गर्भनिरोधक गोलियां अनचाहे गर्भ को रोकने का एक आसान तरीका है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इनके क्या दुष्परिणाम हो सकते हैं? जो महिलाएं गर्भनिरोधक गोलियां लेती हैं, वे समझ सकती हैं कि हम क्या कह रहे हैं। वैसे, गर्भ निरोधक गोलियां एक बहुत ही सामान्य गर्भनिरोधक विधि हैं, लेकिन जोखिम भरी भी हैं। इसलिए नहीं कि यह काम नहीं करती, बल्कि इसके हानिकारक प्रभावों के कारण। आपातकालीन गर्भनिरोधक गोलियां, जो एक बार ली जाती हैं, उनके दुष्प्रभाव होते हैं, तो कल्पना करें कि बर्थ कंट्रोल यानि गर्भनिरोधक गोलियां क्या कर सकती हैं। भावनात्मक अशांति बर्थ कंट्रोल गोलियां लेने के दुष्प्रभावों में से एक है। जी हां इन गोलियों को लेने वाली महिलाएं अपनी भावनाओं पर नियंत्रण आसानी से खो देती हैं। वे भावनात्मक रूप से संवेदनशील हो जाती है और इसके कारण क्या है, जानने के लिए इस रिसर्च को पढ़ें।
बिना डॉक्टरी सलाह के गोलियां लेना
कोई भी दवा भले ही वह बर्थ कंट्रोल पिल्स ही क्यो न हो, बिना डॉक्टरी सलाह के नहीं लेनी चाहिए। यदि डॉक्टर द्वारा निर्धारित की गई हो, तो ही लेनी चाहिए। कोई भी सामान्य दवाएं एक हद तक ठीक हैं, लेकिन बिना किसी प्रिस्क्रिप्शन यानि डॉक्टर के सुझाव के किसी भी दवा का लंबे समय तक सेवन हानिकारक है। चूंकि बर्थ कंट्रोल पिल्स बिना किसी असफलता के दैनिक रूप से ली जाती हैं। इसलिए हर दिन आपके शरीर में जो रसायन जा रहे हैं, वह आपके हार्मोन के साथ गड़बड़ी करते हैं, जो साइड-इफेक्ट का कारण बनते हैं। यह गर्भनिरोधक गोलियां न केवल शारीरिक बल्कि भावनात्मक दुष्परिणाम भी पैदा कर सकती हैं।। स्त्री रोग विशेषज्ञ दावा करते हैं कि नियमित रूप से गर्भनिरोधक गोलियों का सेवन महिलाओं में गुस्से, मनोदशा में बदलाव, चिंता और यहां तक कि आत्मघाती प्रवृत्ति को भी जन्म दे सकती हैं।
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गर्भनिरोधक गोलियां और भावनात्मक स्वास्थ्य के बीच संबंध
साइंटिफिक रिपोर्ट्स जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, गर्भनिरोधक गोलियां लेने से एक महिला के जीवन में भावनात्मक अशांति काफी हद तक प्रभावित हो सकता है, कम हो जाती है कि वह अपना मानसिक संतुलन भी खो सकती है! हालांकि यह केवल सबसे खराब स्थिति में होता है। इसके अलावा गर्भनिरोधक गोलियों के कई अन्य दुष्प्रभाव भी हैं।
क्या कहती है रिसर्च?
अध्ययन के प्रमुख शोधकर्ता माइकल विंटरहल ने इसके भावनात्मक दुष्प्रभावों के पीछे का कारण बताते हुए कहा है : “ऑक्सीटोसिन शरीर में प्राकृतिक रूप से पाया जाने वाला एक हार्मोन है और सामाजिक व्यवहारों को मजबूत करने, सामाजिक संकेतों और संबंधों के दौरान स्रावित होता है। ऑक्सीटोसिन के लगातार ऊंचे स्तर का मतलब यह हो सकता है कि यह सामान्य परिस्थितियों में उसी गतिशील तरीके से स्रावित नहीं होता है। वास्तव में यही गतिशीलता है, जो हमारे भावनात्मक जीवन के लिए महत्वपूर्ण हैं। ”
शरीर में हार्मोनल संतुलन हमारी मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी बेहद महत्वपूर्ण है। जब ये परेशान होते हैं, तो हम शारीरिक और मानसिक परेशानियां झेलते हैं।
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बर्थ कंट्रोल या गर्भनिरोधक गोलियों के लिए ऑक्सीटोसिन प्रतिक्रिया भावनात्मक दुष्प्रभावों का कारण बनती है। रिसर्च टीम ने 400 से अधिक महिलाओं का अध्ययन किया, जो गर्भनिरोधक गोलियां ले रही थीं। कारकों की जांच करने पर, उन्होंने पाया कि गर्भनिरोधक गोलियों के कारण ऑक्सीटोसिन का स्तर बदलता है, जो भावनात्मक अशांति और समस्याओं का कारण बनता है। कुछ महिलाओं को ध्यान देने योग्य साइड-इफेक्ट्स का सामना नहीं करना पड़ा।
उन्होंने निष्कर्ष निकाला, "मस्तिष्क ऑक्सीटोसिन के स्तर में बहुत छोटे बदलाव भी भावनाओं को संसाधित करने के तरीके और हम एक-दूसरे के साथ कैसे बातचीत करते हैं, इस सबको प्रभावित करता है।"
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