
पेप्टिक अल्सर पेट के अल्सर का ऐसा प्रकार है जिसमें पाचन क्रिया काफी बड़े पैमाने पर प्रभावित होती है। पेट के अंदर के अंग बहुत नाजुक होते हैं, इसलिए सलाह दी जाती है कि व्यक्ति को अपनी जीभ का स्वाद देखकर नहीं बल्कि अपना पेट देखकर खाना चाहिए। पेप्टिक अल्सर में पेट के अंदर छोटे छेद या कट लग जाते हैं। इस रोग के होने पर पेट में एसिड भी बनता है। इस स्थिति में रोगी को अपने खानपान पर काफी ध्यान देने की जरूरत होती है। इसमें अधिक मिर्च मसाला वाला भोजन, फास्ट फूड और तला-भुना खाना बिल्कुल भी स्वीकार नहीं होता है। पेप्टिक अल्सर के दो प्रकार होते है। आज हम आपको इस रोग के लक्षण और बचाव के बारे में बता रहे हैं।
पेप्टिक अल्सर के लक्षण
पेप्टिक अल्सर का सामान्य लक्षण यह होता है कि इसमें पेट में जलन होने लगती है। जलन की समस्या भोजन करने के दौरान या भोजन करने के बाद कभी भी हो सकती है। दवाईयों के जरिए इस जलन में कुछ समय के लिए राहत पाई जा सकती है। यदि कोई व्यक्ति पेप्टिक अल्सर से ग्रसित है तो उसमें कुछ अन्य लक्षण भी पाये जाते हैं। जो कि निम्न लिखित है।
- मतली आना
- छाती में दर्द की शिकायत
- थकान होना
- दर्द और पेट के ऊपरी हिस्से में बेचैनी
- उल्टी आना
- वजन कम होना
कैसा हो खानपान
- रोजाना सुबह के नाश्ते में केले को नियमित रूप से शामिल करें। इसमें मौजूद एंटी बैक्टीरियल तत्व पेप्टिक अल्सर से बचाव में मददगार होते हैं।
- चाय, कॉफी और कोल्ड ड्रिंक्स से दूर रहने की कोशिश करें। ये चीजें पेट में एसिड की मात्रा बढा देती हैं, जिससे यह बीमारी हो सकती है।
इसे भी पढ़ें : पानी पीना हमारे लिए कितना जरूरी है? जानें इससे जुड़े कुछ रोचक तथ्य
- नाशपाती में मौजूद फ्लेवोनॉयड नामक एंटी ऑक्सीडेंट तत्व अल्सर के लक्षणों को कम करता है। इसमें पाया जाने वाला फाइबर पाचन तंत्र को दुरुस्त रखता है।
- बंदगोभी में मौजूद अमीनो एसिड और ग्लूटामाइन जैसे तत्व पाचन नली की भीतरी दीवारों को मजबूत बनाते हैं। ये जख्मों को भरने में भी मददगार होते हैं।
- इसके अलावा फूलगोभी में सल्फोराफेन नामक तत्व पाया जाता है, जो पाचन मार्ग में पाए जाने वाले नुकसानदेह बैक्टीरिया को नष्ट कर देता है।
- लहसुन में एंटी अल्सर गुण मौजूद होते हैं। इसलिए रोजाना कच्चे लहसुन की दो कलियां चबाना भी फायदेमंद होता है।
- अपने रोजाना के खानपान में दही को नियमित रूप से शामिल करें क्योंकि यह नुकसानदेह बैक्टीरिया एच.पायलोरी को नष्ट करने में मददगार होता है। इसके अलावा दही में मौजूद अच्छे बैक्टीरिया आंतों के जख्मों को भरने में मददगार होते हैं।
- शहद में नुकसानदेह बैक्टीरिया से लडऩे की क्षमता होती है। यह न केवल शरीर के टिश्यूज को क्षतिग्रस्त होने से बचाता है, बल्कि नए टिश्यूज के विकास की गति को तेज कर देता है। इसलिए रोजाना नाश्ते से पहले एक चम्मच शहद का सेवन नियमित रूप से करें।
- ज्य़ादा घी-तेल और मिर्च-मसाले से युक्त चीजों का सेवन न करें।
- अगर पेप्टिक अल्सर की समस्या हो तो खट्टे फलों, अचार, डिब्बाबंद जैम, जेली और जूस जैसी चीजों का सेवन न करें। इनमें साइट्रिक एसिड की मात्रा अधिक होती है, जो अल्सर के जख्मों को बढा सकती है।
- रेड मीट, मैदे से बनी चीजों, चॉकलेट, मिठाई और जंक फूड से यथासंभव दूर रहने की कोशिश करें। इन चीजों से डायबिटीज होने का खतरा रहता है। अगर अल्सर के साथ शुगर लेवल बढ जाए तो उसके जख्मों को भरने में बहुत ज्य़ादा समय लगता है।
- यह समस्या गंदगी में मौजूद एच. पायलोरी बैक्टीरिया की वजह से होती है। इसलिए घर में खाना बनाते समय सफाई का विशेष ध्यान रखें। खुले में बिकने वाली चीजों, कटे फलों और जूस आदि के सेवन से बचें।
- नियमित एक्सरसाइज करने से पाचन तंत्र दुरुस्त रहता है और इससे पेप्टिक अल्सर की समस्या नहीं होती।
ऐसे अन्य स्टोरीज के लिए डाउनलोड करें: ओनलीमायहेल्थ ऐप
Read More Articles On Healthy Eating In Hindi
How we keep this article up to date:
We work with experts and keep a close eye on the latest in health and wellness. Whenever there is a new research or helpful information, we update our articles with accurate and useful advice.
Current Version