35 की उम्र के बाद होता है रोटेटर कफ इंजरी का खतरा, जानें लक्षण और बचाव

आजकल 35-40 की उम्र के बाद रोटेटर कफ की समस्या लोगों में तेजी से बढ़ रही है। रोटेटर कफ के कारण कई बार कंधों में सूजन हो जाती है और हाथों को घुमाने, मोड़ने में परेशानी होती है।
  • SHARE
  • FOLLOW
35 की उम्र के बाद होता है रोटेटर कफ इंजरी का खतरा, जानें लक्षण और बचाव

उम्र बढ़ने के साथ-साथ आपकी हड्डियां और मांसपेशियां कमजोर होती जाती हैं। आजकल 35-40 की उम्र के बाद रोटेटर कफ की समस्या लोगों में तेजी से बढ़ रही है। कंधों में होने वाले इस खास दर्द को अक्सर लोग नजरअंदाज कर देते हैं। रोटेटर कफ के कारण कई बार कंधों में सूजन हो जाती है और हाथों को घुमाने, मोड़ने में परेशानी होती है। रोटेटर कफ की समस्या कंधों के जॉइंट्स को हाथ से जोड़ने वाली चार मांसपेशियों (सुपरास्पिनेटस, इंफ्रास्पिनेटस, टेरेस माइनर और सब्सकैपुलरिस) के क्षतिग्रस्त होने पर होती है। आइए आपको बताते हैं क्या है रोटेटर कफ के लक्षण और क्या हैं इसके बचाव।

क्या है रोटेटर कफ

रोटेटर कफ मांसपेशियों और टेंडन्स का ऐसा समूह है, कंधों के जोड़ों के पास होता है और हमारे हाथों को मोड़ने-घुमाने में मदद करता है। रोटेटर कफ की मोटाई मात्र 5 मिलीमीटर होती है इसलिए कई बार गिरने-फिसलने या टक्कर जैसी मामूली घटनाओं से भी रोटेटर कफ में दर्द की समस्या हो जाती है। 40 की उम्र के बाद जब मांसपेशियां और हड्डियां कमजोर होने लगती हैं, तब गिरने या चोट लगने की स्थिति में अक्सर रोटेटर कफ प्रभावित होता है, जिससे असहनीय दर्द और सूजन की समस्या हो जाती है।

इसे भी पढ़ें:- हड्डियों और लिगामेंट्स को कमजोर कर सकता है मस्क्यूलोस्केलेटल पेन

रोटेटर कफ इंजरी के लक्षण

आमतौर पर रोटेटर कफ इंजरी होने पर आपको कंधे और ऊपरी बांह में दर्द, हाथ ऊपर या बाहर की तरफ फैलाने में दर्द, हाथ उठाने या घुमाने में दर्द महसूस होता है। कई बार ये दर्द असहनीय होता है और आपके रोजमर्रा के कामों को प्रभावित करता है। रोटेटर कफ के चोटिल होने पर आप जब हाथों को घुमाते हैं, तो मांसपेशियों के आसपास के ढांचों से रगड़ने की अधिक संभावना होती है। इस कारण जब आप अपने बालों में कंघी करने या अपनी बांह आस्तीन में डालने की कोशिश करते हैं तब आपके कंधों में असहनीय दर्द हो सकता है। रात के वक्‍त यह दर्द बहुत बढ़ सकता है। इनके कारण कंधे कमजोर हो सकते हैं, हल्‍के वजह की वस्‍तुओं को उठाने में भी समस्‍या होती है।

खिलाड़ी और एथलीट्स होते हैं प्रभावित

रोटेटर कफ की समस्या खिलाड़ियों और एथलीट्स में ज्यादा पाई जाती है। अक्सर खेल के दौरान चोट लगने या मांसपेशियों में तेज खिंचाव के कारण रोटेटर कफ चोटिल हो जाता है। इस तरह के दर्द से राहत के लिए व सूजन कम करने के लिए एंटीबायोटिक दवाएं या स्टेरॉयड इंजेक्शन देते हैं। यदि प्लेयर के पास इलाज के लिए 30 दिन से कम का समय है तो स्टेरॉयड इंजेक्शन के बजाय पेनकिलर देते हैं। ऐसे में इस इंजेक्शन से खिलाड़ी का डोपिंग टैस्ट पॉजिटिव आ सकता है।

इसे भी पढ़ें:- हाथ, पैर और तलवों में जलन और चुनचुनाहट का कारण हो सकता है पैरेस्थीसिया

रोटेटर कफ की चोट में इन बातों का रखें ध्यान

  • अचानक दर्द होने पर कपड़े में बर्फ रखकर प्रभावित हिस्से की 10-15 मिनट तक सिंकाई करें।
  • अगर आप व्यायाम करते हैं, तो कुछ दिन के लिए इसे बंद कर दें।
  • अगर काम करना जरूरी है, तो हर दो घंटे में 10-15 मिनट का ब्रेक लें।
  • स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज इस इंजरी में फायदेमंद है।
  • रोटेटर कफ की समस्या से बचाव के लिए रोजाना कंधों के व्यायाम करें।
  • असहनीय दर्द होने पर डॉक्टर की सलाह से दर्द निवारक दवा ले सकते हैं।

ऐसे अन्य स्टोरीज के लिए डाउनलोड करें: ओनलीमायहेल्थ ऐप

Read More Articles On Other Diseases In Hindi

Read Next

एक्जीमा के लक्षण हैं शिशुओं को होने वाली लाल एलर्जी, आसान है इसका इलाज

Disclaimer