उम्र बढ़ने के साथ ही लोगों को कई तरह की समस्याओं को सामना करना पड़ता है। घुटनों और जोड़ों में दर्द को इसमें शामिल किया जा सकता है। दरअसल, समय के साथ शरीर की हड्डियां कमजोर होने लगती है। अधिकतर मामलों में मोटापा और शारीरिक गतिविधियों में कमी की वजह से भी घुटने कमजोर हो सकते हैं। इसके अलावा, इम्यून सिस्टम कमजोर होने पर भी कई लोगों को गठिया रोग हो सकता है। गठिया से जुड़ी कई समस्याएं व्यक्ति के रोग की गंभीरता को बढ़ा सकती हैं। इस दौरान कुछ लोगों को घुटने के पीछे गांठ बनने लगती है। यह गांठ ब्लड सर्कुलेशन को प्रभावित करती हैं। इस समस्या को "बेकर्स सिस्ट" कहते हैं। आगे फोर्टिस अस्पताल वाशी के ऑर्थोपैडिक डिपार्टमेंट के निदेशक डॉक्टर प्रमोद भोर से जानते हैं कि यह रोग किस तरह से शुरू होता है और इसके पीछे क्या कारण जिम्मेदार हो सकते हैं।
बेकर्स सिस्ट शरीर में किस तरह से शुरु होता है? - How Baker's Cyst Occurs In Body In Hindi
यह गांठ जोड़ों के पीछे बनती है। बेकर सिस्ट एक छोटी तरल पदार्थ से भरी गांठ होती है, जो आपके घुटनों के पीछे उभरती है। इसको पॉप्लिटियल सिस्ट और सिनोवियल सिस्ट भी कहा जाता है। बेकर सिस्ट आपके शरीर में तब उभरते हैं, जब कोई चीज आपके घुटने और उसके आसपास के टिश्यू को नुकसान पहुंचाते हैं। ऐसे में आपके घुटने का एक्सट्रा लिक्विड बाहर निकल जाता है। यह लिक्विड एक ही दिशा में निकल सकता है, जैसे आपके घुटने के जोड़ के पीछ से यह लिक्विड बाहर आ सकता है। वह बेकर सिस्ट बन जाता है। ऐसे में बेकर सिस्ट की समस्या हो जाती है। इसे आप ट्यूमर नहीं कह सकते हैं। डॉक्टर के अनुसार गठिया, कार्टिलेज्स टियर और चोट की वजह से घुटनों के पीछे गांठ बन सकती है। डॉक्टर भोर के अनुसार यह समस्या बार-बार हो सकती है। इससे बचने के लिए आपको इसके अंतर्निहित कारणों को रोकना आवश्यक हो सकता है।
बेकर्स सिस्ट के क्या कारण हो सकते हैं? - Baker's Cyst Causes In Hindi
घुटना हड्डी, टेंडन और कार्टिलेजस से बना होता है। टेंडन और कार्टिलेज घुटने के मूवमेंट और सुरक्षा के लिए आवश्यक होते हैं। टेंडन और कार्टिलेज को ल्यूब्रिकेंट की आवश्यकता होती है। यह ल्यूब्रिकेंट साइनोवियल फ्लूयड से लिया जाता है, जो मूवमेंट को आसान बनाता है और घर्षण को कम करता है। आगे जानते हैं किन कारणों से घुटनों में बेकर सिस्ट हो सकता है।
- गाउट - ब्लड में यूरिक एसिड का स्तर तब तक बढ़ सकता है, जब तक कि लेवल हाइपरयूरिसीमिया की स्थिति में न पहुंच जाए। इससे जोड़ों के आसपास यूरेट क्रिस्टल बन सकते हैं। ऐसे में व्यक्ति को सूजन और गंभीर दर्द की समस्या हो सकती है।
- हीमोफीलिया - यह एक अनुवांशिक स्थिति है, इसमें चोट लगने पर खून रूकता नहीं है। इसमें इंटरनल ब्लीडिंगऔर जोड़ों को जोखिम हो सकता है।
- ल्यूपस - एक ऑटोइम्यून बीमारी जहां शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली सामान्य, स्वस्थ ऊतकों पर हमला करती है।
- ऑस्टियोआर्थराइटिस - यह गठिया का ही एक प्रकार है, इसमें जोड़ों में सूजन, हड्डियों के जोड़ों में दर्द और मूवमेंट में अकड़न होती है।
- चोट - घुटने पर चोट लगने पर कार्टिलेज के टूटने की वजह से बेकर सिस्ट हो सकते हैं।
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बेकर सिस्ट में व्यक्ति को चलने में दिक्कत हो सकती है। साथ ही, कई मामलों में पैरों के मूवमेंट में दर्द और अकड़न महसूस हो सकती है। इस समस्या का इलाज न किया जाए तो यह एक गंभीर समस्या बन सकती है।