काम की मारामारी और वक्त की कमी के कारण रेडी-टू-इट भोजन हमारी जिंदगी का अहम हिस्सा बन गया है। लेकिन, डॉक्टरों की नजर में संसाधित खाद्य पदार्थों की आदत आपको हाई बीपी का मरीज बना सकती है।
जनहित स्वास्थ्य एनजीओ जॉर्ज इंस्टीट्यूट फॉर ग्लोबल हेल्थ इंडिया के अध्ययन के मुताबिक, नमूने में लिए गए 7,124 खाद्य वस्तुओं में 73 फीसदी खाद्य उत्पादों ने अपने उत्पाद में नमक और सोडियम की मात्रा नहीं दिखाई।
भारतीय खाद्य पैकेजिंग नियमों में नमक की मात्रा दिखाना जरूरी नहीं है, फिर भी विशेषज्ञों को लगता है कि इसके माध्यम से उपभोक्ताओं को नमक की मात्रा का पता चलता है।
अधिक नमक के सेवन और व्यायाम की कमी से उच्च रक्तचाप के साथ, मोटापा, तनाव और अवसाद हो सकता है। पैकेट बंद खाद्य पदार्थो, संसाधित खाद्य पदार्थो और रेडी-टू-इट भोजन में भी नमक की अधिक मात्रा होती है। उनके उच्च मात्रा में कोलेस्ट्रॉल और तेल भी होता है। इनके नियमित सेवन से वजन बढ़ता है और मोटापा होता है, और बाद में उच्चरक्त चाप हो जाता है। उच्च रक्तचाप से दिल और गुर्दे की बीमारियों तथा स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है।
जीवनशैली में बदलाव, देर तक काम करना, अधिक तनाव, व्यायाम की कमी और जंक और संसाधित भोजन का असर हमारे रक्तचाप पर पड़ता है। हालात यहां तक खराब हो चुके हैं कि हर तीसरा या चौथा व्यक्ति उच्च रक्चाप से पीडि़त है।
आजकल उच्च रक्तचाप के मरीजों में केवल बुजुर्ग ही शामिल हों, ऐसा नहीं है। 25 वर्ष के युवा भी हाई बीपी के शिकार हो रहे हैं। बड़ी संख्या में युवा ऐसी नौकरियां करते हैं, जहां उन्हें नींद से समझौता करना पड़ता है। भोजन में भी उन्हें पैकेट बंद आहार पर ही निर्भर रहना पड़ता है। ऐसी बदली जीवनशैली मोटोपे और टाइप 2 मधुमेह को बढ़ाने का काम करती है। 30 साल से ऊपर के हर व्यक्ति को सलाह है कि अपना रक्तचाप नियमित जांच कराएं।
जल्द पता लगने से जीवन शैली में बदलाव लाकर बीमारी का उपचार हो सकता है और या सबसे सस्ता तरीका है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने नमक का सेवन 30 फीसदी कम करके 2020 तक गैर-संचारी रोगों से होने वाली मृत्युदर को 25 फीसदी कम करने का वैश्विक लक्ष्य रखा है।
Image Courtesy- Getty Images
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