Peptic Ulcer Disease: बार बार एसिडिटी होने का कारण हो सकती है ये बीमारी, डॉक्टर से जानें कारण और लक्षण

जिन लोगों को लगातार पेट में दर्द और गैस की समस्या रहती है उन्हें पेप्टिक अल्सर की बीमारी हो सकती है। तो, आइए डॉक्टर से जानते हैं इस बीमारी के बारे में।
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Peptic Ulcer Disease: बार बार एसिडिटी होने का कारण हो सकती है ये बीमारी, डॉक्टर से जानें कारण और लक्षण

क्या सुबह से शाम तक आपको रह रह कर एसिडिटी की परेशानी होती है? या फिर आपको कुछ भी खाने के बाद अपच के लक्षण जैसे कि खट्टी डकार, सीने में जलन, मतली और उल्टी आदि महसूस होती है तो, ये सब पेप्टिक अल्सर की बीमारी का संकेत हो सकती हैं। जी हां, पेप्टिक अल्सर की बीमारी (peptic ulcer disease in hindi) पेट और पाचनतंत्र से जुड़ी एक बीमारी है जिसमें कि शरीर में एसिड का प्रोडक्शन बढ़ जाता है। ये खराब लाइफस्टाइल के अलावा स्वास्थ्य से जुड़ी कुछ स्थितियों की वजह से भी होता है। इस बीमारी के बारे में विस्तार से जानने, इसके कारणों को समझने और इसके लक्षणों की पहचान के लिए हमने डॉ अरविंद कुमार खुराना (Dr Arvind Kumar Khurana), निदेशक, गैस्ट्रोएंटरोलॉजी और हेपेटोबिलरी साइंसेज, फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट, गुरुग्राम से बात की। 

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Image Credit: Gastroenterologist Canton, OH

पेप्टिक अल्सर की बीमारी -Peptic ulcer disease

डॉ अरविंद कुमार खुराना (Dr Arvind Kumar Khurana) कहते हैं कि यह पेट में एसिड के उत्पादन बढ़ने के कारण होने वाली बीमारी है जो पेट की अंदरूनी परत, छोटी आंत के ऊपरी हिस्से और कभी-कभी भोजन नली या अन्नप्रणाली को नुकसान पहुंचाती है। इसके कारण पेट की संवेदनशीलता बढ़ जाती है और रेडनेस, छोटे-छोटे दाने सहिल पेट में अल्सर की समस्या होने लगती है। पेप्टिक अल्सर की इस बीमारी में गैस्ट्रिक अल्सर जो पेट के अंदर होते हैं और छोटी आंत (डुओडेनम) के ऊपरी हिस्से के अंदर होने वाले डुओडेनल अल्सर भी शामिल है।

पेप्टिक अल्सर का कारण-Causes of Peptic ulcer disease 

1. बढ़ा हुआ एसिड उत्पादन

पेप्टिक अल्सर का सबसे बड़ा कारण पेट में बढ़ा हुआ एसिड उत्पादन है जो कि कई कारणों से हो सकता है। दरअसल, जब आपके शरीर के तरल पदार्थों में बहुत अधिक एसिड होता है, तो इसे एसिडोसिस के रूप में जाना जाता है। ये तब होता है जब आपके गुर्दे और फेफड़े आपके शरीर के पीएच को संतुलन में नहीं रख पाते हैं। ऐसे में एसिड का उत्पादन शरीर में बढ़ने लगता है। ऐसे में आपके खून में एसिडिक वैल्यू को चेक किया जा सकता है। उसके पीएच को निर्धारित करके मापा जाता है। कम पीएच का मतलब है कि आपका खून में अधिक अम्लीय है, जबकि उच्च पीएच का मतलब है कि आपका खून अधिक बेसिक है। अमेरिकन एसोसिएशन फॉर क्लिनिकल केमिस्ट्री (AACC) के अनुसार,आपके खून का पीएच 7.4 के आसपास होना चाहिए।  नहीं तो, ये पेप्टिक अल्सर कई बीमारियों का कारण बन सकता है।

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2. हेलिकोबैक्टर पाइलोरी नामक बैक्टीरियल इंफेक्शन

हेलिकोबैक्टर पाइलोरी (helicobacter pylori) नामक बैक्टीरिया आमतौर पर पेट को संक्रमित करता है। ये पाइलोरी को एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में प्रसारित कर सकते हैं, खासकर छोटे बच्चों में। एच. पाइलोरी बैक्टीरिया पाचन तंत्र में बलगम की परत से चिपक जाता है और पेट में सूजन और जलन का कारण बनता है, जिससे यह सुरक्षात्मक अस्तर टूट सकता है। यह टूटना एक समस्या है क्योंकि आपके पेट में भोजन को पचाने के लिए मजबूत एसिड होता है। इसकी रक्षा के लिए बलगम की परत के बिना, एसिड पेट के भीतरी टिशूज में खा सकता है।

3. दर्द निवारक दवाओं का अधिक सेवन

डॉ अरविंद कुमार खुराना  की मानें, तो एस्पिरिन, डाइक्लोफेनाक, इबुप्रोफेन, निमेसुलाइड, इंडोमेथेसिन आदि जैसे दर्द निवारक दवाओं का अधिक सेवन पेप्टिक अल्सर की परेशानियों को तेजी से बढ़ा सकता है। इन दर्द निवारक दवाओं का सेवन पाचन तंत्र में बलगम की परत को खराब कर सकता है। इन दवाओं में पेप्टिक अल्सर बनने की क्षमता होती है। हालांकि ये हर किसी को नहीं होता पर कुछ लोगों में इन दवाइयों के कारण अल्सर होने का खतरा ज्यादा होता है। जैसे कि

