शारीरिक समस्याओं की पहचान और उपचार में अल्ट्रासाउंड की अहम भूमिका होती है, इस टेस्ट से शरीर के अंदरूनी अंगों की सही जानकारी मिलती है। खासकर गर्भवती महिलाओं के लिए यह टेस्ट बहुत जरूरी होता है। ऐसा इसलिए, क्योंकि इससे गर्भस्थ शिशु की स्थिति और विकास के बारे में जानकारी मिलती है। कई बार डॉक्टर मरीज को अल्ट्रासाउंड टेस्ट से पहले भरपूर मात्रा में पानी पीने की सलाह देते हैं, जिससे पेट के भीतर स्थित अंगों को स्पष्ट रूप से देखा जा सके। खासकर ट्रांसएब्डोमिनल अल्ट्रासाउंड के लिए, भरा हुआ ब्लेडर (मूत्राशय) जरूरी होता है, जो गर्भाशय, अंडाशय और अन्य पेल्विक अंगों को सही से दिखाने में मदद करता है। इस लेख में स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉक्टर तनुश्री पांडे पडगांवकर से जानिए, कुछ अल्ट्रासाउंड टेस्ट्स से पहले खूब पानी पीने को क्यों कहा जाता है?
कुछ अल्ट्रासाउंड में पानी क्यों पिया जाता है?
डॉक्टर तनुश्री पांडे पडगांवकर के अनुसार, कई बार अल्ट्रासाउंड टेस्ट्स से पहले मरीज को पर्याप्त मात्रा में पानी पीने के लिए कहा जाता है। खासकर, जब ट्रांसएब्डोमिनल अल्ट्रासाउंड किया जाता है। भरे हुए ब्लेडर की मदद से डॉक्टरों को पेल्विक क्षेत्र में गर्भाशय (Uterus), अंडाशय (Ovaries) और अन्य अंगों की स्थिति बेहतर ढंग से नजर आती है, जिससे किसी भी समस्या जैसे सिस्ट या फाइब्रॉइड को पहचानने में आसानी होती है, जो कि महिला की फर्टिलिटी को प्रभावित कर सकते हैं।
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अल्ट्रासाउंड टेस्ट और भरे हुए ब्लेडर का संबंध
जब ट्रांसएब्डोमिनल अल्ट्रासाउंड किया जाता है, तो डॉक्टर स्पष्टता से पेल्विक क्षेत्र के अंगों की स्थिति का निरीक्षण कर सकते हैं। भरा हुआ ब्लेडर एक खिड़की की तरह कार्य करता है, जो पास के अंगों, जैसे कि गर्भाशय और अंडाशय, को अधिक स्पष्टता से देखने में मदद करता है। इससे किसी भी असामान्यता का पता लगाना आसान हो जाता है। अल्ट्रासाउंड टेस्ट से पहले भरपूर मात्रा में पानी पीने से ब्लेडर भरता है, ऐसे में जैसे-जैसे अल्ट्रासाउंड वैंड को पेट के ऊपर घुमाया जाता है, ब्लेडर का तरल पदार्थ एक कॉन्ट्रास्ट तैयार करता है जो इमेज को साफ और स्पष्ट बनाता है। इस प्रकार, डॉक्टर को किसी भी गड़बड़ी का जांच करने में आसानी होती है।
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ट्रांसवेजाइनल अल्ट्रासाउंड के लिए खाली ब्लेडर
डॉक्टर तनुश्री पांडे पडगांवकर ने बताया कि ट्रांसएब्डोमिनल अल्ट्रासाउंड के लिए भरे हुए ब्लेडर की जरूरत होती है, वहीं ट्रांसवेजाइनल अल्ट्रासाउंड के लिए ब्लेडर का खाली होना जरूरी होता है। यह स्कैन आंतरिक जांच के लिए किया जाता है और इसके लिए खाली ब्लेडर से अधिक साफ इमेज मिलती है। यह जांच गर्भावस्था के पहले ट्राइमेस्टर या फर्टिलिटी से जुड़ी समस्याओं का पता लगाने के लिए कारगर होती है।
प्रेग्नेंसी के दौरान अल्ट्रासाउंड
गर्भावस्था के अलग-अलग चरणों में अल्ट्रासाउंड की जरूरत होती है। शुरुआती चरणों में, ट्रांसवेजाइनल स्कैन से बच्चे की स्थिति और विकास का पता लगाया जा सकता है। इसके बाद जैसे-जैसे गर्भावस्था आगे बढ़ती है, ट्रांसएब्डोमिनल स्कैन का महत्व बढ़ता है और इसके लिए भरे हुए ब्लेडर की जरूरत होती है ताकि गर्भ में बच्चे की स्थिति, हार्ट रेट आदि को सही से देखा जा सके।
निष्कर्ष
एक भरा हुआ ब्लेडर पेल्विक एरिया के अंगों की स्थिति को स्पष्ट करने में मदद करता है, जिससे डॉक्टर सटीक निदान कर सकते हैं। विशेषकर महिलाओं के लिए, यह जरूरी है कि वे अल्ट्रासाउंड टेस्ट से पहले डॉक्टर की सलाह का पालन करें और भरपूर पानी पीकर अपनी जांच करवाएं।
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