Co-Sleeping Benefits With Infant: नवजात शिशु को देखभाल की आवश्यकता होती है। नवजात शिशु मां के गर्भ से ही घर के सदस्यों की आवाज को सुन सकता है। ऐसे में वह खुद को अपने घर के सदस्यों के पास सुरक्षित महसूस करता है। शिशु के घर पर आने के बाद कई पैरेंट्स बच्चे को अलग सुलाने पर विचार करते हैं। लेकिन इस दौरान बच्चा बेहद छोटा होता है और वह अपनी परेशानियों को केवल रोकर ही बताने का प्रयास करता है। ऐसे में यदि बच्चे को रात में भूख लगी तो मां को नींद में उसकी जरूरत का पता नहीं लग सकता है। इस वजह से बच्चे के साथ सोने को बेहतर विकल्प माना जाता है। बच्चे से अलग सोने से सडन इंफेंट डेथ सिंड्रोम की संभावना भी बढ़ सकती है। आगे अपोलो अस्पताल के बच्चों के डॉक्टर नारजोहन मेश्राम से जानते हैं कि नवजात शिशु के साथ सोने से उनको क्या फायदे हो सकते हैं।
शिशु के साथ सोने का क्या मतलब है? - What is Co sleeping with infant in hindi
जब माता-पिता जब के पास सोते हैं तो इसे को-स्पीलिंग (Co-Sleeping) कहा जाता है। बच्चों के साथ सोने से माता-पिता और बच्चे का बोन्ड डेवलप होता है। नवजात शिशु अपनी पेरशानियों को जब रोकर बताने का प्रयास करता है तो इस पैर्टन को समझकर अभिभावक उसकी परेशानी को दूर करने का प्रयास करते हैं। इससे बच्चे को अकेला महसूस नहीं होता है और यह बच्चे के विकास के लिए एक अहम रोल अदा करता है।
शिशु के साथ सोने के फायदे - Benefits Of Co-Sleeping With Infant In Hindi
बेहतर बॉन्डिंग स्थापित होना
एक साथ सोने का फायदा यह है कि माता-पिता और शिशु के बीच एक मजबूत भावनात्मक बॉन्ड बनता है। नींद के दौरान अभिभावक की शारीरिक निकटता बच्चे में सुरक्षा और आराम की भावना को बढ़ावा देती है, जिससे माता-पिता और बच्चे का लगाव मजबूत होता है। यह निकटता शिशु के भावनात्मक विकास पर सकारात्मक प्रभाव डाल सकती है।
स्तनपान में सुविधा
शिशु के साथ सोने से मां को बच्चे को स्तनपान कराने में आसानी आती है। बच्चे के करीब होने से मां के लिए रात में दूध पिलाना अधिक सुलभ हो जाता है, जिससे स्तनपान की अवधि और आवृत्ति बढ़ जाती है। रात के दौरान स्तनपान कराने में शिशु की पोषण संबंधी जरूरतें पूरी होती है और मां के दूध की आपूर्ति में भी मदद मिलती है।
नींद का पैटर्न बेहतर होता है
बच्चे के साथ सोने से शिशु की नींद का पैर्टन बेहतर होता है। इसके साथ ही माता-पिता को भी बच्चे के साथ एक पैर्टन को डेवलप करने में मदद मिलती है। पहले कुछ दिनों तक तो माता-पिता को समस्या हो सकती है, लेकिन कुछ समय के बाद उनका पैर्टन बन जाता है।
शिशु के संकेतों को समझना
शिशु के साथ सोने से अभिभावक बच्चे की जरूरतों को समझ पाते हैं। साथ ही, वह उसकी जरूरतों को पूरा करने का प्रयास करते हैं। इससे अभिभावक बच्चे की आदतों से एवेयर होते हैं। इससे उन्हें बच्चे के साथ खुद को एडजस्ट करने में मदद मिलती है।
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Co-Sleeping With Your Baby: नवजात शिशु अपनी जरूरतों और परेशानियों को रोकर या किसी संकेतों के माध्यम से बताते हैं। इन संकेतों को समझने के लिए अभिभावकों को थोड़े समय की आवश्यकता होती है। इसके लिए उनका बच्चे के साथ बॉन्ड स्थापित होना बेहद आवश्यक होता है।