हृदय की धमनियों में रुकावट का तुरंत पता लगाती है एंजियोप्लास्टी, जानें क्या है ये

कोरोनेरी एंजियोग्राफी हृदय से संबंधित रक्त वाहिनी, नलिकाओं, धमनियों और शिराओं का मेडिकल परीक्षण है।
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हृदय की धमनियों में रुकावट का तुरंत पता लगाती है एंजियोप्लास्टी, जानें क्या है ये


कोरोनेरी एंजियोग्राफी हृदय से संबंधित रक्त वाहिनी, नलिकाओं, धमनियों और शिराओं का मेडिकल परीक्षण है। एक्स-रे से मिलती-जुलती इस प्रक्रिया का इस्तेमाल कोरोनरी हृदय रोगों की जांच के लिए किया जाता है। दूसरे शब्दों में कहें तो कोरोनरी एंजियोग्राफी एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें दिल की रक्त वाहिकाओं को देखने के लिए एक्स-रे इमेजिंग का उपयोग किया जाता है। इस तकनीक का उपयोग रक्त वाहिकाओं में अवरोध की आशंका होने पर किया जाता है। इसकी सहायता से हृदय की धमनी में किसी रुकावट या सिकुड का तुरंत पता चल जाता है। 

एंजियोग्राफी से अवरोधित धमनियों का पता चलने के बाद सर्जन उन्हें एंजियोप्लास्टी द्वारा खोल देते हैं। यह जांच दो तरीके से की जाती है। पहली हाथ और दूसरी थाइज़ के ज़रिये। ये दोनों ही तरीके बहुत सरल हैं। परंपरागत कोरोनरी एंजियोग्राफी की प्रक्रिया थोड़ी जटिल होती थी, जिसमें व्यक्ति को सात-आठ घंटे तक लेटे रहना पड़ता था और पैर हिलाने की मनाही होती थी। ऐसे में यूरिन का बहुत तेज़ प्रेशर महसूस होने पर भी कुछ मरीज़ लेट कर यूरिन डिस्चार्ज नहीं कर पाते थे, जिससे उन्हें बहुत तकलीफ होती थी। मरीज़ों की ऐसी ही परेशानियों को देखते हुए हमने 1998 में एंजियोग्राफी के लिए एक नई तकनीक का ईजाद किया, जिसमें कोहनी या कलाई से एक बहुत पतला कैथेटर डालकर 10 सीसी डाई देकर एंजियोग्राफी की जाती है। साथ ही कुछ खास तरह के ब्लड टेस्ट और दिल की धड़कनों की जांच के लिए ईको टेस्ट भी किया जाता है। 

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यह प्रक्रिया पूरी तरह सुरक्षित है। इसमें मरीज़ को कपड़े उतारने की भी ज़रूरत नहीं होती। उसे 5 मिनट से भी कम समय के लिए टेबल पर लेटना होता है। ब्लॉकेज के कारण कोरोनरी में कितनी रुकावट आई है, यही देखने के लिए जांच के इस तरी$के  का इस्तेमाल किया जाता है। अगर ब्लॉकेज अधिक हो तो ज़रूरत पडऩे पर उसी समय एंजियोप्लास्टी या स्टेंटिंग के द्वारा उसे दूर किया जा सकता है। व्यक्ति एक घंटे से भी कम समय में अपनी सामान्य गतिविधियां दोबारा शुरू कर सकता है।

एंजियोप्लास्टी क्या है और इसकी ज़रूरत कब पड़ती है?

एंजियोप्लास्टी ब्लॉक हो चुकी दिल की धमनियों को सर्जरी से खोलने का एक तरीका है। कोरोनरी नामक धमनियां दिल की मांसपेशियों को ऑक्सीजन और पोषक तत्वों से भरपूर रक्त की आपूर्ति करती हैं। जब इन धमनियों में रुकावट आ जाती है तो ये हृदय की मांसपेशियों तक सही ढंग से ब्लड की सप्लाई नहीं कर पातीं। नतीजतन इससे एन्जाइना पेन (सीने में दर्द ) शुरू हो जाता है। ऐसी स्थिति में कुछ रोगियों को एंजियोप्लास्टी की आवश्यकता हो सकती है।

एंजियोप्लास्टी के बाद सावधानियां

डॉक्टर द्वारा दिए गए निर्देशों के अनुसार सभी दवाओं का सेवन निश्चित समय पर करें। अपने हार्ट स्पेशलिस्ट से पूछे बिना किसी भी दवा का सेवन बंद न करें। शुरुआती पहले सप्ताह में अधिक थकान वाले कार्यों से बचें। फिर धीरे-धीरे डॉक्टर की सलाह के अनुसार अपनी सक्रियता बढ़ाएं। तनाव, चिंता और $गुस्से से दूर रहें। अपने वजन को संतुलित रखें। ऐसे मामले में डॉक्टर सादा-संतुलित खानपान अपनाने और कुछ हलके-फुलके व्यायाम करने की सलाह देते हैं। आप उनके सभी निर्देशों का पालन करें। अधिक घी-तेल वाले भोजन से दूर रहें।

एंजियोप्लास्टी में खानपान

एंजियोप्लास्टी के बाद अपने खानपान में  घी-तेल का अत्यंत सीमित मात्रा में इस्तेमाल करें क्योंकि शरीर में बढ़ते कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने का यही एकमात्र तरी$का है। अपने खानपान में कैलरी, फैट, कोलेस्ट्रॉल, सोडियम यानी नमक की मात्रा को सीमित करके ही दिल की हि$फाज़त की जा सकती है। बेहतर यही होगा कि किसी डायटीशियन से अपने लिए एक डाइट चार्ट बनवा लें और उसी के अनुसार अपने खानपान पर ध्यान दें।  

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इसका कोई साइड इफेक्ट तो नहीं है?

इस दौरान एक्स-रे डाई से कई बार एलर्जिक रिएक्शन हो सकते हैं। इसके साथ ही हार्ट के वॉल्व या ब्लड वैसेल के क्षतिग्रस्त होने का भी डर रहता है। जिस हिस्से में नलिका या कैथेटर लगाया गया है, उसमें ब्लीडिंग या क्लॉटिंग हो सकती है। इसलिए किसी अनुभवी कार्डियोलॉजिस्ट से ही एंजियोप्लास्टी करवानी चाहिए।

ऑफिस जाना कब शुरू करें?

एंजियोप्लास्टी के बाद मरीज़ 15 दिनों के बाद कार्यालय जाना शुरू कर सकता है। यदि उसे पहले कभी हार्ट अटैक आ चुका हो तो ऐसी स्थिति में एक-डेढ़ महीने आराम करने के बाद ही ऑफिस जाना चाहिए।

एंजियोप्लास्टी के बाद डॉक्टर को कब दिखाएं?

एंजियोप्लास्टी के बाद मरीज़ को पहले 15 दिनों के बाद फॉलोअप के लिए जाना बहुत ज़रूरी होता है, ताकि डॉक्टर सुधार का सही ढंग से निरीक्षण कर सकें।उसके बाद एक साल तक हर 3 महीने के अंतराल पर डॉक्टर के पास जाएं। जब एक साल कंप्लीट हो जाए तो छह महीने के अंतराल के बाद चेकअप कराएं। अगर आप इन बातों का ध्यान रखेंगे तो एंजियोप्लास्टी के बाद कोई समस्या नहीं होगी।

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