  • -70 साल से अधिक उम्र के लोगों में
  • -महिला में
  • -लंबे समय तक लगातार निवारक दवाओं का सेवन करने वालों में
  • - जिन लोगों में अल्सर रोग पहले से हो उनमें।

4. लाइफस्टाइल से जुड़ी आदतें

अगर आपको सीने में जलन है तो मसालेदार भोजन का सेवन ना करें। दरअसल मसालेदार भोजन पाचन की दर को धीमा करके एसिड के प्रोडक्शन को बढ़ा देते हैं। मसालेदार भोजन भी आपके अन्नप्रणाली में जलन पैदा कर सकता है और पेप्टिक अल्सर के लक्षणों को और बढ़ा सकता है। इसलिए अत्यधिक मिर्च और मसाले के सेवन से बचें। साथ ही धूम्रपान, शराब, तनाव आदि से भी शरीर पीएच असंतुलित हो जाता है, जिससे एसिडिटी की समस्या बढ़ती है। इसलिए धूम्रपान, शराब, तनाव तीनों को कम करने की कोशिश करें और ना ही करें तो ये आपकी सेहत के लिए फायदेमंद होगा। 

5. अन्य बीमारियों के कारण

लीवर सिरोसिस, किडनी खराब, हृदय और फेफड़ों की समस्याओं वाले रोगियों में पेप्टिक अल्सर की समस्या बढ़ सकती है। इसके अलावा भी कुछ लोगों में अल्सर विकसित हो सकता है जैसे कि विभिन्न संक्रमणों या बीमारियों से गंभीर रूप से बीमार होने के बाद, सर्जरी कराने के बाद या फिर स्टेरॉयड जैसी अन्य दवाओं को लेने से।

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Image Credit: freepik

पेप्टिक अल्सर के लक्षण-Peptic ulcer symptoms

पेप्टिक अल्सर के लक्षण और रोग के स्थान और उम्र के आधार पर भिन्न हो सकते हैं। भोजन के संबंध को देखते हुए अल्सर को उनके लक्षणों के समय के अनुसार पहचाना जा सकता है। जैसे पेप्टिक अल्सर वाले रोगियों में भोजन के बाद आमतौर पर 15-30 मिनट के भीतर तेज दर्द होता है या कई बार ये दर्द भोजन के 2-3 घंटे बाद भी होता है। गैस्ट्रिक आउटलेट रुकावट वाले लोग आमतौर पर पेट में सूजन और पाचन संबंधी अन्य परेशानियों की शिकायत रहती है। पेप्टिक अल्सर के सामान्य संकेतों और लक्षणों में शामिल हैं:

  • -ज्यादा एसिडिटी के कारण
  • -छाती और ऊपरी पेट में जलन और दर्द, 
  • -गैस की समस्या
  • -मतली और कभी-कभी उल्टी।

कई बार दर्द निवारक दवाइयों, मसालेदार भोजन, मिर्च और भोजन और एंटासिड से आंशिक रूप से राहत मिलने से लक्षण बढ़ जाते हैं। जटिल मामलों में, रोगी को काली उल्टी और मल, तेज दर्द के साथ ब्लीडिंग भी हो सकती है। साथ ही कुछ गंभीर लक्षणों में शामिल है

  • -पेट में सूजन
  • -वजन में कम होना
  • -खून की उल्टी
  • -खुले में गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ब्लीडिंग
  • -आयरन की कमी से एनीमिया 

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जांच और इलाज-Peptic ulcer disease treatment

पेप्टिक अल्सर के जांच की बात करें तो,  आमतौर पर लक्षणों और एंटी एसिडिटी दवाओं के प्रति शरीर की प्रतिक्रिया के आधार पर इसका इलाज किया जाता है। लेकिन अगर प्रतिक्रिया से समझ ना आए तो, बार-बार होने वाले लक्षणों को संकेत समझा जाता है। फिर अल्सर की पुष्टि करने और एच पाइलोरी संक्रमण की जांच के लिए एंडोस्कोपी की जाती है। उपचार में आहार संबंधी सावधानियां, धूम्रपान रोकना, शराब और दर्द निवारक और नशीली दवाओं को बंद करना शामिल है। दी जाने वाली दवाओं में ओमेप्राज़ोल, पैंटाप्राज़ोल, रैबेप्राज़ोल, रैनिटिडीन और एंटासिड जैल जैसे पीपीआई शामिल हैं। 

पेप्टिक अल्सर से बचाव बेहद जरूरी है। इसके लिए अपनी लाइफस्टाइल में बदलाव करें जैसे कि एक दिन में दो से अधिक बार ड्रिंक ना करें। दवा के साथ शराब ना लें। हेलिकोबैक्टर पाइलोरी बैक्टीरियल इंफेक्शन से बचाव के लिए बार-बार हाथ धोते रहें और बिना डॉक्टर से पूछे दर्द निवारक दवाओं का सेवन ना करें।

Main Images Credit: Gastroenterology Specialists of Naples and CentralViral

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