सॉल्ट थेरेपी क्या है? जानें इसके फायदे, नुकसान और प्रकार

ड्राय सॉल्ट थेरेपी और वैट सॉल्ट थेरेपी एक दूसरे से पूरी तरह अलग होते हैं। जानें इन दोनों में से कौन-सी थेरेपी अधिक फायदेमंद होती है-
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सॉल्ट थेरेपी क्या है? जानें इसके फायदे, नुकसान और प्रकार

सॉल्ट थेरेपी का उपयोग श्वसन संबंधी समस्याओं जैसे अस्थमा और ब्रोंकाइटिस को ठीक करने के लिए किया जाता है। इसके अलावा इस थेरेपी की मदद से कुछ मानसिक रोगों जैसे एंग्जायटी, स्ट्रेस और डिप्रेशन से भी छुटकारा मिल सकता है। यह थेरेपी पूरी तरह से ड्रग फ्री होती है। जिस कमरे में इस थेरेपी को दिया जाता है, उसे सॉल्ट केव कहा जाता है। क्लाइमेट कंट्रोल करने के बाद मरीजों को एक घंटे तक इसी जगह पर रखा जाता है। इस थेरेपी में ब्रीदिंग के दौरान सॉल्ट पार्टिकल्स फेफड़ों तक पहुंचते हैं, जिससे मरीज ठीक होता है। आइए जानते हैं इसके लाभों और प्रकारों के बारे में।

सॉल्ट थेरेपी के फायदे

  • ड्राय सॉल्ट में अब्जॉर्ब करने के गुण होते हैं। इसमें एंटी बैक्टीरियल और एंटी इन्फ्लेमेटरी गुण भी होते हैं। नमक को सूंघने से म्यूकस पतला होता है। इससे अंदर जम गए पैथोजन और पॉलिटेंट्स बाहर आते हैं।
  • शरीर की प्राकृतिक मूवमेंट जैसे सिलिया मूवमेंट को स्टिमुलेट करने में भी नमक मदद करता है। सिलिया हमारे सांस के मार्ग को गंदगी और म्यूकस से साफ रखता है। इससे सांस लेने में आसानी होती है।
  • स्किन के लिए भी ड्राय साल्ट pH लेवल बनाए रखने में मदद करता है। जिसके कारण स्किन की सारी इंप्यूरिटी अब्जॉर्ब हो जाती हैं और त्वचा चमकदार बनती है। 
  • गर्भवती महिलाएं भी इस थेरेपी को आसानी से ले सकती हैं।
  • थेरेपी लेने के बाद मरीज को शरीर में एक्सट्रा एनर्जी महसूस होती है।

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सॉल्ट थेरेपी से कौन कौन सी स्थिति ठीक हो सकती हैं? 

  • कोल्ड और फ्लू
  • अस्थमा
  • हे फीवर
  • नींद और खर्राटें आना
  • ब्रोंकाइटिस और साइनसाइटिस
  • टॉन्सिलाइटिस और फाइब्रॉइड्स 
  • एंग्जायटी, स्ट्रेस और डिप्रेशन जैसी मानसिक स्थितियां
  • एक्जिमा और सोरायसिस

सॉल्ट थेरेपी के प्रकार

ड्राय सॉल्ट थेरेपी : ड्राय सॉल्ट थेरेपी के दौरान मरीजों को तापमान नियंत्रण करने के लिए मानव निर्मित सॉल्ट केव में रखा जाता है। इसमें एक यंत्र द्वारा नमक को पीसा जाता है। इसके बाद हवा में माइक्रो पार्टिकल्स फैल जाते हैं, ताकि बैक्टीरिया नष्ट हो सके। इससे सभी प्रकार के इंफेक्शन से राहत मिलती है। इससे इंफ्लामेशन कम होती है और सांस लेने वाली पाइप भी साफ होती है।

वैट सॉल्ट थेरेपी : इसमें नमक और पानी का प्रयोग किया जाता है। दो तरीकों से यह थेरेपी ली जा सकती है। नमक और पानी के गरारे करने से और सॉल्ट वॉटर में नहाने से। इस प्रक्रिया के दौरान आरामदायक और हल्के कपड़े पहनने चाहिए। इसमें मरीज को 45 मिनट तक सॉल्ट केव में रखा जाता है। इसके बाद लाइट डिम कर दी जाती है। इस थेरेपी के एक घंटे के सेशन के दौरान मरीज को लगभग 15 mg नमक सूंघना पड़ता है। इस कमरे की ह्यूमिडिटी और तापमान एक समुद्री लोकेशन के जैसा ही होता है।

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सॉल्ट थेरेपी के साइड इफेक्ट्स

  • अस्थमा के मरीजों को इस थेरेपी से एलर्जी हो सकती है।
  • यह मरीज की खांसी और सांस कम आने जैसी स्थिति को और खराब कर सकती है।
  • कुछ लोगों को इस थेरेपी के दौरान सिर में भी बहुत दर्द हो सकता है।

अगर आप अस्थमा जैसी श्वसन बीमारियों के मरीज हैं और आपको सांस लेने में काफी ज्यादा दिक्कत महसूस करने को मिल रही है तो आपको एक बार यह थेरेपी जरूर ट्राई करनी चाहिए। हो सकता है इसको दो या तीन महीने तक ट्राई करने से आपको कुछ फायदे मिल सके। अगर आपको कोई अन्य शारीरिक समस्याए है तो उसके बारे में डॉक्टर से जरूर बात करें।

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