क्या पेरेंट्स के साथ सुलाने से बच्चे की हेल्थ पर भी कोई पॉजिटिव असर पड़ता है? इस बारे में Global Leading Holistic Health Guru Dr. Mickey Mehta ने इंस्टा पर एक वीडियो शेयर की है। आप भी जानें जवाब।
क्या बच्चों को पेरेंट्स के साथ सोना चाहिए?- Should Children Sleep With Parents In Hindi
बच्चों को पेरेंट्स के साथ ही सुलाना चाहिए। सही बात तो ये है कि सात साल की उम्र तक बच्चों को पेरेंट्स साथ सुलाने की सलाह दी जाती है। इसके कई कारण चिन्हित किए गए हैं। जैसे आप विदेशों में देख सकते हैं कि ज्यादातर पेरेंट्स अपने दो से तीन साल तक के शिशुओं को भी अलग कमरे में सुलाते हैं। लेकिन, ये बच्चे अक्सर अपना बिस्तर गीला कर देते हैं या फिर रात को चौंक कर उठते हैं। कई बार ये बच्चे ऐसा सपना देखते हैं, जिससे इनके मन में डर या फोबिया बैठ जाता है। यही नहीं, आपको शायद यह जानकर हैरानी होगी कि अगर बच्चा इस अवस्था में सोता है, तो उसे रेस्ट भी नहीं मिलता, वह रिकवर नहीं कर पाता है और न ही उसकी बॉडी सही तरह से रिपेयर हो पाती है। वहीं, अगर पेरेंट्स अपने बच्चों को सात साल की उम्र तक साथ सुलाते हैं, तो इस तरह की कोई दिक्कत बच्चों में देखने को नहीं मिलती है।
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बच्चों को पेरेंट्स के साथ सुलाने के फायदे- Health Benefits For Kids To Sleep With Parents In Hindi
बच्चों को कम से कम 7 साल की उम्र तक साथ सुलाने से कई फायदे मिलते हैं। जब बच्चे अपने पेरेंट्स के साथ सोते हैं, तो उन्हें इमोशनल सपोर्ट मिलता है। असल में, जब छोटे बच्चे बहुत सेंसिटिव होते हैं। छोटे बच्चे कई चीजें सब्कॉन्शसली यानी अवचेतन मन में सीखते हैं। आपने अक्सर देखा होगा कि सोते हुए बच्चे कई बार सिसकियां लेते हैं। अगर मां साथ सो रही होती है, तो वे अपने बच्चे को हल्के हाथों से थपथपाती है। ऐसे में बच्चे की सिसकियां रुक जाती है और वह दोबारा गहरी नींद में चला जाता है। इतना ही नहीं, सिसकियों के कारण अक्सर बच्चे की हार्ट बीट बढ़ जाती है, उसमें डर बैठ जाता है, यह सब मां की हथेलियों से क्षणभर में रुक जाता है। इससे बच्चों के ओवर ऑल हेल्थ पर भी बहुत अच्छा असर पड़ता है। इससे बेडटाइम स्ट्रेस भी कम होता है।
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अलग सुलाने से पहले रखें इन बातों का ध्यान- At What Age Should A Child Stop Sleeping With Their Parents In Hindi
- बच्चों को एकदम से अलग रूम में सुलाने की कोशिश न करें, इससे बच्चे का मन आहत हो सकता है।
- बच्चे को अलग रूम में सुलाने से पहले उसे मेंटली तैयार करें।
- जब बच्चा अलग रूम में सोए, तो कुछ दिनों के लिए अपने बेडरूम का दरवाज खोलकर रखें ताकि बच्चे को रात के समय डर लगे, तो वह आपके कमरे में आकर सो सके।
- अगर बच्चा अलग रूम में सोने लगा है, तो बीच रात में एक-दो बार आप उसे देख आएं कि वह ठीक से सो रहा है या नहीं।