जो महिलाएं अधिक समय तक बैठी रहती हैं, खासकर जो मेनोपॉज से गुजर चुकी हैं (Post-menopausal Women) और उनके शरीर का भार अधिक अधिक है या मोटापे से ग्रसित हैं उनमें हृदय रोग का खतरा बढ़ सकता है। ये बातें एक अध्ययन में सामने आई है।
अमेरिका के फीनिक्स में एरिजोना स्टेट यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ हेल्थ सॉल्यूशन में न्यूट्रीशन के प्रोफेसर और अध्ययन के प्रमुख लेखक डोरोथी सियर्स कहते हैं "बैठने के समय को कम करने से ग्लूकोज नियंत्रण और रक्त प्रवाह में सुधार होता है, और शारीरिक गतिविधियां भी बढ़ती हैं, यहां तक कि खाना पकाने और खरीदारी जैसी हल्की-फुल्की रोजाना की गतिविधियां, मृत्यु दर के जोखिम को कम करने और हृदय रोग और स्ट्रोक की रोकथाम के साथ अनुकूल जुड़ाव दिखाती हैं।"
औसतन 63 साल की महिलाओं को किया गया था शामिल
जर्नल ऑफ द अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन में प्रकाशित इस अध्ययन में, शोधकर्ताओं ने बड़ी उम्र की महिलाओं और जो अधिक वजन वाली या मोटापे की शिकार थीं, की आदतों को मापा। अध्ययन में शामिल कुल 518 महिलाएं जिनका बॉडी मास इंडेक्स 31 kg/m2 था। सभी महिलाओं की उम्र औसतन 63 वर्ष थी।
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14 दिनों तक अध्ययन किया गया
अध्ययन के प्रतिभागियों ने 14 दिनों तक अपने दाहिने कूल्हे पर एक्सेलेरोमीटर (Accelerometers) पहना। उपकरण को केवल सोते समय और स्नान करने या तैरने के दौरान ही रिमूव किया। एक्सेलेरोमीटर का उपयोग पूरे दिन महिला प्रतिभागियों की बैठने और शारीरिक गतिविधि को ट्रैक करने और रिकॉर्ड करने के लिए किया गया था। इस दौरान सिर्फ बार रक्त का परीक्षण किया गया, जिसमें ब्लड शुगर और इंसुलिन रेजिस्टेस को मापा गया। (महिलाओं में हृदय रोगों के कारण और रोकथाम के उपाय)
बैठने के प्रत्येक अतिरिक्त घंटों को 6 प्रतिशत से अधिक फास्टिंग इंसुलिन और इंसुलिन रेजिस्टेंस में 7 प्रतिशत से अधिक वृद्धि के साथ जोड़ा गया था, जो परिणाम दिखाते हैं। औसत बैठने की अवधि में प्रत्येक अतिरिक्त 15 मिनट में 7 प्रतिशत से अधिक फास्टिंग इंसुलिन और इंसुलिन रेजिस्टेंस में लगभग 9 प्रतिशत की वृद्धि के साथ जुड़ा हुआ था।
सियर्स कहते हैं "हम बैठने के अतिरिक्त समय और इंसुलिन रेजिस्टेंस के बीच मजबूत नकारात्मक जुड़ाव को देखकर आश्चर्यचकित थे, और एक्सरसाइज और ओबेसिटी के जिम्मेदार होने के बाद भी इसमें मजबूत जुड़ाव था।"
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वजन प्रबंधन के लिए WHO की सलाह
- मोटापा, हृदय रोग का प्रमुख कारण है, इसलिए वजन प्रबंधन के लिए सबसे जरूरी है कि आप अपने वजन की निगरानी करें, अगर वजन बढ़े तो उसका प्रबंधन करें।
- वसा के सेवन को सीमित करें और सेचुरेटेड फैट के बजाए अनसेचुरेटेड फैट को डाइट में शामिल करें।
- फलों के सेवन को बढ़ाएं साथ ही आहार में सब्जियों, दालें, साबुत अनाज और नट्स को शामिल करें।
- चीनी और नमक के अत्यधिक सेवन में कटौती करें।
- इन सभी बातों के अलावा, एक्सरसाइज करना न भूलें। रोजाना 30 से 60 मिनट की एक्सरसाइज जरूरी है।
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