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दस्त रोकने में कारगर है सौंफ, जानें इस्तेमाल और फायदे

आजकल की लाइफस्टाइल, असंतुलित डाइट और बदलते मौसम के कारण पाचन संबंधी समस्याएं आम हो गई हैं। यहां जानिए, क्या सौंफ दस्त को रोक सकती है?
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दस्त रोकने में कारगर है सौंफ, जानें इस्तेमाल और फायदे

आज के समय में भागदौड़ भरी लाइफस्टाइल, असंतुलित खानपान और बदलते मौसम खासकर गर्मियों में बढ़ती गर्मी के कारण पाचन संबंधी समस्याएं तेजी से बढ़ रही हैं। इनमें से एक आम और परेशान करने वाली समस्या है दस्त की। यह स्थिति शरीर से बार-बार पतले मल का त्याग होने के कारण होती है, जिससे डिहाइड्रेशन, कमजोरी और कभी-कभी अन्य गंभीर समस्याएं भी हो सकती हैं। यह समस्या बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक किसी को भी प्रभावित कर सकती है, खासकर जब शरीर का पाचन तंत्र कमजोर हो जाता है। आयुर्वेद में अतिसार यानी दस्त को वात, पित्त और कफ दोषों के असंतुलन के रूप में देखा जाता है। अतिसार का मुख्य कारण जठराग्नि (पाचन अग्नि) का मंद होना, दूषित भोजन का सेवन, जलवायु परिवर्तन और मानसिक तनाव हो सकता है। आधुनिक चिकित्सा में जहां दस्त को रोकने के लिए एंटीबायोटिक्स या अन्य दवाएं दी जाती हैं, वहीं आयुर्वेद प्राकृतिक और सुरक्षित उपायों की सलाह देता है जो शरीर को अंदर से मजबूत बनाते हैं और जठराग्नि को जाग्रत करते हैं। इस लेख में नोएडा के सेक्टर-12 में स्थित, अर्चित आयुर्वेदिक क्लिनिक के डॉ. अनंत त्रिपाठी से जानिए, दस्त की समस्या में सौंफ का उपयोग और फायदे क्या हैं?

दस्त की समस्या में सौंफ

सौंफ के बीज पाचन क्रिया को सुधारते हैं, जिससे अपच, गैस और सूजन जैसी समस्याएं कम होती हैं। आयुर्वेद के अनुसार, सौंफ के बीज वात और कफ दोष को संतुलित करते हैं, जो अतिसार के प्रमुख कारण होते हैं। इसके अलावा सौंफ के बीज शरीर से विषाक्त पदार्थों यानी टॉक्सिन को बाहर निकालने में मदद करते हैं।

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अतिसार (डायरिया) में सौंफ के बीजों का उपयोग

1. सौंफ का काढ़ा

सौंफ के बीजों को पानी में उबालकर काढ़ा तैयार किया जाता है। इस काढ़े का सेवन दिन में 2-3 बार करने से अतिसार में राहत मिलती है।

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2. सौंफ का पाउडर

सूखे सौंफ के बीजों को पीसकर पाउडर बना लिया जाता है। इस पाउडर को गर्म पानी के साथ सेवन करने से आंतों की सूजन कम होती है और दस्त की समस्या में राहत मिल सकती है।

3. सौंफ का अर्क

सौंफ के बीजों का अर्क निकालकर उसका सेवन करने से पाचन क्रिया मजबूत होती है और अतिसार यानी दस्त की समस्या कम होती है।

सौंफ के बीजों को अच्छे से धोकर ही उपयोग करें, ताकि किसी भी प्रकार की अशुद्धि शरीर में न जाए। यदि अतिसार की समस्या गंभीर हो या लगातार बनी रहे, तो आयुर्वेदिक डॉक्टर से परामर्श लें।

निष्कर्ष

आयुर्वेद में सौंफ के बीजों का उपयोग अतिसार यानी दस्त के उपचार में एक प्रभावी और प्राकृतिक उपाय है। इसके सेवन से पाचन क्रिया मजबूत होती है, आंतों की सूजन कम होती है और शरीर से विषाक्त पदार्थ यानी टॉक्सिन बाहर निकलते हैं। हालांकि, इसका सेवन सीमित मात्रा में और उचित तरीके से करना चाहिए। यदि आप अतिसार की समस्या से जूझ रहे हैं, तो सौंफ के बीजों का सेवन एक सहायक उपाय हो सकता है, लेकिन गंभीर मामलों में डॉक्टर की सलाह लेना बेहद जरूरी है।

All Images Credit- Freepik

FAQ

  • दस्त लगने का कारण क्या है?

    दस्त लगने के कई कारण हो सकते हैं, जिनमें सबसे सामान्य कारण दूषित भोजन या पानी का सेवन है। बैक्टीरिया, वायरस या इंफेक्शन भी दस्त का प्रमुख कारण होते हैं। ज्यादा ऑयली, मसालेदार या असंतुलित भोजन पाचन तंत्र को बिगाड़ सकता है, जिससे दस्त हो सकते हैं। गर्मी के मौसम में शरीर में पानी की कमी या अधिक पित्त उत्पन्न होने से भी दस्त की समस्या हो सकती है। इसके अलावा तनाव, एलर्जी, एंटीबायोटिक्स का दुष्प्रभाव, पेट की पुरानी बीमारियां भी दस्त का कारण बन सकती हैं। साफ-सफाई और बैलेंस डाइट इसका बचाव कर सकते हैं।
  • दस्त होने पर क्या नहीं खाना चाहिए?

    दस्त होने पर पाचन तंत्र कमजोर हो जाता है, इसलिए कुछ चीजों से परहेज करना जरूरी होता है। सबसे पहले तली-भुनी, मसालेदार और भारी चीजों से दूर रहना चाहिए। ऐसा इसलिए, क्योंकि ये पेट को और अधिक परेशान कर सकती हैं। दूध और दूध से बने प्रोडक्ट्स, जैसे पनीर या दही, दस्त बढ़ा सकते हैं, खासकर यदि आप लैक्टोज इनटॉलरेंट हो। कच्ची सब्जियां, फास्ट फूड, कैफीन, शराब और ज्यादा मीठे पदार्थों का सेवन भी नहीं करना चाहिए। हल्का, सुपाच्य और तरल आहार लेना अधिक फायदेमंद रहता है।
  • क्या दस्त में रोटी खानी चाहिए?

    दस्त के दौरान रोटी का सेवन सावधानी से किया जा सकता है, लेकिन कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है। सामान्य गेहूं की रोटी हल्की और सुपाच्य होती है, इसलिए इसे बिना घी या तेल लगाए नरम बनाकर खाया जा सकता है। रोटी में मौजूद फाइबर पेट को बांधने में मदद करता है, लेकिन ज्यादा मात्रा से बचना चाहिए। यदि दस्त बहुत अधिक हो रहे हों, तो पहले कुछ समय के लिए तरल आहार (जैसे खिचड़ी, दाल का पानी, मूंग दाल सूप) लेना बेहतर होता है। धीरे-धीरे जब पाचन सुधरने लगे, तब रोटी को डाइट में शामिल किया जा सकता है।

 

 

 

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