Pregnancy Diet: गर्भावस्था से पहले ही खाना शुरू कर दें फॉलिक एसिड वाले आहार, मां-शिशु दोनों के लिए है जरूरी

गर्भावस्‍था से पूर्व व गर्भावस्‍था के दौरान महिलाओं के लिए फॉलिक एसिड बहुत महत्‍वपूर्ण होता है। इससे ब्‍लड प्रेशर, एनीमिया और लिवर जैसी समस्याओं के साथ-साथ  न्यूरल ट्यूब से संबंधित समस्याओं से शिशु को बचाता है। इसके अलावा, हाई फॉलिक एसिड का सेवन करने वाली महिलाओं में गर्भपात होने की संभावना भी कम होती है।
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 Pregnancy Diet: गर्भावस्था से पहले ही खाना शुरू कर दें फॉलिक एसिड वाले आहार, मां-शिशु दोनों के लिए है जरूरी


अधिकांश महिलाएं अपने खानपान में अनदेखी करती हैं। जिसके आगे चलकर कई दुष्‍परिणाम सामने आते हैं। यह देखा गया है कि जिन महिलाओं ने अपने बचपन से ही उचित व संतुलित आहार लिया होता है, उनकी रोग प्रतिरक्षा प्रणाली और प्रेग्‍नेंसी गलत खानपान की आदत वाली महिलाओं की तुलना में बेहतर होती है। काम और जिम्‍मेदारियों के बोझ व और भी कई अन्‍य कारणों की वजह से भी ज्यादातर महिलाएं इस बात की परवाह नहीं करती हैं कि वे क्या खा रही हैं।

महिलओं के जीवन में गर्भावस्था एक महत्वपूर्ण चरण है, जिससे वह गुजरती हैं और उनके लिए इस दौरान एक संतुलित आहार लेना बहुत ही आवश्यक है। क्‍योंकि गर्भ में पल रहे बच्चे की वृद्धि और मां दोनों के स्‍वास्‍थ्‍य के महिला के आहार पर निर्भर करता है। हालांकि, खाने के प्रति लापरपवाही अधिकतर किशोरावस्‍था से शुरू हो जाती है, जो बाद में प्रतिकूल प्रभाव डाल सकती है। इसके लिए सबसे जरूरी है कि महिलाएं अपने गर्भवास्‍था के दौरान अपने आहार में फॉलिक एसिड को शामिल करें, जो कि ब्‍लड प्रेशर, एनीमिया और लिवर जैसी समस्याओं से बचने के लिए महत्‍वपूर्ण है। इसके अलावा, आहार में हाई फॉलिक एसिड का सेवन करने वाली महिलाओं में गर्भपात होने की संभावना भी कम होती है।

फॉलिक एसिड के फायदे

फॉलिक एसिड, आयरन, विटामिन डी, विटामिन बी 12, कैल्शियम जैसे पोषक तत्व महिलाओं के लिए आवश्यक हैं। फॉलिक एसिड दिल से संबंधित बीमारियों और अल्जाइमर के खतरे को कम करने में मददगार है, इसके अलावा, गर्भावस्था के दौरान फॉलिक एसिड की आवश्यकता इसलिए बढ़ जाती है कि यह जन्म के समय शिशु में न्यूरल ट्यूब से संबंधित समस्याओं से उसे बचाता है। 

अध्ययनों से पता चलता है कि यदि महिलाएं गर्भावस्था से पहले और गर्भावस्‍था के दौरान आवश्यकतानुसार फॉलिक एसिड लेती हैं, तो लगभग 70 प्रतिशत न्यूरल ट्यूब से संबंधित समस्याओं बचा जा सकता है।

फॉलिक एसिड के स्‍त्रोत 

फॉलिक एसिड सबसे अच्‍छे व बेहतर स्‍त्रोत हैं- दाल, मटर, सोयाबीन, ड्राईफ्रूट्स, बीन्‍स, ब्रोकली, केला, पपीता, हरी पत्तेदार सब्जियाँ, मांस इत्‍यादि। इन सब खाद्य पदार्थों से फॉलिक एसिड प्राप्‍त किया जा सकता है। एक कप सोयाबीन में 186-256 ग्राम, एक कप अलसी के बीजों में 168 ग्राम, एक कप बीन्‍स में 193 ग्राम, एक कप पिसे हुए केले में 225 ग्राम के आस-पास फॉलिक एसिड पाया जाता है। इसलिए हर महिला को प्रयास करना चाहिए कि वह अपनी प्रेग्‍नेंसी के दौरान फॉलिक एसिड का जरूर ले।

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कैल्शियम व विटामिन डी भी जरूरी 

फॉलिक एसिड के अलावा गर्भवती महिला को अपने आहार में मछली, नट्स, सोयाबीन, दालें, दूध और दूध से बनी चीजें जैसे- दही और पनीर का सेवन करना चाहिए। क्‍योंकि इनमें कैल्शियम प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। एक गिलास दूध में लगभग 300 मिलीग्राम कैल्शियम होता है। शरीर में कैल्शियम के अवशोषण के लिए फॉस्फोरस और विटामिन डी की भी आवश्यकता होती है। कैल्शियम के अलावा, हड्डियों की मजबूती के लिए विटामिन डी भी आवश्यक है। इसलिए गर्भवती महिला को नियमित रूप से कुछ देर के अंतराल में सुबह की धूप लेनी चाहिए। यह विटामिन डी का अच्‍छा स्‍त्रोत है।

गर्भावस्‍था के दौरान नियमित व्‍यायाम 

अधिकतर देखा जाता है कि गर्भवती महिलाओं को काम करने व चलने फिरने से रोका जाता है। जबकि गर्भावस्‍था के दौरान हल्‍की शारीरिक गतिविधियां भी बेहद जरूरी हैं। इसके अलावा कुछ लोगों का मानना है, कि गर्भावस्‍था के दौरान व्‍यायाम नहीं करना चाहिए, वहीं इसी वजह से कई लोगों के मन में इस तथ्‍य को लेकर शंका रहती है। हेल्‍थ व फिटनेस एक्‍सपर्टों का मा मानना है कि गर्भवती महिलाओं को हल्‍के आसन व शारीरिक गतिविधियां करते रहना चाहिए। ऐसा करने से बच्‍चे का विकास और महिला की डिलिवरी में आसानी होती है। इसलिए गर्भवती महिलाओं के लिए जरूरी है कि वह रोजाना आधे घंटे व्यायाम करें। 

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ऐसा रखें खानपान 

सबसे जरूरी बात की गर्भावस्‍था के दौरान कभी भी नाश्‍ता स्किप न करें और सभी पोषक तत्‍वों से भरपूर आहार का सेवन करें। ऐसे आहार, जो शरीर को सभी जरूरी पोषक तत्‍व देने के साथ खून की कमी को पूरा करें। जैसे चुकंदर, फल, हरी पत्तेदार सब्जियां, दूध, नट्स और खट्टा खाने का मन करे, तो विटामिन-सी युक्त फल आंवला, संतरा, नीबू, टमाटर, आदि का नियमित रूप से सेवन करें। 

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