What is Post-Birth Control Syndrome And Symptoms in Hindi: आज के समय में अनचाही प्रेग्नेंसी को रोकने के लिए अक्सर महिलाएं हार्मोनल बर्थ कंट्रोल पिल्स लेती हैं। प्रेग्नेंसी से बचाव के लिए हार्मोनल बर्थ कंट्रोल (hormonal birth control) एक सुरक्षित और आसान तरीका है, जिसमें एस्ट्रोजन या प्रोजेस्टिन होता है। यह बर्थ कंट्रोल महिलाओं के ओव्यूलेशन को रोककर और गर्भाश्य की परत को हल्का करके प्रेग्नेंसी को रोकने में मदद करता है। इसलिए, आजकल महिलाएं इस तरह की दवाइयों का सेवन ज्यादा मात्रा में करने लगी है। लेकिन, जब कोई महिला हार्मोनल बर्थ कंट्रोल को लेना बंद करती है, तो इसके साइड इफेक्ट्स भी हो सकती है। हार्मोनल बर्थ कंट्रोल बंद करने के बाद कई महिलाओं को पोस्ट बर्थ कंट्रोल सिंड्रोम की समस्या का सामना करना पड़ता है। ऐसे में आइए शारदा अस्पताल और शारदा केयर हेल्थसिटी के सीनियर कंसल्टेंट डॉ. (प्रो.) नीरजा गोयल से जानते हैं कि पोस्ट बर्थ कंट्रोल सिंड्रोम क्या है (What does post birth control mean) और महिलाओं में इसके क्या लक्षण नजर आ सकते हैं?
पोस्ट-बर्थ कंट्रोल सिंड्रोम क्या है? - What Is Post Birth Control Syndrome in Hindi?
डॉ. (प्रो.) नीरजा गोयल ने पोस्ट-बर्थ कंट्रोल सिंड्रोम के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि कि, पोस्ट बर्थ कंट्रोल सिंड्रोम एक डिसऑर्डर है, जो हार्मोनल बर्थ कंट्रोल लेना बंद करने के 1 से 6 महीने के अंदर होता है। पोस्ट बर्थ कंट्रोल सिंड्रोम किस कारण होता है, इस बारे में अभी सही जानकारी नहीं है, लेकिन इससे आपके शरीर में हार्मोनल असंतुलन की समस्या हो सकती है। दरअसल हार्मोनल बर्थ कंट्रोल बंद करने के बाद पीड़ित के शरीर में अचनाक हार्मोनल स्तर में बदलाव आ सकता है। बता दें कि हार्मोनल बर्थ कंट्रोल शरीर में सिंथेटिक हार्मोन को भेजकर काम करता है, जो नेचुरल हार्मोनल संतुलन को बाधित कर सकता है। ऐसे में जब आपके शरीर को सिंथेटिक हार्मोन मिलना बंद हो जाते हैं तो इससे शरीर में कई तरह के बदलाव नजर आने लगते हैं।
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पोस्ट-बर्थ कंट्रोल सिंड्रोम के लक्षण क्या हैं? - What Are The Symptoms Of Post Birth Control Syndrome in Hindi?
डॉ. (प्रो.) नीरजा गोयल के अनुसार पोस्ट बर्थ कंट्रोल सिंड्रोम के कारण पीड़ित के शरीर में कई तरह के बदलाव नजर आ सकते हैं। जिसमें शामिल है-
1. पीरियड्स से जुड़ी समस्याएं
पोस्ट-बर्थ कंट्रोल सिंड्रोम से पीड़ित महिलाओं को पीरियड्स से जुड़े कई लक्षण नजर आ सकते हैं, जिसमें अनियमित पीरियड्स, एमेनोरिया (कई महीनों तक पीरियड्स न आना), डिसमेनोरिया (पीरियड्स के दौरान तेज दर्द) और हैवी ब्लीडिंग की समस्या हो सकती है।
2. मानसिक स्वास्थ्य पर असर
पोस्ट-बर्थ कंट्रोल सिंड्रोम, एक महिला के मानसिक स्वास्थ्य को भी काफी हद तक प्रभावित कर सकता है, जिसके कारण तनाव, घबराहट या बेचैनी की समस्या बढ़ सकती है। इतना ही नहीं काम करने में इंट्रेस्ट खत्म होना या डिप्रेशन की समस्या भी हो सकती है। साथ ही, मूड स्विंग के कारण चिड़चिड़ापन और बहुत ज्यादा गुस्सा आना भी आम हो सकता है।
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3. स्वास्थ्य से जुड़ी परेशानी
पीरियड्स और मानसिक स्वास्थ्य के अलावा, पोस्ट बर्थ कंट्रोल सिंड्रोम के कारण महिलाओं के शरीर में अन्य कई शारीरिक समस्याएं भी हो सकती हैं, जिसमें कमजोरी के कारण बहुत ज्यादा थकान महसूस होना, वजन बढ़ना या घटना, ब्रेस्ट में दर्द होना या बार-बार सिरदर्द होना शामिल है। है।
4. स्किन से जुड़ी समस्याएं
पोस्ट बर्थ कंट्रोल सिंड्रोम के कारण महिलाओं को स्किन से जुड़ी समस्याएं भी हो सकती है। ऐसे में चेहरे पर ब्लैकहेड्स या व्हाइटहेड्स होना, एक्ने निकलना, ड्राई स्किन की समस्या, त्वचा पर खुजली होना, स्किन पर सूजन होना. या बालों के झड़ने की समस्या काफी बढ़ जाती है।
निष्कर्ष
पोस्ट-बर्थ कंट्रोल सिंड्रोम, ऐसी स्थिति है, जो हार्मोनल बर्थ कंट्रोल बंद करने के बाद कुछ महिलाओं को प्रभावित करती है। इसके लक्षण हर महिला में अलग-अलग नजर आ सकते हैं, जिसे कंट्रोल करने के लिए जरूरी है कि आप अपने लाइफस्टाइल और डाइट में बदलाव करें और किसी भी तरह की गंभीर समस्या महसूस होने पर तुरंत डॉक्टर से कंसल्ट करें।
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