चलने पर घुटनों से आती है कट-कट की आवाज? डाइट में इन 5 पोषक तत्वों को शामिल करने से मिलेगा आराम

कई बार चलने-फिरने पर घुटनों से कट-कट आवाज आती है। इस समस्या में कुछ माइक्रोन्यूट्रिएंट्स आपकी मदद कर सकते हैं। चलिए जानते हैं इस बारे में।
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चलने पर घुटनों से आती है कट-कट की आवाज? डाइट में इन 5 पोषक तत्वों को शामिल करने से मिलेगा आराम


कई बार चलने-फिरने पर घुटनों से कट-कट आवाज आती है। आमतौर पर यह कार्टिलेज घिसने या फिर ठीक से काम नहीं करने से यह समस्या होती है। कई बार उम्र बढ़ने के कारण भी यह समस्या होती है। कई बार शरीर में पोषक तत्वों की कमी होने के कारण भी ऐसा होता है। हालांकि, डाइट में बदलाव करके भी इस समस्या से राहत पाई जा सकती है। चलिए डाइटिशियन मनप्रीत कालरा से जानते हैं घुटनों में कट-कट की आवाज आने पर डाइट में किन पोषक तत्वों को शामिल करना चाहिए? 

विटामिन डी (Vitamin D)

घुटनों में कट-कट की आवाज आने पर आपको अपनी डाइट में विटामिन डी को शामिल करना चाहिए। यह कार्टिलेज को बचाने के साथ ही साथ ज्वाइंट के फंक्शन्स को सुधारता है। इसके लिए आप 10 से 15 मिनट के लिए धूप में बैठ सकते हैं। इसके लिए आप पनीर, अंडे का सफेद हिस्सा, फैटी फिश और मशरूम आदि खा सकते हैं। 

ग्लूकोसामाइन (Glucosamine)

अगर आपको चलने-फिरने पर घुटनों से कट-कट की आवाज आती है तो ऐसे में ग्लूकोसामाइन नामक पोषक तत्व को शामिल कर सकते हैं। यह कार्टिलेज को खराब होने से रोकने के साथ ही उसकी कार्यक्षमता को बढ़ाने में भी मददगार साबित होता है। यही नहीं इसे खाने से घुटनों में होने वाला दर्द, सूजन और ऑस्टियोपोरोसिस होने का खतरा भी काफी कम होता है। 

कैल्शियम (Calcium)

कैल्शियम हड्डियों के लिए किसी रामबाण से कम नहीं है। कैल्शियम को डाइट में शामिल करने से बोन डेंसिटी बढ़ती है साथ ही साथ घुटनों में होने वाला दर्द भी काफी कम होता है। इसके लिए आप तिल, रागी, दूध और दही आदि का सेवन कर सकते हैं। 

विटामिन के 2 (Vitamin K2) 

हड्डियों को दुरुस्त रखने के लिए डाइट में विटामिन के 2 शामिल करना बेहद कारगर होता है। इसे खाने से हड्डियों में होने वाला कैल्शियम डिपोजिशन बेहतर होता है साथ ही साथ बोन मेटाबॉलिज्म में भी सुधार होता है। 

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पोटैशियम (Pottasium)

पोटैशियम हड्डियों के लिए कई तरीकों से फायदेमंद साबित होता है। इसे खाने से घुटनों में होने वाला दर्द और जकड़न काफी कम होती है साथ ही साथ ओस्टियोपोरोसिस होने का खतरा भी कम होता है। 

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