मलेरिया से कैसे करें बचाव

मलेरिया बुखार, कंपकपी के साथ होता है और इसका कारण है मलेरिया परजीवी, जो मरीज़ के रक्त में पाया जाता है। इससे बचने के कई सामान्य उपाय भी हैं, लेकिन जानकारी के अभाव में लोग इन्हें नहीं अपनाते।
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मलेरिया से कैसे करें बचाव


मलेरिया एक गंभीर रोग है। यदि इसका सही समय पर इलाज न हो तो परिणाम गंभीर हो सकते हैं। इस लेख को पढ़ें और मलेरिया से रक्षा करने के तरीकों के बारे में जानें।

 

पिछले कुछ सालों की विश्व मलेरिया रिपोर्ट की मानें तो भारत के 70 प्रतिशत से अधिक लोगों पर मलेरिया के संक्रमण का खतरा हमेशा मंडराता रहता है। इनमें तकरीबन एक तिहाई पर इसका बेहद गंभीर खतरा बना रहता है। मलेरिया दवारोधी भी हो रहा है। गंभीर स्थिति पैदा करने वाली मलेरिया की कुछ किस्म पर अब उनकी दवा काम नहीं कर रही है।

symptoms of malaria

जानलेवा डंक से रक्षा


‘मलेरिया’ प्रचलित संक्रामक रोगों में से एक है। मलेरिया बुखार, कंपकपी के साथ होता है और इसका मुख्य कारण है मलेरिया मादा एनोफिलीज मच्छर। मलेरिया रोग के लक्षण संक्रमित मच्छर के काटने के 10 से 12 दिनों के बाद प्रकट होते हैं। प्रतिवर्ष मलेरिया से होने वाली मृत्युनदर सैंकड़ों तक पहुंच जाती है। इससे बचने के कई सामान्य उपाय हैं, लेकिन जानकारी के अभाव में लोग इस रोग से ग्रस्थ हो जाते हैं। मलेरिया के प्रभावी इलाज की पर्याप्त दवाएं उपलब्ध हैं, लेकिन समय पर मलेरिया का इलाज न किया जाए तो खतरनाक स्थिति उत्पन्न हो सकती है। यहां तक कि मलेरिया का परजीवी दिमाग में घुस सकता है और किडनी और लीवर को फेल कर सकता है ।


पिछले वर्ष पूरे भारत में 18 लाख लोगों में मलेरिया की पुष्टि हुई। हर साल दुनिया भर में 30 से 50 करोड़ लोगों में मलेरिया के लक्षण पाये जाते हैं।


मलेरिया के लक्षण:


-    कंपकपी के साथ सामान्य या तेज़ बुखार।
-   तेज़ सरदर्द, पेट का दर्द या उल्टी  ।
-   भूख ना लगना।
-   लीवर की असामान्य।ता के कारण रक्त  शर्करा में कमी होना, जिससे हाइपोग्लाकइसीमिया के लक्षण प्रकट होते हों।

मलेरिया के लक्षणों का अनुभव होते ही तुरंत चिकित्साक से संपर्क करें और रक्तजांच करायें।

prevention from malaria

मलेरिया निवारण:


-    आपको कई दिनों से तेज़ बुखार आ रहा है, तो रक्ताजांच ज़रूर करायें।
-    रक्त जांच से पहले मलेरिया की क्लोंरोक्वी निन दवाई ना लें ।
-    मलेरिया में एस्प्रिन, डिस्प्रीन और ब्रुफेन जैसी दवाएं ना लें क्योंकि इनसे पेट दर्द हो सकता है।
-    बुखार होने पर पैरासिटामाल लिया जा सकता है।
-    मलेरिया की पुष्टि होने पर कुछ दिनों तक संतरे का जूस लें।
-    बुखार के कम होने पर मरीज़ को ताज़े फलों का सेवन शुरू कर देना चाहिए।
    अधिक तापमान होने पर मरीज़ को ठंडा सेंक दें। यह सेंक हर 3 से 4 घंटे पर दिया जा सकता है।

मलेरिया से बचने का उपाय है मच्छरों से बचना। अपने घर के आसपास पानी जमा ना होने दें और बुखार होने पर लापरवाही ना करें ।

 

 

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