मौसम में ठंडक बढ़ने के साथ ही बीमारियों का खतरा भी बढ़ गया है। इस मौसम में बुखार, छींकना, खांसना, गले में खराश आदि लक्षणों को नजरअंदाज न करें। ये निमोनिया के लक्षण हो सकते हैं। नवंबर माह की 12 तारीख को विश्व निमोनिया दिवस (World Pneumonia Day) मनाया जाता है। इस दिवस का उद्देश्य है लोगों को निमोनिया के प्रति जागरूक करना। इसी कड़ी में ओनलीमायहेल्थ के लिए जरिए हम आपके साथ निमोनिया से जुड़ी जानकारी साझा कर रहे हैं। निमोनिया फेफड़ों से जुड़ा संक्रमण है जिसमें फेफड़े सबसे पहले प्रभावित होते हैं। फेफड़ों में सूजन, मवाद भरना, सांस लेने में तकलीफ जैसी समस्याएं होने लगती हैं। निमोनिया का बुरा प्रभाव शरीर के बाकि अंगों पर भी पड़ता है जिनके बारे में हम आगे विस्तार से जानेंगे। इस विषय पर बेहतर जानकारी के लिए हमने लखनऊ के केयर इंस्टिट्यूट ऑफ लाइफ साइंसेज की एमडी फिजिशियन डॉ सीमा यादव से बात की।
हार्ट को प्रभावित करता है निमोनिया
निमोनिया के बैक्टीरिया के कारण हार्ट प्रभावित हो सकता है। निमोनिया होने पर व्यक्ति की हार्टबीट तेज हो सकती है। इसके कारण मरीज को तेज बुखार आ सकता है। निमोनिया का संक्रमण फेफड़ों के जरिए नसों में भी जाता है और रक्तसंचार को प्रभावित करता है। ये एक गंभीर स्थिति हो सकती है। निमोनिया के कारण शरीर के अंगों तक ब्लड और ऑक्सीजन न पहुंच पाने के कारण मरीज की जान जोखिम में जा सकती है।
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जोड़ों को प्रभावित करता है निमोनिया
निमोनिया के कारण जोड़ों में दर्द की समस्या होती है। निमोनिया का बुरा असर मसल्स पर पड़ता है। निमोनिया के कारण जोड़ों में सूजन और भारीपन महसूस हो सकता है। निमोनिया का असर यूरिनरी ट्रैक्ट को भी प्रभावित करता है। हालांकि ये उतना आम नहीं है। लेकिन संक्रमण के कारण यूटीआई की समस्या भी हो सकती है।
पेट की सेहत बिगाड़ सकता है निमोनिया
निमोनिया होने पर उल्टी और जी मिचलाहट जैसी समस्याएं हो सकती हैं। दवाओं के साइड इफेक्ट से भी ऐसा हो सकता है। जरूरी नहीं है कि निमोनिया से पीड़ित हर व्यक्ति को पेट संबंधी समस्या हो, लेकिन कुछ लोगों को निमोनिया में पेट खराब होना या अन्य लक्षण महसूस होते हैं। निमोनिया होने पर पेट में तेज दर्द हो, तो डॉक्टर से संपर्क करें।
फेफड़ों पर पड़ता है बुरा असर
निमोनिया का बैक्टीरिया सबसे ज्यादा फेफड़ों पर बुरा असर छोड़ता है। फेफड़ों में संक्रमण फैलने के कारण सांस लेने में तकलीफ महसूस होती है। मरीज को खांसी या कफ की समस्या होती है। इसके अलावा गहरी सांस लेने में सीने में दर्द महसूस हो सकता है। जिन लोगों की उम्र 65 या उससे ज्यादा है, उनके फेफड़ों को निमोनिया से गंभीर नुकसान हो सकता है और जान जोखिम में जा सकती है।
निमोनिया के दौरान किन बातों का ख्याल रखें?
- निमोनिया होने पर डॉक्टर की बताई हुई दवाएं लें। निमोनिया के इलाज में डॉक्टर एंटीबायोटिक्स देते हैं। दवाओं को बीच में छोड़ देने से निमोनिया पूरी तरह से ठीक नहीं होगा।
- निमोनिया होने पर लोगों से संपर्क सीमित रखें। खांसते या छींकते समय नाक और मुंह को ढक लें।
- निमोनिया होने पर ज्यादा से ज्यादा आराम करें। जितना आराम करेंगे, उतना जल्दी बीमारी से बाहर निकल पाएंगे।
- अगर निमोनिया के शिकार हैं, तो धूम्रपान का सेवन न करें। ऐसा करने से श्वास संबंधी संक्रमण बढ़ सकता है।
- निमोनिया के दौरान साफ-सफाई का खास ख्याल रखें। कुछ भी खाने से पहले हाथों को अच्छी तरह से साफ करें।
निमोनिया के कारण फेफड़े, हार्ट, पेट, नसें, जोड़ों और अन्य अंगों पर बुरा असर पड़ता है। इससे बचाव ही सही इलाज है।