साइकोलॉजिकल डिस्आॅर्डर है पुरानी चीजों को फेंकने का डर, ये हैं बीमारी के 5 बड़ें लक्षण

चीजों को जमा करना पसंद है लेकिन पुरानी चीजें फेंक नहीं पाते तो यह साइकोलॉजिकल समस्या हो सकती है। 
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साइकोलॉजिकल डिस्आॅर्डर है पुरानी चीजों को फेंकने का डर, ये हैं बीमारी के 5 बड़ें लक्षण


चीजों को जमा करना पसंद है लेकिन पुरानी चीजें फेंक नहीं पाते तो यह साइकोलॉजिकल समस्या हो सकती है। इस आदत को नाम भी दिया गया है होर्डिंग और ऐसा करने वाला होर्डर कहलाता है। ऐसे लोगों को गैरजरूरी चीजों को फेंकने में भी परेशानी महसूस होती है। लगातार इन्हें ऐसा महसूस होता रहता कि चीजों को सहेजने की जरूरत है। इस आदत से बाहर निकलने के लिए मनोवैज्ञनिक की मदद ली जा सकती है।

ये पड़ता है प्रभाव

होर्डिंग करने वाले को इस बात का पता नहीं होता कि उनके इस तरह के व्यवहार से क्या प्रभाव पड़ता है। इससे उनके भावनात्मक, शारीरिक, सामाजिक, आर्थिक स्थितियां प्रभावित होती हैं। पीड़ित के साथ ही साथ परिवार के सदस्य भी प्रभावित होते हैं। चीजों को इकट्ठा करने की आदत इन पर इतनी हावी हो जाती है कि ये अपनों से ही दूर होने लगते हैं। ऐसे लोग आमतौर पर अखबार, मैगजीन, प्लास्टिक बैग, कार्डबोर्ड, बॉक्सेस, फोटोग्राफ्स, घरों की चीजें, खाद्य पदार्थ और कपड़े जमा करते हैं।

अन्य परेशानियां भी हो सकती हैं वजह

होर्डिंग एक प्रकार का डिसऑर्डर है, जिसके कि अपने लक्षण होते हैं या फिर यह अन्य समस्याओं के लक्षण के रूप में भी उभर सकता है। जैसे ऑब्सेसिव कम्प्लसिव पर्सनेलिटी डिसऑर्डर, ऑब्सेसिव कम्प्लसिव डिसऑर्डर, हाइपर एक्टिविटी डिसऑर्डर और डिप्रेशन। इससे पीड़ित व्यक्ति को ऐसा महसूस होता है कि जो चीजें वह जमा कर रहा है वे भविष्य में काम आएंगी। या उन्हें लगता है कि इन चीजों का भावनात्मक महत्व और उन्हें फेंक पाना असंभव है। इन चीजों को वे अपनी यादों से जोड़कर देखते हैं, क्योंकि उन्हें लगता है इन चीजों के कारण ही वह उस व्यक्ति या उस क्षण को याद रख सकता है, वरना सारी यादें सामान फेंकने के साथ खत्म हो जाएंगी।

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इस तरह के होते हैं लक्षण

  • पुरानी चीजों को फेंकने में असमर्थता।
  • यदि कोई उनकी चीजों को फेंकने की कोशिश करे, तो गंभीर एंग्जाइटी की स्थिति पैदा होना।
  • जमा की गई चीजों को अलग करने या व्यवस्थित करने में परेशानी महसूस होना।
  • निर्णय न ले पाना कि क्या चीजें फेंकनी हैं या क्या रखनी हैं।
  • जमा की गई चीजों को लेकर तनाव में रहना।

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  • अन्य लोगों पर शक करना कि कहीं उसकी चीजों को कोई हटाने की कोशिश तो नहीं कर रहा।
  • लोगों से खुद को अलग-थलग कर लेना, बार-बार बीमार पड़ना।

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