World Brain Tumor Day: मोबाइल फोन के इस्तेमाल से बढ़ रहे हैं ब्रेन ट्यूमर के मामले, बेहद सामान्य हैं लक्षण

Brain Tumor Day: मोबाइल फोन के ज्यादा इस्तेमाल के कारण ब्रेन ट्यूमर होने की संभावना बढ़ सकती है। इसके लक्षण बेहद सामान्य होते हैं।
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World Brain Tumor Day: मोबाइल फोन के इस्तेमाल से बढ़ रहे हैं ब्रेन ट्यूमर के मामले, बेहद सामान्य हैं लक्षण


ब्रेन ट्यूमर एक खतरनाक बीमारी है। आमतौर पर ट्यूमर को कैंसर से पहले की स्टेज माना जाता है, मगर ब्रेन ट्यूमर के मामले में बहुत कम ट्यूमर ही कैंसरकारी होते हैं। हालांकि यह बात समझनी जरूरी है कि कैंसर न होते हुए भी, ब्रेन ट्यूमर बेहद खतरनाक माना जाता है। इसका कारण ये है कि ब्रेन ट्यूमर से सिर्फ मरीज का दिमाग ही नहीं, बल्कि पूरा शरीर प्रभावित होता है। आमतौर पर ब्रेन ट्यूमर का मतलब मस्तिष्क की किसी कोशिका में गांठ बन जाना है, जो लगातार बढ़ता जाए। ब्रेन ट्यूमर क्यों होता है, इस सवाल का मेडिकल साइंस के पास कोई संतुष्टिजनक जवाब नहीं है। मगर वैज्ञानिक इस बीमारी को गलत जीवनशैली और कई तरह के रेडिएशन के दुष्प्रभाव के रूप में देखते हैं।

आमतौर पर ब्रेन ट्यूमर की जांच के लिए संबंधित व्यक्ति के मस्तिष्क का एमआरआई स्कैन (MRI Scan) या सीटी स्कैन (CT Scan) करना पड़ता है। सामान्य लोगों के लिए ये जांच काफी मंहगी साबित होती हैं। मगर हाल में वैज्ञानिकों को इस क्षेत्र में एक बड़ी सफलता मिली है। दरअसल वैज्ञानिकों ने एक ऐसा ब्लड टेस्ट (खून की जांच) खोजा है, जिससे ब्रेन ट्यूमर का पता आसानी से लगाया जा सकता है। ये जांच अपेक्षाकृत ज्यादा आसान और सस्ती होगी।

मोबाइल फोन बढ़ा रहा है ब्रेन ट्यूमर के मामले

एक्सपर्ट्स मानते हैं कि दुनियाभर में लगातार बढ़ रहे ब्रेन ट्यूमर के मामलों के पीछे कारण, मोबाइल फोन का ज्यादा इस्तेमाल है। मोबाइल फोन से निकलने वाला रेडिएशन ब्रेन ट्यूमर के खतरे को बढ़ाता है। हालांकि इस क्षेत्र में अभी और शोध की जरूरत है, मगर WHO भी मानता है कि मोबाइल फोन से निकलने वाली इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रेडियोफ्रीक्वेंसी ब्रेन ट्यूमर के खतरे को बढ़ा सकता है।

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बहुत सामान्य होते हैं लक्षण, इसलिए कर देते हैं नजरअंदाज

ब्रेन ट्यूमर के शुरुआती लक्षण इतने सामान्य होते हैं, जिसे लोग यूं ही नजरअंदाज कर देते हैं और धीरे-धीरे ये बीमारी अंदर ही अंदर बढ़ती रहती है। आमतौर पर ब्रेन ट्यूमर की शुरुआत में लगातार सिरदर्द, चीजों को भूलना, माइग्रेन जैसे लक्षण या कभी-कभार बेहोशी होना, कंपकंपी होना आदि शामिल हैं।

भारत में बहुत पाए जाते हैं ब्रेन ट्यूमर के मामले

International Association of Cancer Registries की साल 2018 की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में हर साल 28,142 ब्रेन ट्यूमर के मामले पाए जाते हैं। इनमें से 24 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो जाती है। इतनी बड़ी संख्या में मौत का कारण यही है कि लोग ब्रेन ट्यूमर की जांच सही समय से नहीं करवा पाते हैं।
यहां ध्यान देने की बात ये है कि ब्रेन ट्यूमर के ज्यादातर मामले गरीबी में जीवन में जीने वाले लोगों में देखने को मिलते हैं। खराब जीवनशैली, गंदगी, खतरनाक केमिकल्स के संपर्क में रहना आदि ब्रेन ट्यूमर के खतरे को बढ़ाते हैं। इस नए ब्लड टेस्ट के आने से ब्रेन ट्यूमर की जांच ज्यादा सस्ती और आसान हो जाएगी, जिससे आम आदमी इसकी जांच सही समय से करा सकेंगे।

ब्रेन कैंसर का लगाया जा सकेगा आसानी से पता

ब्रेन कैंसर एक दुर्लभ बीमारी है, जो दुनियाभर में सिर्फ 0.6% लोगों को ही होती है। मगर आपको जानकर हैरानी होगी कि भारत में सबसे ज्यादा पाए जाने वाले ट्यूमर्स में, ब्रेन ट्यूमर 10वें नंबर पर है। दुनियाभर में मिलने वाले ब्रेन ट्यूमर के मरीजों में से 10% मरीज सिर्फ भारत से होते हैं। इसलिए इस तरह के ब्लड टेस्ट की जरूरत भारत जैसे देश को सबसे पहले है।

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87% सटीक परिणाम देगा नया ब्लड टेस्ट

वैज्ञानिकों का दावा है कि नया ब्लड टेस्ट 87% सटीकता के साथ ब्रेन ट्यूमर को पकड़ सकता है। इसलिए वैज्ञानिक इस खोज को लेकर काफी उत्साहित हैं। इस रिसर्च को नेचर कम्यूनिकेशन्स नाम के जर्नल में छापा गया है और इसके प्रमुख लेखक यूनिवर्सिटी ऑफ स्ट्रैकलाइड (यूके) के डॉ. मैथ्यू जे. बेकर हैं।

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