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एंजियोप्लास्टी और स्टेंट प्लेसमेंट के बाद रिकवरी में कितना समय लगता है? डॉक्टर से जानें

शरीर में मोटापा, ब्लड प्रेशर और डायबिटीज की वजह से नसों में  प्लाक जमने से हृदय को होने वाले खतरों को कम करने के लिए एंजियोप्लास्टी और स्टेंट प्लेसमेंट किया जाता है। आगे जानते हैं, इसके जोखिम और रिकवरी टाइम।  
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एंजियोप्लास्टी और स्टेंट प्लेसमेंट के बाद रिकवरी में कितना समय लगता है? डॉक्टर से जानें


आज के दौर में मोटापा, ब्लड प्रेशर और डायबिटीज के रोगियों में तेजी से इजाफा हुआ है। ये  सभी समस्याएं नसों के ब्लड सर्कुलेशन को प्रभावित करते हैं। साथ ही, इन रोगों से हार्ट से जुड़ी समस्याओं का जोखिम बढ़ जाता है। दरअसल, कोरोनरी आर्टरी (हृदय को रक्त पहुंचाने वाली नसें) में जब प्लाक जमा होने लगता है, तो इससे हार्ट अटैक और हार्ट स्ट्रोक होने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं। इस समस्या को समय पर पहचानने के बाद डॉक्टर मरीज को एंजियोप्लास्टी और स्टेंट प्लेसमेंट की सलाह देते हैं। इन दोनों ही प्रकियाओं में हृदय को रक्त पहुंचाने वाली कोरोनरी आर्टरी को कृत्रिम रूप से खोलने का प्रयास किया जाता है। इससे हृदय पर पड़ने वाला दबाव और हार्ट अटैक और  स्ट्रोक का खतरा काफी हद तक कम हो जाता है। ऐसे में व्यक्तियों के मन में प्रश्न उठता है कि एंजियोप्लास्टी और स्टेंट प्लेसमेंट के बाद रिकवरी में कितना समय लगता है और इसके क्या जोखिम हो सकते हैं? इस लेख में यशोदा सुपर स्पेशिलिटी अस्पताल के कार्डिलॉजिस्ट प्रिंसिपल कंसल्टेंट डॉक्टर असित खन्ना से जानेंगे कि एंजियोप्लास्टी और स्टेंट प्लेसमेंट के बाद रिकवरी में कितना समय लगता है (Recovery time of angioplasty and stent placement) और इस प्रक्रिया से क्या जोखिम हो (Risk Factors Of Angioplasty and Stent Placement) सकते हैं?

एंजियोप्लास्टी और स्टेंट प्लेसमेंट की रिकवरी में कितना समय लगता है? - Recovery time of angioplasty and stent placement in Hindi 

एंजियोप्लास्टी और स्टेंट प्लेसमेंट की रिकवरी का समय इसकी स्थिति के आधार पर तय होता है। डॉक्टर के अनुसार, यदि मरीज की समय रहते नसों में प्लाक बनने की स्थिति (Non-Emergency) का पता लगाया जाता है, तो ऐसे में एंजियोप्लास्टी और स्टेंट प्लेसमेंट की रिकवरी में एक सप्ताह या कुछ ज्यादा दिनों का समय लग सकता है। हालांकि, यदि व्यक्ति को हार्ट अटैक (इमरजेंसी में) पड़ने के बाद एंजियोप्लास्टी (angioplasty) हुई है, तो मरीज को पूरी तरह से ठीक होने और काम पर लौटने में कई सप्ताह या महीने का समय भी लग सकता है।

डॉक्टर एंजियोप्लास्टी और स्टेंट प्लेसमेंट (angioplasty and stent placement) के बाद मरीज को 1 से 2 सप्ताह के भीतर हल्की शारीरिक गतिविधि शुरू करने की सलाह देते हैं। इसके अलावा, भारी काम करने या हैवी वर्क आउट करने से बचने की सलाह दी जाती है। कुछ हफ्तों के बाद, धीरे-धीरे सामान्य जीवनशैली में वापसी की जा सकती है। ज्यादातर मरीज 4 से 6 हफ्तों में पूरी तरह से स्वस्थ महसूस करते हैं। लेकिन, डॉक्टर की सलाह पर व्यायाम, डाइट और दवाओं को लेना जरूरी होता है। 

Recovery time of angioplasty and stent placement

एंजियोप्लास्टी और स्टेंट प्लेसमेंट के जोखिम कारक क्या होते हैं - Risk Factor Of Angioplasty And Stent Placement In Hindi 

एंजियोप्लास्टी और स्टेंट प्लेसमेंट एक सुरक्षित प्रक्रिया मानी जाती है, लेकिन इसके साथ कुछ जोखिम हो सकते हैं। 

दिल की धड़कनें अनियमित होना (arrhythmias) 

एंजियोप्लास्टी के दौरान या बाद में कुछ मरीजों को हृदय की धड़कनें अनियमित होने की समस्या हो सकती है, हालांकि यह स्थिति अस्थायी होती है और इसका उपचार किया जा सकता है।

नसों में सिकुड़ना (रीस्टेनोसिस - Restenosis) 

स्टेंट लगाने के बाद, कुछ मामलों में नसे दोबारा से सिकुड़ने लगती हैं। हालांकि, ड्रग-इल्यूटिंग स्टेंट्स के उपयोग से इस जोखिम को काफी हद तक कम किया गया है।

ब्लीडिंग होना (Bleeding)

इस प्रक्रिया के दौरान या बाद में सुई या कैथेटर लगाने वाली जगह से ब्लीडिंग हो सकती है। यदि ब्लीडिंग ज्यादा हो रही है, तो इलाज की आवश्यकता हो सकती है।

ब्लड क्लॉट्स बनना (Blood Clots)

स्टेंट प्लेसमेंट के बाद, स्टेंट के अंदर रक्त के थक्के बनने का जोखिम रहता है, जिससे हार्ट अटैक हो सकता है। इस जोखिम को कम करने के लिए मरीजों को एंटीकोएगुलेंट दवाएं दी जाती हैं।

इंफेक्शन (Infection) 

एंजियोप्लास्टी के दौरान कैथेटर के प्रवेश वाले स्थान पर इंफेक्शन हो सकता है। हालांकि, यह कम ही देखने को मिलता है, लेकिन इंफेक्शन के लक्षणों जैसे बुखार, सूजन या दर्द पर नजर रखना जरूरी होता है।

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Recovery Time Of Angioplasty And Stent Placement in Hind: iएंजियोप्लास्टी और स्टेंट प्लेसमेंट के बाद मरीज को नियमित रूप से चेकअप कराना चाहिए। साथ ही, उनको डाइट और लाइफस्टाइल में बदलाव की सलाह दी जाती है। इस दौरान किसी भी तरह की समस्या महसूस होने पर आप तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। हार्ट से जुड़ी समस्या होने पर मरीज को जान का जोखिम हो सकता है। 

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