पैंक्रियाटिक कैंसर का जल्द पता लगाने के लिए के लिए इंग्लैंड और स्पेन के वैज्ञानिकों ने एक कम खर्च वाला टेस्ट विकसित किया है। इस उपकरण से पैंक्रियाटिक कैंसर का पता शुरूआती चरण में ही लगाया जा सकेगा।
कैंसर के निदान को लेकर वैज्ञानिक इसे एक महत्त्वपूर्ण और उत्साहित करने वाला कदम मान रहे हैं। पैंक्रियाटिक कैंसर यानी अग्न्याशय के कैंसर में मरीज के बचने की संभावना बहुत कम होती है।
इस जांच में पेशाब में तीन प्रोटीन की जांच की जाती है। अब तक इस टेस्ट के 90 फीसदी परिणाम सही हैं। लंदन के बार्ट्स कैंसर सेन्टर के प्रोफेसर निक लेमोइन ने संयुक्त रूप से इस टेस्ट पर रिपोर्ट लिखी है।
प्रोफेसर निक लेमोइन ने बताया, "हम चाहते हैं कि ऐसे अवसर हों कि शुरूआती चरण में ही कैंसर का पता चल सके, इन 3 प्रोटीन के निशान केवल उन रोगियों के पेशाब में मिलते हैं जिन्हें पैंक्रियाटिक कैंसर है।"
उन्होंने यह भी कहा, "हम चाहते हैं कि अग्नाशय के कैंसर से आश्चर्यजनक रूप से बचने वालों की जो संख्या है उसमें बढ़ोतरी हो। वर्तमान स्थिति यह है कि काफी कम रोगियों की सर्जरी हो पाती है और बहुत कम लोग स्वस्थ होते हैं।"
एलिसन स्टंट को आठ साल पहले पता चला कि उन्हें पैंक्रियाटिक कैंसर है और वे उन चंद लोगों में से हैं जो इस बीमारी के बाद बची हैं।