मानसून में डेंगू का असर फिर से व्याप्त हो रहा है। लेकिन इसके इलाज और रोकथाम के बारे में लोगों को जागरूक करना जरूरी है, जिससे लोगों के अंदर भरे इसके खौफ से निपटा जा सके। डेंगू बुखार मच्छरों के काटने से होने वाली बीमारी है। यह चार किस्मों के डेंगू वायरस के संक्रमण से होती है, जो मादा एडीस मच्छर के काटने से फैलता है। डेंगू बुखार में तेज बुखार के साथ नाक बहना, खांसी, आंखों के पीछे दर्द, जोड़ों के दर्द और त्वचा पर हल्के रैशेज होते हैं। हालांकि कुछ बच्चों में लाल और सफेद निशानों के साथ पेट खराब, जी मिचलाना, उल्टी आदि हो सकता है।
आईएमए के मनोनीत अध्यक्ष डॉ. के.के. अग्रवाल ने बताया कि प्लाज्मा लीकेज डेंगू का सबसे स्पष्ट और जानलेवा लक्षण है जो बीमारी होने के 3 से 7 दिनों के अंदर होता है. पेट में तेज दर्द, लगातार उल्टी आना, बेचैनी या सुस्ती, और तेजी से शरीर का तापमान कम हो तो यह खतरे की घंटी है, तुरंत छाती का एक्सरे-रेडियोग्राफी के साथ छाती और पेट का अल्ट्रासाउंड करवाकर प्लाज्मा लीकेज का पता करना चाहिए। रोकथाम के आवश्यक उपाय करके और उचित समय पर ध्यान देकर जान बचाई जा सकती है. सभी मरीजों को पानी खूब पीना चाहिए।
डॉ. अग्रवाल ने कहा कि अगर प्लाजमा लीकेज हो जाए तो वस्कुलर प्रिमिबिल्टी 24 से 48 घंटों में बनती है। अगर सहायक इलाज में देरी हो जाए तो प्लाज्मा लीकेज वाले मरीजों को शॉक हो सकता है और जान जाने का खतरा 12 प्रतिशत तक हो जाता है। प्लाज्मा लीकेज के बाद 60 प्रतिशत मरीजों में पेट दर्द की शिकायत पाई जाती है।
डेंगू के मरीजों को डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए, आराम करना चाहिए और काफी मात्रा में तरल आहार लेना चाहिए। बुखार या जोड़ों के दर्द को कम करने के लिए पैरासीटामोल ली जा सकती है, लेकिन एस्प्रिन या आईब्यूप्रोफेन नहीं लेनी चाहिए क्योंकि इससे ब्लीडिंग का खतरा हो सकता है।