खान-पान में बदलावों के द्वारा कर सकते हैं अर्थराइटिस को कंट्रोल, जानें कैसे?

अर्थराइटिस को लोग गठिया भी कहते हैं। अर्थराइटिस होने पर आमतौर पर लोगों को जोड़ों में दर्द की शिकायत होती है। इस दर्द के कारण व्यक्ति को उठने-बैठने और चलने-फिरने में परेशानी होती है। सामान्यतः ये बीमारी लोगों को 40-50 की उम्र के बाद होती है मगर आजकल जीवनशैली में बदलावों और अनुवांशिक कारणों से छोटे बच्चों और युवाओं को भी ये बीमारी होने लगी है। बच्चों में होने वाले अर्थराइटिस को जुवेनाइल अर्थराइटिस कहा जाता है।
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खान-पान में बदलावों के द्वारा कर सकते हैं अर्थराइटिस को कंट्रोल, जानें कैसे?


अर्थराइटिस को लोग गठिया भी कहते हैं। अर्थराइटिस होने पर आमतौर पर लोगों को जोड़ों में दर्द की शिकायत होती है। इस दर्द के कारण व्यक्ति को उठने-बैठने और चलने-फिरने में परेशानी होती है। सामान्यतः ये बीमारी लोगों को 40-50 की उम्र के बाद होती है मगर आजकल जीवनशैली में बदलावों और अनुवांशिक कारणों से छोटे बच्चों और युवाओं को भी ये बीमारी होने लगी है। बच्चों में होने वाले अर्थराइटिस को जुवेनाइल अर्थराइटिस कहा जाता है। अर्थराइटिस होने पर शरीर में यूरिक एसिड की मात्रा अधिक हो जाती है, इसके कारण ही जोड़ों में सूजन होती है। ठंड के मौसम में अर्थराइटिस का दर्द ज्यादा परेशान करता है मगर खान-पान में कुछ बदलाव करके अर्थराइटिस को कंट्रोल किया जा सकता है। आइए आपको बताते हैं कैसे करें अर्थराइटिस में खान-पान पर कंट्रोल।

टमाटर और खट्टी चीजें न खाएं

टमाटर हमारे शरीर के लिए बहुत फायदेमंद है, क्‍योंकि इसमें विटामिन और मिनरल भरपूर मात्रा में मौजूद होता है, लेकिन यह अर्थराइटिस के दर्द को बढ़ाता भी है। टमाटर में कुछ ऐसे रासायनिक घटक पाये जाते हैं जो गठिया के दर्द को बढ़ाकर जोड़ों में सूजन पैदा कर सकते हैं। इसलिए टमाटर खाने से परहेज करें।

कोल्ड ड्रिंक्स से बनाएं दूरी

अर्थराइटिस के मरीजों को साफ्ट ड्रिंक का सेवन नहीं करना इसी तरह सॉफ्ट ड्रिंक खासकर मीठे पेय या सोडा में फ्रक्टोज नामक तत्व होता है, जो यूरिक एसिड के बढ़ने में मदद करता है। 2010 में किए गए एक शोध से यह बात सामने आई है कि जो लोग ज्यादा मात्रा में फ्रक्टोस वाली चीजों का सेवन करते हैं, उनमें गठिया होने का खतरा दोगुना अधिक होता है।

शराब का सेवन है खतरनाक

अर्थराइटिस होने पर शराब के सेवन से पूरी तरह बचना चाहिए। अल्कोहल खासकर बीयर शरीर में यूरिक एसिड के स्‍तर को बढ़ाता है, और शरीर से गैर जरूरी तत्व निकालने में शरीर को रोकता भी है। शराब किडनी और लिवर के काम में बाधा डालती है, जिसके कारण शरीर को सभी पोषक तत्व नहीं मिलते और टॉक्सिन्स बढ़ जाने के कारण गठिया का दर्द भी बढ़ जाता है।

ओमेगा फैटी-3 एसिड

अर्थराइटिस होने पर ओमेगा-3 फैटी एसिड युक्‍त आहार का सेवन नहीं करना चाहिए। मछली का सेवन करने से अर्थराइटिस का दर्द बढ़ सकता है। मछली में अधिक मात्रा में प्यूरिन पाया जाता है। प्यूरिन हमारे शरीर में ज्यादा यूरिक एसिड पैदा करता है। इसलिए सालमन, टूना और एन्कोवी जैसी मछलियों को खाने से बचना चाहिए।

मीठी चीजों से परहेज करें

गठिया के मरीज को चीनी और मीठा खाने से परहेज करना चाहिए। शुगर का अधिक सेवन करने से शरीर के कुछ प्रोटीन्‍स का ह्रास होता है। यह आपके गठिया के दर्द को बढ़ा सकता है। इसलिए गठिया होने पर शुगर और शुगरयुक्‍त आहार का सेवन करने से बचें।

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